रिजर्व बैंक ने ब्याज दर घटाने का समर्थन करने वाले 3 MPC सदस्यों को बदला, क्या अब नहीं घटेंगी ब्याज दरें?
देश में बैंक की ब्याज दरों को नियंत्रित करने का काम रिजर्व बैंक की मौद्रिक समिति (एमपीसी) करती है. 9 अक्टूबर को एमपीसी की बैठक होनी है. ब्याज दरों में कटौती को लेकर इस बैठक से काफी उम्मीद है. बहरहाल, बैठक से ठीक पहले रिजर्व बैंक ने इस समिति के उन तीन सदस्यों को बदल दिया है, जो लगातार ब्याज दरों में कटौती का समर्थन कर रहे थे.

अमेरिका और चीन सहित दुनिया के कई बड़े देशों के केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती का एलान कर चुके हैं. चीन में ब्याज दर घटने का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी देखने को मिल रहा है. विदेशी निवेशक (FII) तेजी से भारतीय बाजार से पैसा निकालकर चीन के बाजार में निवेश कर रहे हैं. ऐसे में रिजर्व बैंक पर ब्याज दर घटाने का दबाव है. घरेलू मोर्चे पर भी महंगाई, औद्योगिक उत्पादन, पीएमआई जैसे डाटा बता रहे हैं कि देश में आर्थिक गतिविधियां सुस्त हो रही हैं. लेकिन, रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास फिलहाल ब्याज दरों में कटौती के इच्छुक नजर नहीं आ रहे हैं.
इस महीने ही मौद्रिक समिति की बैठक होनी है. इस बैठक से ठीक पहले समिति में शामिल उन तीन सदस्यों को बाहर कर दिया गया है, जो पिछले कुछ समय से ब्याज दरों में कटौती का समर्थन कर रहे थे. मौद्रिक नीति आम लोगों पर सीधा असर होता है. इससे ही तय होता है कि लोगों के होम लोन, कार लोन सहित तमाम ईएमआई उधारी पर जो ब्याज लगता है, वह घटेगा या बढ़ेगा. खासतौर पर मध्यम वर्ग पर ब्याज दरों का बड़ा असर पड़ता है.
कौन-कौन होता है एमपीसी में शामिल
इस समिति में कुल 6 सदस्य होते हैं. 3 सदस्य स्थायी या आंतरिक होते हैं और 3 बाहरी या अस्थायी. आंतरिक या स्थायी सदस्यों के तौर पर इस समिति में रिजर्व बैंक के गवर्नर, कैबिनेट सचिव और आर्थिक मामलों के सचिव शामिल होते हैं. इनमें अलावा तीन अर्थशास्त्री या विशेषज्ञ एक चयन समिति की तरफ से चुने जाते हैं.
किन्हें बाहर किया गया
नए सदस्यों को चुने जाने से पहले 6 सदस्यीय एमपीसी में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास, कैबिनेट सचिव टीवी सोमनाथन, आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ के साथ बाहरी सदस्यों के तौर पर शामिल जयंत वर्मा, आशिमा गोयल और शशांक भिडे को इस समिति से बाहर कर दिया गया है.
क्यों बाहर किया गया
भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम-1934 के तहत बाहरी सदस्यों को सीमित कार्यकाल के लिए चुना जाता है. इन तीनों सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो गया था. इसी वजह से इनकी जगह दूसरे सदस्यों को चुना गया है. इस समिति में तीन सदस्य रिजर्व बैंक और तीन सदस्य केंद्र सरकार की तरफ से नियुक्त किए जाते हैं. एमपीसी के बाहरी सदस्यों को चार साल की अवधि के लिए नियुक्त किया जाता है.
किन्हें किया गया शामिल
एमपीसी के सलेक्शन पैनल की तरफ से समिति में बाहरी सदस्यों के तौर पर राम सिंह, सौगत भट्टाचार्य और नागेश कुमार को चुना है. 17 अक्टूबर को होने वाली बैठक में ये तीनों सदस्य शामिल होंगे. रिजर्व बैंक के गवर्नर, भारत सरकार के कैबिनट सचिव व आर्थिक सचिव के साथ मिलकर ये तीनों तय करेंगे कि देश में ब्याज दरें घटेंगी या नहीं.
कौन हैं नए चुने गए सदस्य
नए चुने गए सदस्यों में शामिल प्रो. राम सिंह दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के निदेशक हैं. सौगत भट्टाचार्य एक अर्थशास्त्री हैं. वहीं, डॉ. नागेश कुमार औद्योगिक विकास अध्ययन संस्थान के निदेशक हैं.
बेहद अहम होगी बैठक
एमपीसी की 9 अक्टूबर को होने वाली बैठक बेहद अहम होगी. क्योंकि, ज्यादातर संकेतक ब्याज दरों को घटाने के अनुकूल हैं. रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में 18 महीने से कोई बदलाव नहीं किया है. शक्तिकांत दास महंगाई दर के 4 फीसदी से नीचे आने पर ही ब्याज दर में ढील देने की बात करते रहे हैं. पिछले दो महीने से लगातार महंगाई 4 फीसदी से नीचे बनी हुई है. यहां तक महंगाई अगस्त 2019 के बाद से सबसे कम स्तर पर है. ऐसे में अब कोई भी ऐसा बड़ा कारण नजर नहीं आता है, जिसके चलते ब्याज दरों में कटौती का एलान न किया जाए.
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