DRDO ने एक बार फिर किया कमाल, समुद्री जल बनेगा पीने लायक; तटरक्षकों को मिलेगा फायदा
DRDO की कानपुर स्थित लैब DMSRDE ने समुद्री जल को पीने योग्य बनाने के लिए स्वदेशी नैनोपोरस मल्टीलेयर्ड पॉलीमरिक मेम्ब्रेन विकसित की है. यह तकनीक विशेष रूप से भारतीय तटरक्षक जहाजों के लिए डिजाइन की गई है और पारंपरिक मेम्ब्रेन की तुलना में अधिक टिकाऊ है. इस खोज से न केवल रक्षा क्षेत्र, बल्कि तटीय इलाकों में नागरिकों को भी लाभ मिलेगा.

DRDO: भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) को बड़ी सफलता मिली है. इसने समुद्री जल को पीने योग्य बनाने की दिशा में एक बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है. DRDO की कानपुर स्थित प्रयोगशाला, डिफेंस मैटेरियल्स स्टोर्स एंड रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (DMSRDE) ने एक स्वदेशी नैनोपोरस मल्टीलेयर्ड पॉलीमरिक मेम्ब्रेन विकसित की है, जो उच्च दबाव पर समुद्री जल को डिसैलिनेट (खारेपन को दूर) करने में सक्षम है. इस सफलता के बाद समुद्री जल को पीने योग्य बनाने की कोशिश रंग ला सकती है.
तटरक्षक जहाजों के लिए वरदान
इस तकनीक को विशेष रूप से भारतीय तटरक्षक (ICG) के जहाजों में इस्तेमाल के लिए डिजाइन किया गया है. समुद्री जहाजों में लंबे समय तक ताजे पानी की आपूर्ति एक बड़ी चुनौती होती है, क्योंकि पारंपरिक मेम्ब्रेन खारे पानी में मौजूद क्लोराइड आयनों के कारण जल्दी खराब हो जाती हैं. DRDO की यह नई मेम्ब्रेन इस समस्या का प्रभावी समाधान प्रदान करती है.
इससे न सिर्फ तटरक्षक जहाजों पर काम करने वाले लोगों, बल्कि तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए भी यह वरदान साबित हो सकता है. इसमें छोटे-मोटे बदलाव करके समुद्र के किनारे रहने वाले लोगों के लिए पीने योग्य पानी की आपूर्ति की जा सकेगी.
सिर्फ 8 महीने में हुआ तैयार
DMSRDE ने इस तकनीक को मात्र 8 महीने के रिकॉर्ड समय में विकसित किया है. प्रारंभिक परीक्षणों में ICG के ऑफशोर पेट्रोलिंग वेसल (OPV) पर लगे डिसैलिनेशन प्लांट में इस मेम्ब्रेन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया. सुरक्षा और प्रदर्शन संबंधी सभी मापदंडों पर यह पूरी तरह खरी उतरी. अब 500 घंटे की ऑपरेशनल टेस्टिंग के बाद ICG इसे अंतिम मंजूरी देगा.
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आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
DRDO की यह खोज ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में अहम कदम है. भारत अब तक डिसैलिनेशन टेक्नोलॉजी के लिए विदेशी मेम्ब्रेन पर निर्भर रहना पड़ता था. DRDO के इस इनोवेशन से न केवल डिफेंस सेक्टर, बल्कि नागरिक उपयोग के लिए भी साफ पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी.
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