वेटिंग टिकट लेकर स्लीपर या AC में चढ़े तो लगेगा इतने रुपये का जुर्माना, जान लें नए पेनाल्टी रेट

अगर आप वेटिंग टिकट पर स्लीपर या एसी कोच में चढ़ते हैं, तो भारी जुर्माना चुकाना पड़ेगा. साथ ही यात्री से बोर्डिंग स्टेशन से अगले स्टेशन तक का अतिरिक्त किराया भी वसूला जा सकता है. इसके अलावा एडवांस रिजर्वेशन पीरियड को 120 दिन से घटाकर 60 दिन कर दिया गया है.

बदल गया टिकट बुकिंग का नियम Image Credit: @GettyImages

Waiting Ticket Penalty: अगर आपकी ट्रेन टिकट वेटिंग लिस्ट में है और आप फिर भी स्लीपर या एसी कोच में सफर करते हैं, तो सावधान हो जाइए. क्योंकि इंडियन रेलवे ने इसे लेकर एक नया नियम लाया है, जिसके तहत वेटिंग टिकट वाले यात्री अब आरक्षित कोच में सफर नहीं कर सकेंगे. ऐसा करने पर उन पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा. वेटिंग लिस्ट टिकट वाले यात्री, चाहें वे ऑनलाइन खरीदे गए हों या फिर काउंटर से, अब उन्हें केवल अनारक्षित यानी जनरल कोच में चढ़ने की अनुमति होगी.

जुर्माने की राशि क्या होगी?

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर कोई यात्री वेटिंग टिकट के साथ स्लीपर कोच में सफर करता है, तो उसे 250 रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है. वहीं, एसी कोच में यात्रा करने पर यह जुर्माना 440 रुपये तक हो सकता है. इसके अलावा, यात्री से बोर्डिंग स्टेशन से अगले स्टेशन तक का एक्ट्रा किराया भी वसूला जा सकता है.

नियम के मुताबिक, टिकट चेकिंग स्टाफ यानी TTE को निर्देश दिए गए हैं कि वे इस नियम को सख्ती से लागू करें. अगर कोई वेटिंग टिकट वाला यात्री अगले स्टेशन पर भी आरक्षित कोच में चढ़ने की कोशिश करता है, तो उसे कोच से उतार दिया जाएगा और जुर्माना वसूला जाएगा. इसके अलावा, भारतीय रेलवे के नियमों के अनुसार, बिना टिकट यात्रा करने पर अधिकतम 1000 रुपये का जुर्माना और छह महीने तक की जेल भी हो सकती है.

एडवांस रिजर्वेशन पीरियड घटकर 60 दिन हुआ

रेलवे ने अपने एडवांस टिकट बुकिंग की समय अवधि में भी बदलाव किया है. अब, एडवांस रिजर्वेशन पीरियड को 120 दिन से घटाकर 60 दिन कर दिया गया है यानी अब यात्री 4 महीने पहले के बजाय, दो महीने पहले तक टिकट बुक करवा पाएंगे. इसके अलावा, सुरक्षा में सुधार और दुरुपयोग से बचाव के लिए अब सभी ऑनलाइन टिकट खरीद के लिए वन-टाइम पासवर्ड (OTP) की जरूरत होगी.

नियम का मकसद

रेलवे का कहना है कि वेटिंग टिकट वाले यात्रियों का आरक्षित डिब्बों में चढ़ने से भीड़ और अव्यवस्था बढ़ती है, जिससे दूसरे यात्रियों को असुविधा होती है. इसलिए इस नियम का मकसद भीड़ कम करना और यात्रियों को आरामदायक यात्रा अनुभव देना है.

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