दूध-दही बेच Milky Mist कमा रही 2300 करोड़, इन स्मार्ट तरीकों से मुनाफा डबल, IPO से पहले जानें कमाई का फॉर्मूला
पनीर, चीज और दही... पर इन तीनों के अलावा ये कंपनी उस प्रोडक्ट से भी करती है कमाई जिसे बाकी डेयरी फर्म फेंक देते हैं. साथ ही, कंपनी के ट्रक सिर्फ दूध ही नहीं लाते, मुनाफा भी ले जाते हैं. IPO की तैयारी में लगी इस दक्षिण भारतीय कंपनी की दो चालों ने उसे स्मार्ट दिखा दिया है.

Milky Mist IPO: साउथ इंडिया की पॉपूलर डेयरी कंपनी मिल्की मिस्ट (Milky Mist) शेयर मार्केट में दस्तक देने को तैयार है. 1997 में तमिलनाडु में शुरू हुई मिल्की मिस्ट 2000 करोड़ रुपये के IPO के जरिए सार्वजनिक हो रही है. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि कंपनी ने किन दो रणनीतियों से अपने कलेक्शन, ट्रांसपोर्ट और प्रोडक्शन खर्चों को कम किया, ताकि पतली मार्जिन वाली इस इंडस्ट्री में वह टिक कर उभर सके.
भारतीय डेयरी बाजार की रूपरेखा
भारत में डेयरी मार्केट की शुरुआत खेतों से होती है. लगभग 65 प्रतिशत दूध स्थानीय कलेक्टर, मिल्कमैन और स्वीट शॉप्स के जरिए चलता है, जबकि बाकी बहुमत सहकारी समितियों जैसे अमूल या निजी डेयरीज के पास जाता है. इन कंपनियों के पास क्वॉलिटी सर्टिफिकेट के साथ-साथ फैट कंटेंट के हिसाब से भुगतान करने की व्यवस्था होती है.
मौसम, चारे की कीमत और त्योहारों की मांग में उतार-चढ़ाव के चलते कच्चे दूध के भाव किसानों को समय-समय पर बदलकर मिलते हैं. लेकिन शहरी उपभोक्ता को मिलने वाला दाम स्थिर रहता है क्योंकि राज्य सरकारें चुनावी माहौल के कारण दूध के रेट पर सतर्क रहती हैं. इस असंतुलन से डेयरी कंपनियों को छोटे मार्जिन में काम करना पड़ता है.
मिल्की मिस्ट का स्मार्ट कलेक्शन और ट्रांसपोर्ट समाधान
दूध तीन घंटे बिना ठंडक के खराब हो सकता है. ऐसे में ट्रांसपोर्ट और कलेक्शन किसी डेयरी कंपनी के लिए जान-माल दोनों की सुरक्षा जैसा है. इस मुश्किल से निपटने के लिए कंपनियां दूध के ट्रांस्पोर्ट के लिए रेफ्रीजरेटर ट्रक का इस्तेमाल करती हैं.
मिल्की मिस्ट ने अपने DRHP में दावा किया है कि स्मार्ट तरीके अपनाकर उन्होंने ट्रकों को रिटर्न यात्रा में खाली नहीं जाने दिया. जब वे गांवों से दूध ले जा कर फिनिश्ड प्रोडक्ट्स डिलीवर करते हैं तब रिटर्न पर वही ट्रक पनीर, दही या चीज लेकर वापस आते हैं. इससे ट्रांसपोर्ट खर्च कम होता है और किसान को बेहतर भाव दिया जा सकता है. कंपनी का दावा है कि 2025 तक इस मॉडल ने मिल्की मिस्ट को इंडस्ट्री में सबसे कम ट्रांसपोर्ट कॉस्ट वाली कंपनी बना दिया है.
प्रोडक्शन में भी इस्तेमाल की स्मार्ट स्ट्रैटजी
प्रक्रिया शुरू होती है दूध की पास्चराइजिंग से, फिर सेंट्रीफ्यूज द्वारा क्रीम अलग होती है और स्टैंडर्डाइजिंग से हर बैच की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाती है. इस कच्चे दूध से मिल्की मिस्ट नियमित मिल्क पाउच के अलावा दही, बटर, चीज, चीज पाउडर और डेजर्ट्स तैयार करता है. वैल्यू ऐडेड प्रोडक्ट्स में मार्जिन अधिक होता है, जहां एक लीटर दूध में करीब एक रुपये का प्रॉफिट रहता है, वहीं चीज में यह लगभग तीन रुपये प्रति लीटर तक पहुंच जाता है. इसलिए कंपनी रेगुलर मिल्क पर स्पेशलाइज्ड होने के बजाय पनीर, चीज और अन्य डेयरी प्रोडक्ट से अपना मुख्य इनकम लेती है.

इसके अलावा इसने एक और स्मार्ट तरीका अपनाया है. पनीर प्रोडक्शन के वक्त तो लिक्विड फॉम बच जाता है, जो असल में Whey होता है, अन्य कंपनियां इसे सस्ता पशु चारा के तौर पर बेच देती हैं वहीं मिल्की मिस्ट इस Whey को Whey protein में तब्दील कर बाजार में मंहगे दामों में बेचती है. इस अपशिष्ट से मिलने वाले प्रॉफिट से कंपनी का कुल मार्जिन और मजबूत होता है.
कैसी है कंपनी की फाइनेंशियल
कंपनी का रेवेन्यू लगातार तीन साल से बढ़ रहा है. 2023 में जहां मिल्की मिस्ट ने 1,398.95 करोड़ रुपये की बिक्री की थी, वहीं 2024 में यह बढ़कर 1,826.86 करोड़ रुपये हो गई और 2025 में 2354.79 करोड़ रुपये तक पहुंच गई. यानि दो साल में लगभग 70 फीसदी की ग्रोथ. लेकिन मुनाफे की बात करें तो इसमें उतार-चढ़ाव रहा. 2023 में कंपनी ने 27.23 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया था, जो 2024 में घटकर ₹19.44 करोड़ रह गया, लेकिन 2025 में उछलकर 46.07 करोड़ रुपये तक पहुंच गया.
यह भी पढ़ें: इस बिजली कंपनी के शेयरों पर कहर! 26% टूटा स्टॉक, CERC के किस फैसले से मंडराया बिजनेस मॉडल पर खतरा
कमाई के साथ कंपनी के पास मौजूद संपत्तियों (assets) में भी इजाफा हुआ. 2023 में 1,289.42 करोड़ रुपये से बढ़कर 2025 में 2150.59 करोड़ रुपये हुई. हालांकि इसके साथ कंपनी का कुल कर्ज भी तीन साल में काफी बढ़ा है, 2023 में 798.06 करोड़ रुपये से 2025 में 1,376.38 करोड़ रुपये तक. यानी जहां कमाई बढ़ी है, वहीं लोन पर निर्भरता भी बढ़ी है.
EBITDA यानी ब्याज, टैक्स, डिप्रिसिएशन और एमार्टाइजेशन से पहले की कमाई भी बेहतर हुई है, 2023 में 201.39 करोड़ से बढ़कर 2025 में 310.35 करोड़ रुपये हो गई. नेट वर्थ (कंपनी की कुल संपत्ति से कर्ज हटाने के बाद की वैल्यू) भी तीन साल में 177.37 करोड़ से बढ़कर 242.77 करोड़ रुपये हो चुकी है.
डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल IPO और उससे जुड़ी कंपनी की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.
Latest Stories

NSDL IPO Review : दांव लगाने से पहले जान लें कंपनी की खामियां और खूबियां, क्या है ब्रोकरेज की राय?

Shanti Gold vs Brigade Hotel IPO: रिटेल निवेशकों की लगी होड़! कौन देगा तगड़ा रिटर्न? जानें किसका GMP ज्यादा

Aditya Infotech IPO के GMP में तूफानी तेजी, SBI सिक्योरिटीज ने कहा ‘मत लगाओ पैसे’, जानें क्या है कहानी
