IAF की ताकत पर ब्रेक! तेजस Mk1A-ध्रुव लेट, सुखोई अधर में; जानें एयर चीफ का गुस्सा और HAL कनेक्शन
भारतीय वायुसेना प्रमुख ने हाल ही में एक ऐसा बयान दिया है जिसने देश के रक्षा तंत्र को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. यह सिर्फ तकनीकी खामी की बात नहीं है. मामला समयसीमा, भरोसे और रणनीतिक तैयारियों से जुड़ा है. जानिए आखिर किस प्रोजेक्ट पर बवाल मचा है...
देश के वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने हाल ही में रक्षा परियोजनाओं में हो रही लगातार देरी को लेकर सार्वजनिक मंच से चिंता जताई है. एयर चीफ का बयान एक गंभीर चेतावनी है. दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत की रक्षा खरीद और निर्माण प्रणाली (Construction System) में जवाबदेही और समयबद्धता की भारी कमी है. उन्होंने कहा, “अक्सर हमें अनुबंध साइन करते समय ही पता होता है कि वह सिस्टम कभी आएगा ही नहीं. ऐसा एक भी प्रोजेक्ट नहीं है जो समय पर पूरा हुआ हो.” एयर चीफ की यह नाराजगी अचानक नहीं आई है, बल्कि इसके पीछे HAL और अन्य एजेंसियों द्वारा वर्षों से चली आ रही परियोजनाओं में देरी की लंबी सूची है.
तेजस की उड़ान में देरी, भरोसा डगमगाया
तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) भारतीय वायुसेना के भविष्य की रीढ़ माना जा रहा है लेकिन तेजस की डिलीवरी में लगातार देरी ने वायुसेना की स्ट्रेंथ को प्रभावित किया है. एयर चीफ ने फरवरी 2025 तक एक भी तेजस Mk1A विमान तैयार न होने पर गहरी नाराजगी जताई थी. HAL ने बिना इंजन वाले 11 विमानों की तैयारी का भरोसा दिया था, लेकिन वह भी पूरे नहीं हो सके.
इस देरी की एक बड़ी वजह GE Aerospace द्वारा GE F404 इंजन की डिलीवरी में देरी रही, जो मार्च 2023 में होनी थी लेकिन अब तक नहीं हो पाई. सरकार ने GE पर पेनल्टी भी लगाई है. इसके बावजूद यह लेट ही है.
सुपरसोनिक लड़ाकू विमान Su-30MKI का अपग्रेड भी अधर में
Su-30MKI भारतीय वायुसेना का सबसे विश्वसनीय लड़ाकू विमान रहा है, लेकिन इसका अपग्रेड वर्षों से चर्चा में है और अब तक ठोस प्रगति नहीं हुई है. नया AESA रडार (एडवांस रडार), आधुनिक एवियोनिक्स और हथियार प्रणाली जोड़ने की योजनाएं वर्षों से पाइपलाइन में हैं, लेकिन अभी तक कुछ ठोस जमीन पर नहीं उतर सका है. तकनीकी रूप से यह विमान 1990 के दशक की सोच पर आधारित है और आज की जरूरतों के हिसाब से काफी पीछे है.
ALH ध्रुव की सिविलियन वर्जन को EASA सर्टिफिकेशन में 10 साल लगे
HAL ने अपने Advanced Light Helicopter (ALH) ध्रुव के सिविलियन वर्जन (Helicopter 1) के लिए यूरोप की एविएशन सेफ्टी एजेंसी (EASA) से सर्टिफिकेशन हासिल करने में 10 साल लगा दिए. 2000 के दशक की शुरुआत में शुरू हुई यह प्रक्रिया 2014 में पूरी हो पाई.
IMRH प्रोजेक्ट को अभी तक नहीं मिली मंजूरी
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय मल्टी-रोल हेलिकॉप्टर (IMRH) परियोजना पर अभी तक सरकार की मंजूरी ही नहीं मिल पाई है. HAL ने प्रोटोटाइप और प्रोडक्शन टाइमलाइन तय की है, लेकिन प्रोजेक्ट 2030-31 से पहले उत्पादन स्तर तक पहुंचता नहीं दिख रहा. यह देरी इस ओर इशारा करती है कि रक्षा मंत्रालय और HAL के बीच रणनीतिक समन्वय की कमी किस हद तक फैसले लेने की प्रक्रिया को धीमा कर रही है.
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एयर चीफ का संदेश: वक्त रहते नहीं सुधरे तो कीमत देश चुकाएगा
एयर चीफ मार्शल सिंह का यह कहना कि “ऐसे वादे क्यों किए जाते हैं जो पूरे नहीं हो सकते?” यह सवाल सिर्फ जवाबदेही का नहीं, बल्कि सेना की तैयारियों और राष्ट्रीय सुरक्षा का है.
ऐसे वक्त में ये सवाल उठना कि “जब लड़ाकू विमान समय पर नहीं मिलेंगे, अपग्रेड अधर में लटकेंगे, हेलिकॉप्टरों की प्रमाणिकता में सालों लगेंगे और नई परियोजनाओं को स्वीकृति में दशक लग जाएंगे तो फिर ऐसे में वायुसेना को मजबूत कैसे किया जा सकता है?” फिर तो एयर चीफ का सवाल लाजमी है.