क्या आप भी Active और Passive Funds में कन्फ्यूज हैं? जान लीजिए किसकी क्या है खासियत

भारत में Mutual Fund निवेश तेजी से बढ़ने के साथ ही Active और Passive Funds को लेकर निवेशकों की उलझन भी बढ़ी है. Active Funds में फंड मैनेजर बाजार की स्थिति के अनुसार पोर्टफोलियो में बदलाव करता है और अधिक रिटर्न की सम्भावना होती है, जबकि Passive Funds Nifty50, Sensex जैसे Index को फॉलो करते हुए कम जोखिम और स्थिर प्रदर्शन देते हैं.

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Active Funds vs Passive Funds: भारत में Mutual Fund निवेश लगातार बढ़ रहा है. इस बढ़ोतरी के साथ एक अहम सवाल भी अक्सर उठता है कि Active Funds बेहतर हैं या Passive Funds? दोनों ही कैटेगरी अपने निवेश स्ट्रक्चर, रिस्क मैनेजमेंट और संभावित मुनाफे में काफी अलग हैं. एक्टिव फंड्स में फंड मैनेजर स्टॉक्स को चुनने से लेकर पोर्टफोलियो में बदलाव तक हर निर्णय लेता है, जबकि पैसिव फंड्स केवल किसी लोकप्रिय इंडेक्स जैसे Nifty50 या Sensex को फॉलो करते हैं.

Active Mutual Funds: अधिक जोखिम

एक्टिव फंड्स उन निवेशकों के लिए सही माने जाते हैं जो बाजार को मात देने यानी इंडेक्स से अधिक रिटर्न अर्जित करने का लक्ष्य रखते हैं. इन योजनाओं में फंड मैनेजर लगातार बाजार की स्थिति पर नजर रखते हुए पोर्टफोलियो में बदलाव करता है. यही एक्टिव फंड की मुख्य ताकत भी है और जोखिम का प्रमुख कारण भी.

कब चुनें Active Funds?

  • जब लक्ष्य हो अधिक रिटर्न कमाना: यदि आप एक आक्रामक निवेशक हैं और आपका लक्ष्य बाजार के औसत से ऊपर रिटर्न पाना है, तो एक्टिव फंड आपके लिए सही विकल्प हो सकता है.
  • जब किसी थीम या सेक्टर पर भरोसा हो: कई बार कंपनियां किसी खास थीम या सेक्टर पर आधारित फंड लॉन्च करती हैं. ऐसा फंड तभी फायदेमंद होता है जब निवेशक को उस सेक्टर की मजबूत बढ़ोतरी सम्भावना पर भरोसा हो.
  • जब फंड मैनेजर का रिकॉर्ड बेहतरीन हो: यदि किसी फंड को ऐसा फंड मैनेजर संभाल रहा है जिसकी पिछली उपलब्धियां शानदार रही हों, तो उस फंड में विश्वास बढ़ जाता है. जैसे HDFC AMC में Prashant Jain का नाम लंबे समय तक निवेशकों के बीच प्रदर्शन के कारण जाना जाता था.

विशेषज्ञों का मानना है कि एक्टिव फंड में जोखिम ज्यादा होता है क्योंकि सभी निर्णय फंड मैनेजर के विवेक पर आधारित होते हैं.

Passive Mutual Funds: कम जोखिम

पैसिव फंड्स उन निवेशकों के लिए सही माने जाते हैं जिन्हें स्थिरता और कम जोखिम पसंद होता है. इन योजनाओं में फंड मैनेजर कोई स्वतंत्र निर्णय नहीं लेता, बल्कि फंड केवल Nifty50, Sensex, Nifty100 जैसे इंडेक्स को उसी अनुपात में फॉलो करता है.

कब चुनें Passive Funds?

  • जब आप एक सतर्क निवेशक हों: यदि आप बाजार की उतार-चढ़ाव से दूरी बनाना चाहते हैं और अपेक्षाकृत कम जोखिम लेना पसंद करते हैं, तो पैसिव फंड्स एक सुरक्षित विकल्प है.
  • जब लक्ष्य हो लंबी अवधि में बड़ा पोर्टफोलियो बनाना: यदि आप मानते हैं कि आने वाले वर्षों में इंडेक्स मजबूत प्रदर्शन करेगा और आपका उद्देश्य पोर्टफोलियो को 5X या 10X बढ़ाना है, तो पैसिव फंड्स आपके लिए सटीक विकल्प हो सकता है.
  • जब किसी इंडेक्स पर भरोसा हो: कई निवेशक NiftyMidCap100 या Nifty100 जैसे इंडेक्स की लंबी अवधि की क्षमता पर भरोसा कर पैसिव फंड्स चुनते हैं.

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