IPO में क्या है शेयर अलॉटमेंट का असली खेल, इन 5 गलतियों की वजह से नहीं मिलते शेयर, ऐसे करें अप्लाई, बढ़ेगा चांस

जब भी कोई नया आईपीओ आता है, निवेशकों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिलता है. लाखों लोग शेयर पाने की उम्मीद में आवेदन करते हैं, लेकिन ज्यादातर को निराशा ही मिलती है. आखिर ऐसा क्यों होता है? शेयर अलॉटमेंट की प्रक्रिया क्या है और आप अपनी सफलता की संभावना कैसे बढ़ा सकते हैं.

IPO Share Allotment Image Credit: @AI/Money9live

IPO Share Allotment: प्राइमरी मार्केट में जब भी कोई कंपनी अपना आईपीओ लाती है, तो लाखों निवेशक उम्मीद लगाकर आवेदन करते हैं. लेकिन ज्यादातर लोगों को निराशा हाथ लगती है. शेयर अलॉट ही नहीं होते. अगर आप भी बार-बार आईपीओ में अप्लाई करते हैं और लॉटरी में नाम नहीं आता, तो आपको ये जानना बेहद जरूरी है कि ऐसा क्यों होता है. आज हम बताएंगे कि आखिर शेयर अलॉट क्यों नहीं होते और आप ऐसा क्या करें कि आपकी अलॉटमेंट की संभावना कई गुना बढ़ जाए.

IPO ओवरसब्सक्रिप्शन और कंप्यूटराइज्ड लॉटरी

ज्यादातर मामलों में आईपीओ में शेयर इसलिए नहीं मिलते क्योंकि आवेदनों की संख्या जारी किए गए शेयरों से कई गुना ज्यादा होती है. इसे ओवरसब्सक्रिप्शन कहते हैं. उदाहरण के लिए अगर कंपनी 10 लाख शेयर जारी करती है और 1 करोड़ आवेदन आते हैं, तो आईपीओ 10 गुना सब्सक्राइब हो जाता है. अब 10 में किसी एक निवेशक को ही कंपनी के शेयर मिलेंगे.

ऐसे में कंपनी सभी को शेयर नहीं दे सकती. इसलिए SEBI के नियमों के तहत कंप्यूटराइज्ड लॉटरी होती है जिसमें हर आवेदक को बराबर मौका मिलता है. रिटेल कैटेगरी में 2 लाख रुपये तक के आवेदन में सिर्फ एक लॉट ही अलॉट होता है, चाहे आपने 10 लॉट ही क्यों ना मांगे हों.

गलत या इनवैलिड आवेदन

कई बार तकनीकी गलतियों की वजह से आवेदन ही रिजेक्ट हो जाता है. रजिस्ट्रार हर आवेदन को स्कैन करता है. आवेदन रिजेक्ट होने की कुछ वजह ये हो सकते हैं-

  • एक ही PAN से एक से ज्यादा आवेदन
  • नाम, बैंक डिटेल या PAN में मिसमैच
  • फॉर्म में गलत जानकारी
  • ऐसे आवेदनों को बिना बताए रिजेक्ट कर दिया जाता है.
  • बिड प्राइस कट-ऑफ से कम रखना

बुक बिल्डिंग आईपीओ में आपको प्राइस बैंड में अपनी बोली लगानी होती है. अगर आपने कम प्राइस पर बोली लगाई और फाइनल इश्यू प्राइस उससे ऊपर तय हुआ, तो आपका आवेदन अपने आप अयोग्य हो जाता है.

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अलॉटमेंट की संभावना कैसे बढ़ाएं?

  1. आवेदन फॉर्म दो बार चेक करें. छोटी सी गलती भी पूरा आवेदन रिजेक्ट करवा सकती है.
  2. बड़ा आवेदन बिल्कुल न करें. 2 लाख रुपये से कम के सभी रिटेल आवेदनों को बराबर मौका मिलता है. ज्यादा लॉट लगाने से कोई फायदा नहीं, उल्टा पैसा ब्लॉक होता है.
  3. ओवरसब्सक्राइब्ड आईपीओ में परिवार के अलग-अलग डीमैट खातों से अप्लाई करें. हर PAN अलग आवेदन कर सकता है. जितने ज्यादा वैलिड आवेदन, लॉटरी में उतने ज्यादा चांस.
  4. हमेशा कट-ऑफ प्राइस पर अप्लाई करें. इससे आप कभी भी कम बिड की वजह से बाहर नहीं होंगे. अगर इश्यू प्राइस कम हुआ तो अतिरिक्त पैसा वापस आ जाता है.
  5. आखिरी दिन का इंतजार न करें. बैंकिंग सर्वर डाउन या इंटरनेट समस्या की वजह से आवेदन मिस हो सकता है. एक दिन पहले ही अप्लाई कर दें.
  6. अगर पैरेंट कंपनी लिस्टेड है तो उसके शेयर खरीदें. कई आईपीओ में मौजूदा शेयरहोल्डर्स को अलग कैटेगरी में ज्यादा चांस मिलता है.

लॉट साइज क्या होता है?

आईपीओ में आप एक-दो शेयर के लिए नहीं, बल्कि लॉट में अप्लाई करते हैं. कंपनी तय करती है कि एक लॉट में कितने शेयर होंगे (उदाहरण: 148 शेयर). आपको कम से कम एक लॉट ही अप्लाई करना होता है.

100% गारंटी कोई नहीं दे सकता क्योंकि रिटेल कैटेगरी में अंत में लॉटरी ही चलती है. लेकिन ऊपर बताए गए तरीके अपनाने से आप अपनी संभावना को कई गुना बढ़ा सकते हैं. अगले आईपीओ से पहले इन बातों का ध्यान रखें. शेयर अलॉटमेंट की निराशा कम होगी और खुशी के चांस बढ़ जाएंगे.

डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.