इंश्योरेंस से हटा GST, 22 सितंबर के बाद रिन्यूअल पर भी होगा फायदा! क्या इनपुट क्रडिट टैक्स बिगाड़ेगा खेल, दूर करें सारे कंफ्यूजन
पॉलिसीहोल्डर्स को राहत देने के लिए सरकार ने हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर लगने वाले 18 फीसदी जीएसटी को हटाए जाने का फैसला किया है, जो 22 सितंबर से लागू होगा. मगर जीएसटी हटने से बीमा कंपनियों पर इसका बोझ बढ़ेगा, ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वाकई बीमाधारकों को इसका फायदा मिलेगा.

GST cut on Insurance: कोविड के बाद से देश में हेल्थ इंश्योरेंस और लाइफ इंश्याेरेंस की मांग काफी बढ़ी है. जिसकी वजह से तेजी से लोगों ने हेल्थ इंश्योरेंस लिया है. मगर इसके महंगे होते प्रीमियम के चलते लोगों की जेब पर बोझ बढ़ रहा है. इससे राहत देने के लिए हाल ही में सरकार ने GST काउंसिल की 56वीं बैठक में बड़ा फैसला किया. काउंसिल ने हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियों से 22 सितंबर से GST नहीं लगने का ऐलान किया. इससे बीमाधारकों को बड़ी राहत मिली है. इससे उन पर टैक्स का अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा. मगर यहां सवाल उठता है कि क्या सरकार से दी गई ये राहत वाकई बीमाधारकों तक पहुंचेगी या नहीं.
दरअसल इंश्योरेंस से GST हटाए जाने से बीमा कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का नुकसान होगा. तो इंश्योरेंस कंपनियां इसकी भरपाई कैसे करेंगी, क्या वो पॉलिसी महंगी करेंगे या वाकई बीमाधारकों को 22 सितंबर के बाद छूट मिलेगी. इंश्योंरेस पर GST को लेकर लोगों के मन में कई सवाल हैं.
GST से जुड़े सवाल और जवाब
- 22 सितंबर से पहले रिन्युअल: चाहे आप प्रीमियम पहले भरें या बाद में, जीएसटी लगेगा.
- ग्रेस पीरियड: कोई राहत नहीं, पॉलिसी की इश्यू डेट को ही रेफर किया जाएगा.
- 22 सितंबर के बाद रिन्युअल: अब कोई जीएसटी नहीं.
- मल्टी-ईयर प्रीमियम पहले ही भर चुके हैं? रिफंड की संभावना नहीं.
- फ्री-लुक पीरियड में नई पॉलिसी? रद्द कर फिर से खरीदनी होगी, जो 22 सितंबर के बाद जीएसटी मुक्त होगी.
22 सितंबर से पहले नहीं मिलेगी राहत
सरकार ने हेल्थ और लाइफ इश्योरेंस पर GST न लगाए जाने का जो फैसला किया है, वो 22 सितंबर से लागू होगा. इसलिए जिन लोगों को इसका प्रीमियम 22 सितंबर से पहले देना है या प्लान रिन्यूअल कराना है, उन्हें इस कटौती का कोई फायदा नहीं मिलेगा. ना ही उन्हें इसमें किसी कोई ग्रेस पीरियड मिलेगा. इस दौरान पॉलिसी की इश्यू डेट को ही रेफर किया जाएगा. हालांकि 22 सितंबर के बाद इस पर किसी तरह का GST नहीं लगेगा. वहीं जिन लोगों ने मल्टी-ईयर प्रीमियम पहले ही भर चुके हैं, उनके रिफंड की भी कोई संभावना नहीं है.
महज 13 फीसदी तक मिल सकता है फायदा
अभी तक हेल्थ इश्योरेंस पर 18 फीसदी GST लग रहा था. मगर इसे हटाए जाने के बाद से बीमाधारकों को तो फायदा होगा, लेकिन बीमा कंपनियों का घाटा बढ़ जाएगा. क्योंकि इनपुट क्रेडिट टैक्स जो वे पॉलिसीहोल्डर से हासिल करते थे, इसमें नुकसान होगा. उनके खर्च बढ़ जाएंगे.
- उदाहरण के तौर पर समझें तो अगर बीमाकर्ता ITC नुकसान खुद झेलते हैं तो 100 रुपये बेस प्रीमियम पर अब ग्राहक को ₹100 (पहले ₹118) देना होगा.
- अगर बीमाकर्ता 5% बढ़ाकर बोझ साझा करते हैं तो वही प्रीमियम ₹105 तक पहुंच सकता है.
ऐसे में मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक जानकाराें का अनुमान है कि बीमा कंपनियां 5 फीसदी तक पॉलिसी महंगी कर सकती हैं, जिससे पॉलिसीहोल्डर काे GST कटौती से महज 13 फीसदी तक का ही फायदा मिल सकता है.
अहम बातें
- ग्रुप बिजनेस से जुड़े खर्च पर अभी भी जीएसटी क्रेडिट मिलेगा.
- एनआरआई को बेची गई पॉलिसियां “एक्सपोर्ट” मानी जाएंगी, वहां का खर्च भी एडजस्ट होगा.
- प्रीमियम घटने से पॉलिसियों की डिमांड बढ़ने की संभावना है.
- हॉस्पिटल्स पर भी जीएसटी कटौती हुई है, जिससे क्लेम रेश्यो बेहतर हो सकते हैं.
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