मारिया कोरिना मचाडो को मिला 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार, वेनेजुएला में लोकतंत्र की लड़ाई के लिए सम्मानित
वेनेजुएला की लोकतंत्र समर्थक नेता मारिया कोरिना मचाडो को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला है. नॉर्वे की नोबेल कमेटी ने उन्हें लोकतांत्रिक अधिकारों और शांतिपूर्ण परिवर्तन के लिए सम्मानित किया है. ऐसे में आइए जानते हैं कौन हैं मारिया कोरिना मचाडो.

नार्वे की नोबेल कमेटी ने शुक्रवार को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को देने का ऐलान किया है. कमेटी ने कहा कि यह सम्मान उन्हें वेनेजुएला के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने और तानाशाही से लोकतंत्र की ओर शांतिपूर्ण परिवर्तन के लिए उनके अथक प्रयासों के लिए दिया है.
नोबेल कमेटी ने इस बार दुनिया का ध्यान वेनेजुएला की स्थिति पर केंद्रित किया है, ऐसे समय में जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बार-बार सार्वजनिक रूप से यह कह चुके हैं कि वे खुद इस पुरस्कार के योग्य हैं.
कौन है मारिया कोरिना मचाडो?
मारिया कोरिना माचाडो वेनेजुएला में विपक्ष की प्रमुख नेता हैं. वह लगातार वेनेजुएला में मानवाधिकारों और लोकतंत्र के लिए संघर्ष कर रही हैं. मारिया कोरिना 2011 से 2014 तक वेनेजुएला की राष्ट्रीय सभा की निर्वाचित सदस्य के रूप में काम कर चुकी हैं. फिलहाल वह वेनेजुएला की वर्तमान सरकार के खिलाफ लोकतांत्रिक आंदोलन का नेतृत्व कर रही हैं.
मारिया का जन्म 7 अक्टूबर 1967 को हुआ. नोबेल पुरस्कार से पहले उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय सम्मान भी मिल चुके हैं. वर्ष 2024 में उन्हें यूरोपीय संघ के सखारोव पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. यह पुरस्कार यूरोपीय संघ का सर्वोच्च मानवाधिकार सम्मान माना जाता है.
338 उम्मीदवार थे शामिल
नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में नोबेल पीस प्राइज का ऐलान हुआ. इस बार 338 उम्मीदवार हैं, जिसमें 94 संगठन है. इस बार शांति पुरस्कार के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प सबसे ज्यादा चर्चा रहें. वे कई बार कह चुके हैं कि उन्हें यह पुरस्कार मिलना चाहिए, क्योंकि उन्होंने भारत-पाकिस्तान समेत कुल 7 युद्ध रुकवाए हैं. नोबेल पीस प्राइज पाने की होड़ में पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान, टेस्ला CEO इलॉन मस्क, मलेशियाई PM अनवर इब्राहिम और पोप फ्रांसिस शामिल थे.
क्या मिलता है पुरस्कार विजेता को?
नोबेल पीस प्राइज विजेता को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना यानी 10.3 करोड़ रुपए के साथ ही साथ सोने का मेडल और सर्टिफिकेट मिलता है. अगर एक से ज्यादा लोग जीतते हैं, तो यह प्राइज मनी उनके बीच बंट जाती है. पिछले साल नोबेल शांति पुरस्कार निहोन हिडांक्यो को मिला था, जो हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु हमलों के बचे हुए लोगों का संगठन है और परमाणु हथियारों के खिलाफ काम करता है.
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