Haryana Economy: कमाई और जीडीपी में पंजाब से आगे फिर भी लाइफस्टाइल के मामले में गरीब क्यों?
Haryana Election के आज नतीजे आने वाले हैं. राज्य की अर्थव्यवस्था को लेकर चुनावों में तमाम सवाल उठे. हरियाणा की अर्थव्यवस्था के सामने कई चुनौतियों हैं, जिनसे आने वाली सरकार को निपटना होगा. बहरहाल, हमने जब पड़ोसी राज्य पंजाब के साथ हरियाणा की तुलना की, तो यह दिलचस्प बात सामने आई कि हरियाणा जीडीपी के लिहाज से पंंजाब से काफी आगे है, लेकिन फिर भी यहां गरीबी ज्यादा नजर आती है. जानते हैं यह विरोधाभास क्यों?

1966 में पंजाब से अलग होकर राज्य बने हरियाणा में जल्द ही नई सरकार बनने वाली है. पंजाब से अलग होने के बाद से हरियाणा की राजनीति भी पंजाब से पूरी तरह अलग हो गई. राजनीतिक रूप से देखी जाने वाली भिन्नता की वजह साफ तौर पर दोनों राज्यों की आबादी का धार्मिक ढांचा है. पंजाब में जहां 50 फीसदी से ज्यादा आबादी सिखों की है, वहीं हरियाणा में 85 फीसदी से ज्यादा हिंदू आबादी रहती है. लेकिन, दोनों राज्यों की आर्थिक स्थिति में भी काफी अंतर है. यह अंतर चौंकाता है, क्योंकि जब हरियाणा पंजाब से अलग हुआ था, तो हरियाणा की अर्थव्यवस्था भी पंजाब की तरह ही थी. लेकिन, कालांतर में दोनों प्रदेशों की अर्थव्यवस्था में फासला आता गया. इस फासले को नीचे दोनों राज्यों की जीडीपी के आंकड़ों के ग्राफ से समझा जा सकता है.

जीडीपी के मोर्चे पर बढ़ता गया हरियाणा
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक राज्यों की जीडीपी यानी GSDP डेटा के आधार पर तुलना करने पर पता चलता है कि हरियाणा इस मोर्चे पर पंजाब से काफी आगे निकल चुका है. रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर देखें, तो 1980-81 में स्थिर मूल्यों पर हरियाणा का GSDP उस समय पंजाब के 68% के बरारब था. 1990 के दशक तक हरियाणा ने GSDP के मामले में काफी हद तक पंजाब की बराबरी कर ली. इसके बाद 2000 के दशक हरियाणा के GSDP के मामले में पंजाब को पीछे छोड़ना शुरू किया और आज हरियाणा GSDP के मामले में पंजाब से 140 फीसदी आगे है. इसके अलावा प्रति व्यक्ति GSDP के मामले में भी हरियाणा काफी आगे है.
क्या है हरियाणा की तेज तरक्की का राज
क्षेत्रवार शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद (NSDP) और शुद्ध राज्य मूल्य वर्धित (NSVA) आंकड़ों से पता चलता है कि पंजाब से आगे निकलने में हरियाणा के लिए उद्योग और सेवाओं के क्षेत्र मे हुई तरक्की निर्णायक साबित हुई है. हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि पंजाब के खेत हरियाणा की तुलना में अब भी ज्यादा मूल्यवान हैं. लेकिन, फिर भी 2023-24 में पंजाब का कृषि NVSA हरियाणा के कृषि NVSA का 90% फीसदी रहा. वहीं, सेवा क्षेत्र के मामले में पंजाब पर हरियाणा की बढ़त पिछले एक दशक में स्थिर हो गई है. वहींं, उद्योग क्षेत्र में हरियाणा पंजाब से निर्णायक रूप से बहुत आगे है. नीचे दिए गए चार्ट में दोनों राज्यों के बीच इस अंतर को समझा जा सकता है.

जीवन स्तर उठाने में चूका हरियाणा
जीएसडीपी के मामले में हरियााण जितना पंजाब से आगे बढ़ा है, उस अनुपात में यहां के लोगों के जीवन स्तर में सुधार नहीं हुआ है. 1993-94 के बाद से पंजाब और हरियाणा के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति मासिक व्यय (एमपीसीई) और जीएसडीपी की तुलना की जाए, हरियाणा का ग्रामीण और शहरी एमपीसीई पंजाब से कम था. 2004-04 में जब इन दोनों राज्यों का जीएसडीपी लगभग बराबर था, हरियाणा का ग्रामीण एमपीसीई में पंजाब के बराबर पहुंच गया, लेकिन शहरी उपभोग में हरियाणा पीछे रह गया. 2011-12 में जब हरियाणा का जीएसडीपी पंजाब से काफी ज्यादा हो गया, तब इसका शहरी एमपीसीई आगे बढ़ाा, लेकिन ग्रामीण एमपीसीई लाभ खत्म हो गया.
आर्थिक विकास का लोगों को नहीं मिला लाभ
दिलचस्प बात यह है कि 2011-12 और 2022-23 के बीच की अवधि में हरियाणा-पंजाब की जीएसडीपी का अंतर उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है, लेकिन एमपीसीई लाभ ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में कम हो गया है. इस तरह पिछले एक दशक में हरियाणा में हुए आर्थिक विकास का लाभ हरियाणा के आमजन की आय और उसके जीवन स्तर पर नहीं हुआ. मोटे तौर पर हरियाणा में हुए पिछले एक दशक में हुए तीव्र औद्योगिकी करण और आर्थिक विकास का लाभ यहां के लोगों को अपने जीवन में देखने को नहीं मिला है. इन आंकड़ों को नीचे दिए गए ग्राफ में भी समझ सकते हैं.

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