उत्तर प्रदेश में नीलाम हुई पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति की जमीन, कीमत जान हैरान हो जाएंगे आप

उत्तर प्रदेश में नीलाम हुई पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की जमीन. शत्रु संपत्ति के अंतर्गत जमीन की हुई नीलामी. कीमत जान हैरान हो जाएंगे आप.

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की जमीन उत्तर प्रदेश में हुई नीलाम Image Credit: Daniel Berehulak/Getty Images

उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के परिवार की जमीन की नीलामी हो गई. बागपत के बड़ौत तहसील के कोताना गांव में स्थित 13 बीघा जमीन को 1 करोड़ 38 लाख 16 हजार रुपये में नीलाम किया गया. इस जमीन को शत्रु संपत्ति के अंतर्गत बेचा गया है. प्रशासन की ओर से जमीन की आधार मूल्य 39 लाख रुपये रखी गई थी लेकिन ऑनलाइन लगने वाली बोली में इसे करोड़ों में बेचा गया.

किसको मिलेंगे पैसे?

बारुट के सब डिवीजन मजिस्ट्रेट अमर वर्मा ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि मुशर्रफ के दादा, बंटवारे से पहले कोताना में ही रहते थे. वर्मा ने कहा, “जहां तक बात पूर्व राष्ट्रपति की है, उनका जन्म दिल्ली में हुआ था लेकिन वो कभी भी गांव नहीं आए. मुशर्फ के पिता सइद मुशर्फुद्दिन और माता जरीन बेगम भी कभी गांव में नहीं रहे हैं. लेकिन उनके चाचा हुमायूं, कोताना में काफी समय तक रहे थे.” बता दें कि जमीन की नीलामी में मिले पैसे को संपत्ति अभिरक्षक विभाग के खाते में जमा कराया जाएगा. डिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट पंकज वर्मा ने बताया कि इस जमीन के खरीदारों को चार महीने में रुपये जमा कराने होंगे. पहले महीने में कुल रकम का 25 फीसदी हिस्सा जमा कराना होगा वहीं बचे हुए 75 फीसदी को तीन महीने में जमा कराना होगा.

क्या है इतिहास?

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो परवेज का परिवार भारत पाकिस्तान के बंटवारे से पहले बागपत के कोताना गांव में ही रहता था. बंटवारे के बाद परवेज का परिवार पाकिस्तान चला गया लेकिन उनकी हवेली और जमीन यहीं रह गए. परवेज की प्रॉपर्टी को 15 साल पहले शत्रु संपत्ति की सूची में शामिल कर दिया गया. बता दें कि 5 फरवरी 2023 को परवेज का निधन हो गया था.

क्या होती है शत्रु संपत्ति?

जैसा कि नाम से समझा जा सकता है. शत्रु संपत्ति यानी वह संपत्ति जो किसी दुश्मन का हो, लेकिन यहां पर शत्रु का मतलब किसी इंसान से नहीं बल्कि मुल्क से है. उदाहरण के लिए भारत पाकिस्तान के बंटवारे के बाद जो लोग पाकिस्तान चले गए, उनका घर, जमीन, हवेली जैसी बाकी संपत्तियों को शत्रु संपत्ति कहा जाता है. इसे बेचने का अधिकार केंद्र सरकार के पास होता है.