अब तलाक के बाद एलिमनी लेना नहीं होगा आसान, मारवाड़ी बिजनेस परिवार ने निकाला यह गजब का तोड़

हाल ही में कोलकाता के एक मारवाड़ी बिजनेस परिवार ने मुंबई की एक बड़ी लॉ फर्म से संपर्क किया. वे अपने पारिवारिक समझौते में वहीं, मुंबई के एक बिजनेस प्रमोटर ने बताया कि उन्होंने अपनी बेटियों के हक की रक्षा के लिए समझौते में डिटेल शेयर ट्रांसफर शर्तें शामिल की हैं.

अब तलाक के बाद एलिमनी लेना नहीं होगा आसान Image Credit: Money 9

पिछले कुछ सालों में तलाक के मामलों में काफी इजाफा देखने को मिला है. ऐसे में एलिमनी को लेकर भी लोगों के बीच काफी चर्चा हो रही है. इसी कड़ी में एक बड़ी खबर सामने आई है. हाल ही में कोलकाता के एक मारवाड़ी बिजनेस परिवार ने मुंबई की एक बड़ी लॉ फर्म से संपर्क किया. वे अपने पारिवारिक समझौते में सख्त शेयर ट्रांसफर की शर्त जोड़ना चाहते थे. ऐसा इसलिए क्योंकि उनके एक बच्चे की शादी अगले महीने होने वाली है. वहीं, मुंबई के एक बिजनेस प्रमोटर ने बताया कि उन्होंने अपनी बेटियों के हक की रक्षा के लिए समझौते में डिटेल शेयर ट्रांसफर शर्तें शामिल की हैं.

मालिकाना हक हो सकता है प्रभावित

ईटी से बात करते हुए सिरिल अमरचंद मंगलदास लॉ फर्म के को-हेड ऋषभ श्रॉफ ने कहा, “अगर मजबूत सुरक्षा नहीं हो तो तलाक के कारण बिजनेस हिस्सेदारी पर दावा हो सकता है. इससे कंपनी का ढांचा और मालिकाना हक प्रभावित हो सकता है. यह पीढ़ियों से बने बिजनेस की स्थिरता को खतरे में डाल सकता है. विदेशी शादियों में मामला और जटिल हो जाता है, जहां कई देशों में शादी के बाद की संपत्ति में पति-पत्नी का 50:50 हिस्सा होता है.” वहीं मुंबई के एक प्रमोटर ने कहा, “आज की महिलाएं अपने हक के प्रति जागरूक हैं. वे सिर्फ घर संभालने या चुप रहने के लिए तैयार नहीं हैं. वे पढ़ी-लिखी हैं और अपने वैवाहिक घर की संपत्ति में हिस्सा चाहती हैं.”

एग्रीमेंट कर रहे हैं कई परिवार

कई परिवार अब प्रीनअप्शियल या पोस्टनअप्शियल एग्रीमेंट कर रहे हैं. अगर ये समझौते तलाक के कानून के खिलाफ हों तो वे मान्य नहीं होंगे, लेकिन ट्रस्ट और कंपनी के नियमों में सख्त शर्तें डालकर सुरक्षा संभव है. इससे बिजनेस के मैनेजमेंट और कंट्रोल पर असर कम होता है. यह कर्मचारियों, सप्लायर्स और लेंडर्स जैसे स्टेकहोल्डर्स के लिए भी जरूरी है.

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शेयरहोल्डर समझौतों में भी कर रहे हैं बदलाव

प्रमोटर अब वोटिंग अधिकार मजबूत कर रहे हैं और बायबैक नियम जोड़ रहे हैं. इससे शेयर परिवार से बाहर न जाएं. ये शर्तें कानूनी रूप से मान्य हैं और सूचीबद्ध व गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में लागू हो रही हैं. परिवार अपनी संपत्ति को सुरक्षित करने के लिए ट्रस्ट और शेयरहोल्डर समझौतों में बदलाव कर रहे हैं. खासकर शादी के मौसम में ऐसी प्लानिंग की मांग बढ़ रही है.

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