₹1 लाख बना ₹8 लाख! टाटा इक्विटी पीई फंड ने दिखाया कंपाउंडिंग का जादू
एक म्यूचुअल फंड स्कीम ने दिखाया निवेश का कमाल, जहां कंपाउंडिंग की ताकत से रकम कई गुना बढ़ गई. जानिए कैसे इस स्कीम ने निवेशकों को शानदार रिटर्न्स दिए हैं.

म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले ज्यादातर निवेशक पिछले कुछ सालों के रिटर्न्स की जांच करते हैं. साथ ही निवेशकों को यह भी सलाह दी जाती है कि आप स्कीम लॉन्च के बाद से हुए रिटर्न्स की भी जांच करें.
जब आपका पैसा लंबे समय तक निवेशित रहता है, तो यह कई गुना बढ़ सकता है. खासकर निवेश की अवधि के बाद के वर्षों में इसका लाभ ज्यादा मिलता है. शुरुआत के वर्षों के रिटर्न्स आपके मूलधन में जुड़ जाते हैं, जिससे आखिरी वर्षों में रिटर्न्स और अधिक बढ़ते हैं. इस प्रक्रिया को ‘कंपाउंडिंग’ कहते हैं.
टाटा इक्विटी पीई फंड का उदाहरण
कंपाउंडिंग का उदाहरण समझने के लिए हमने टाटा इक्विटी पीई फंड का प्रदर्शन देखा. अगर एक साल पहले किसी निवेशक ने इस स्कीम में ₹1 लाख निवेश किया होता, तो वह राशि अब ₹1.52 लाख हो जाती, जो 52.02 प्रतिशत की बढ़त है.
- तीन साल में ₹1 लाख की राशि 28.25 प्रतिशत की दर से बढ़कर ₹2.11 लाख हो जाती.
- पांच साल पहले ₹1 लाख निवेश करने पर यह 25.08 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़कर ₹3.06 लाख हो जाती.
- अगर निवेश दस साल के लिए किया गया होता, तो ₹1 लाख की राशि 17.56 प्रतिशत की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) से बढ़कर ₹5.04 लाख हो जाती.
अगर किसी निवेशक ने इस स्कीम के लॉन्च (29 जून, 2004) के तुरंत बाद निवेश किया होता, तो उनका ₹1 लाख निवेश 19.79 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़कर ₹8.09 लाख हो जाता.
स्कीम की और जानकारी
टाटा इक्विटी पीई फंड एक वैल्यू-आधारित निवेश योजना है. यह स्कीम 70 प्रतिशत से अधिक पैसा उन कंपनियों के इक्विटी और इक्विटी से जुड़े साधनों में निवेश करती है, जिनका P/E अनुपात S&P BSE Sensex के P/E अनुपात से कम होता है.
इस फंड के प्रमुख 10 स्टॉक्स में HDFC बैंक, BPCL, कोटक महिंद्रा बैंक, कोल इंडिया, NTPC, ITC, इंडस टावर्स, विप्रो, ICICI बैंक और PFC शामिल हैं (31 जुलाई, 2024 तक के आंकड़ों के अनुसार).
इस स्कीम के फंड मैनेजर सोनम उदासी और अमेय साठे हैं. इस स्कीम के मासिक औसत एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM) ₹8,652.10 करोड़ हैं.
निवेश के पहले ध्यान रखने वाली बात
ध्यान रखें कि म्यूचुअल फंड स्कीम के ऐतिहासिक रिटर्न भविष्य के रिटर्न की गारंटी नहीं देते. यानी, जो रिटर्न स्कीम ने पहले दिए हैं वे भविष्य में भी जारी रहेंगे यह जरूरी नहीं है.
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