IMD की चेतावनी, मैदानी इलाकों बढ़ेगी ठंड, पहाड़ों चढ़ेगा पारा; इस वजह से बहेगी मौसम की उल्टी गंगा
IMD ने इस विंटर सीजन के लिए बड़ा अलर्ट जारी किया है. मैदानों में कड़ाके की ठंड और पहाड़ी इलाकों में सामान्य से ज्यादा गर्मी देखने को मिलेगी. आमतौर पर पहाड़ी इलाकों में मैदान की तुलना में मौसम ज्यादा ठंडा रहता है, लेकिन एक खास भौगोलिक घटना की वजह से मौसम की उल्टी गंगा बह रही है.
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने इस सर्दी एक असामान्य पैटर्न की चेतावनी दी है. जहां उत्तर और मध्य भारत के मैदानी इलाकों में तापमान सामान्य से काफी नीचे जाएगा और ठंड का असर ज्यादा कड़ा दिखेगा, वहीं हिमालयी राज्यों में पारा उल्टा ट्रेंड दिखाते हुए सामान्य से ऊपर चढ़ने की संभावना है. मौसम की यह “उल्टी गंगा” नीचे ठिठुरन और ऊपर गर्माहट. IMD का मौसमी आउटलुक इस विंटर को दो हिस्सों में बांटा हुआ दिखा रहा है.
मैदान में कड़ाके की ठंड
IMD के मुताबिक दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 के बीच उत्तर भारत, मध्य भारत और कुछ दक्षिणी राज्यों के मैदानी हिस्सों में तापमान सामान्य से नीचे रहेगा. दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में न्यूनतम तापमान में तीखी गिरावट दर्ज हो सकती है. इस बार कोल्ड वेव के दिनों की संख्या भी दोगुनी हो सकती है. आमतौर पर जहां 4 से 6 दिन कोल्ड वेव रिकॉर्ड होती है, वहीं इस बार औसतन 8 से 10 दिन तक मैदान ठिठुर सकते हैं.
ला नीना ने बदला माहौल
La Niña के कारण उत्तर-पश्चिम की ठंडी हवाएं अधिक ताकत के साथ मैदानों की ओर बढ़ रही हैं. इसके साथ ही पोलर वॉर्टेक्स के कमजोर होने से आर्कटिक की बेहद ठंडी हवा दक्षिण की ओर फिसल रही है, जो मैदानों को और ज्यादा ठंडा बना रही है.
थर्मल इनवर्जन ने बढ़ाई सिहरन
उत्तर भारत में सर्दियों का सबसे बड़ा फिजिकल फैक्टर थर्मल इनवर्जन बेहद मजबूत नजर आ रहा है. सामान्य रूप से हवा ऊपर से नीचे ठंडी होती है, लेकिन इनवर्जन के दौरान ठंडी हवा जमीन के पास फंस जाती है, और ऊपर गर्म हवा की परत बन जाती है. इससे मैदानों में ठंड और तीखी महसूस होती है. सूरज की रोशनी भी जमीन तक कम पहुंचती है, जिससे दिन का तापमान औसत से नीचे रहता है. यही वजह है कि इस बार फॉग घना होगा, हवा ठंडी होगी और कोल्ड वेव का असर ज्यादा समय तक टिका रहेगा.
हिमालयी इलाकों में उलटा ट्रेंड
उधर इससे उलट तस्वीर पहाड़ों में दिख रही है. जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर के पर्वतीय इलाकों में तापमान सामान्य से अधिक रहने का अनुमान है. इसका सीधा कारण है वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का कमजोर होना. पिछले कुछ सीजनों में WDs अधिक बार आए जरूर हैं, लेकिन उनकी तीव्रता कम हो गई है. कमजोर वेस्टर्न डिस्टर्बेंस बर्फबारी को घटाते हैं, जिससे पहाड़ों में तापमान तेजी से नीचे नहीं जाता. बादल ज्यादा रहते हैं, जिससे रात का तापमान भी गिर नहीं पाता.
ग्लोबल वार्मिंग का भी असर
इस साल ग्लोबल वार्मिंग का असर भी पहाड़ों पर तेज दिख रहा है, जिसे वैज्ञानिक एलिवेशन डिपेंडेंट वार्मिंग कहते हैं. ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तापमान बढ़ने की दर मैदानों से ज्यादा है. इसका असर इस सीजन में साफ महसूस होगा. IMD का आउटलुक बताता है कि इस बार भारत की विंटर दो बिल्कुल अलग चेहरों के साथ सामने आएगी. मैदानों में कड़ाके की ठंड, घना कोहरा और लगातार गिरते तापमान का दौर चलेगा, जबकि पहाड़ों में बर्फबारी कम और तापमान सामान्य से अधिक रहेगा.
Latest Stories
Su-57 से S-500 तक… पुतिन के दौरे पर नेक्स्ट-जेन डिफेंस डील की तैयारी, जानें कितना पावरफुल होगा भारत
अमेरिका को भारतीय टैलेंट से हुआ फायदा, निखिल कामथ के पॉडकास्ट पर बोले एलन मस्क
भारत ने पहले वनडे में साउथ अफ्रीका को 17 रनों से हराया, विराट कोहली बने मैन ऑफ द मैच
