एसआईपी की तरह एसटीपी भी है कमाल का टूल, फायदे के लिए ऐसे करें इस्तेमाल
सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान का इस्तेमाल करके एक म्यूचुअल फंड इन्वेस्टर अपने निवेश की राशि को कई सारे समय अंतराल (जैसे दैनिक, मासिक, तिमाही या वार्षिक) पर एक स्कीम से किसी दूसरे स्कीम में आसानी से ट्रांसफर कर सकते है.

शेयर बाजार की चाल का किसी को पता नहीं होता. अगर आपने इक्विटी म्यूचुअल फंडों में निवेश कर एक बड़ा फंड बना लिया है तो उसे सुरक्षित रखना भी जरूरी है. ऐसे में निवेशकों के काम आता है सिस्टेमैटिक ट्रांसफर प्लान. इसके तहत आप नियमित अंतराल पर उच्च जोखिम वाले फंड से कम जोखिम वाले फंड में आपने पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं. आइए हम आपको STP के बारे में और विस्तार से बताते हैं, जिससे आप इसका लाभ उठा सके.
क्या होता है STP
सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान का इस्तेमाल करके एक म्यूचुअल फंड इन्वेस्टर अपने निवेश की राशि को कई सारे समय अंतराल (जैसे दैनिक, मासिक, तिमाही या वार्षिक) पर एक स्कीम से किसी दूसरे स्कीम में आसानी से ट्रांसफर कर सकते है. आमतौर पर एक उच्च-जोखिम वाले निवेश विकल्प से एक कम-जोखिम वाले निवेश विकल्प में. लेकिन एक बात का ध्यान रखना होता है कि सोर्स फंड (सोर्स फंड वह फंड है जिसमें आपका मूल निवेश है) और टारगेट दोनों फंड (टारगेट फंड वह फंड है जिसमें आपका निवेश स्थानांतरित किया जाता है) एक ही एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) से संबंधित होने चाहिए.
आइए इसे उदाहरण के साथ समझते हैं, मान लीजिए कि आप किसी ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के इक्विटी फंड में 1 लाख रुपए निवेश कर रखा है. तो आप STP के जरिए अपने 1 लाख रुपए के राशि को निश्चित किए गए समय अंतराल पर हाइब्रिड म्यूचुअल फंड में ट्रांसफर कर सकते हैं.
STP के उद्देश्य
STP का प्रमुख उद्देश्य बाजार की अस्थिरता को कम करना है. जिससे निवेशक बाजार की चालों के बारे में चिंता किए बिना नियमित रूप से निवेश कर सकें.
STP के लिए न्यूनतम राशि
STP के माध्यम से निवेश करने की कोई न्यूनतम आवश्यकता नहीं है, लेकिन, कुछ म्यूचुअल फंड कंपनियां निवेशकों से कम से कम सोर्स फंड में 12,000 रुपये की हिस्सेदारी की मांग करते हैं.
STP के लाभ
अगर STP के लाभों की बात करें तो इसमें प्रमुख रुप से बाजार की अस्थिरता को कम करना, नियमित निवेश के माध्यम से वापसी को स्थिर करना, जोखिम प्रबंधन में मदद करना, निवेश को व्यवस्थित करने में मदद करना शामिल हैं.
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