शक्तिकांत दास की चेतावनी, शॉर्ट सेलरों के निशाने पर कॉमर्शियल प्रॉपर्टी के लिए ज्यादा कर्ज देने वाले बैंक

सिंगापुर में ब्रेटन वुड्स कमेटी के फ्यूचर ऑफ फाइनेंस फोरम में बोलते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने वाणिज्यिक संपत्तियों को ज्यादा कर्ज देने के जोखिम को लेकर बैंकों को चेताया है. दास ने कहा कि इस तरह का ज्यादा एक्सपोजर रखने वाले बैंक शॉर्ट सेलरों के निशाने पर आ सकते हैं.

एक सम्मेलन में बोलते हुए शक्तिकांत दास. Image Credit: RBI

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में बड़ा निवेश करने वाले बैंकों को चेतावनी दी है कि ऐसे बैंक शॉर्टसेलरों के निशाने पर आ सकते हैं. सिंगापुर में ब्रेटन वुड्स कमेटी के फ्यूचर ऑफ फाइनेंस फोरम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह की संपत्तियों के घाटे में आने से बैंकों पर बड़ा बोझ पड़ सकता है. आखिर में यह बोझ बैंकों के लिए घाटे का सौदा साबित होता है और शॉर्ट सेलर इसे भांपकर ऐसें बैंको को निशाना बना सकते हैं.

उन्होंने कहा कि बैंक चाहे कर्ज के तौर पर या निवेश के तौर एक सीमा से ज्यादा कॉमर्शियल रियल एस्टेट (सीआरई) का एक्सपोजर रखते हैं, तो इससे अप्रत्याशित सीआरई घाटे के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं. इसके अलावा बड़े सीआरई जोखिम वाले बैंकों के लिए नगदी की कमी हो सकती है, क्योंकि शॉर्ट सेलर्स उन्हें निशाना बना सकते हैं. जाहिर है कि ऐसे हालात में निवेशकों का भरोसा और कम हो जाएगा. लिहाजा, बैंकों को इस मसले पर सतर्क रहने और समय से पहले नियामक उपायों को अपनापे पर जोर देना होगा. यही वह तरीका है, जिससे बैंक अपनी बैलेंस शीट और प्रणालीगत स्थिरता के जोखिमों को कम कर सकते हैं.

शक्तिकांत दास ने कहा कि भारतीय बैंक सीआरई के लिए तेजी से कर्ज का एक्सपोजर बढ़ा रहे हैं. इससे रियल एस्टेट बाजार में नए सिरे से भरोसा दिखाई दे रहा है. रिजर्व बैंक के मई के आंकड़ों के मुताबिक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCB) के सीआरई पोर्टफोलियो में साल-दर-साल (YOY) 22.94% की वृद्धि हुई है. यइ मार्च 2024 तक 3.96 लाख करोड़ तक पहुंच गया. बीते वर्षों से इसकी तुलना करें, तो इसमें भारी उछाल देखने को मिला है. मोटे तौर पर बैंकों ने मार्च 2023 और मार्च 2024 के बीच सीआरई को 74,006 करोड़ रुपये का कर्ज दिया है. जबकि, मार्च 2022 से मार्च 2023 के बीच यह रकम 25,342 करोड़ रुपये थी. भारत में यह वृद्धि बेहतर विनियमन, डेवलपर्स की कर्ज मुक्ति और रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (REIT) से प्रेरित है.

शक्तिकांत दास ने कहा कि असल में संपत्तियों के मूल्य या तरलता के आधार पर ऋण देना जोखिम भरा होता है, क्योंकि ये क्षेत्र मूल्य परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील होते हैं. इससे रियल एस्टेट में बबल भी बन सकता है. वित्तीय स्थिरता पर इसके संभावित प्रभाव के कारण नियामक भी बारीकी से नजर रखते हैं. बहरहाल, शक्तिकांत दास ने इस मुद्दे पर तब बात की है, जब रिजर्व बैंक रियल एस्टेट परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए नए नियम लागू करने की भी योजना बना रहा है. हालांकि, बैंकों के मुनाफे को नुकसान पहुंचाए बिना ही इन बदलावों को लागू करने में थोड़ा समय लग सकता है.