लेट हो गया 8वां वेतन आयोग! इस वजह से फंसा पेंच, कम से कम इतना करना होगा इंतजार
सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी तो दे दी है, लेकिन अब आगे कोई और आधिकारिक अपडेट नहीं आया है. केंद्र के 35 लाख कर्मचारियों और 67 लाख पेंशनधारकों को अभी भी इंतजार है लेकिन अब लग रहा है कि आयोग के गठन में देरी हो सकती है.

8th Pay Commission: 8वें वेतन आयोग के गठन को सरकार ने मंजूरी तो दे दी, इस पर फिटमेंट फैक्टर से लेकर न जाने कितनी चर्चा होने लगी. लेकिन अभी करीब 35 लाख केंद्र कर्मचारी और 67 लाख से ज्यादा पेंशनधारक इसी पर नजर टिकाए बैठे हैं. कि 8वें वेतन आयोग का आगे क्या होगा. कब गठन होगा? सैलरी में कितना इजाफा होगा? हालांकि अब तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, ना ही कोई अपडेट है. तो क्या 8वें वेतन आयोग का फायदा मिलना अभी दूर की कौड़ी है, क्या दो-तीन साल और इंतजार करना पड़ेगा?
दरअसल कई कर्मचारी यूनियन सरकार से मांग तेज कर रहे हैं कि 8वें वेतन आयोग का गठन जल्द से जल्द हो. इससे रिपोर्ट देने, मंजूरी लेने और लागू करने की पूरी प्रक्रिया समय पर हो सकेगी. साथ ही कर्मचारियों और पेंशनर्स की अनिश्चितता भी खत्म होगी.
तो क्या अभी और होगी देरी?
7वें वेतन आयोग को देखें तो वह जनवरी 2016 में लागू किया हुआ था, लेकिन इसकी घोषणा फरवरी 2014 में ही कर दी गई थी. यानी सरकार ने लगभग दो साल का वक्त दिया था ताकि रिपोर्ट, मंजूरी और बाकी प्रक्रियाएं समय पर हो सकें.
अब 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा जनवरी 2025 में हुई थी. लेकिन अब जून 2025 आ गया और 8वें वेतन आयोग का गठन तक नहीं हुआ. यहां तक कि टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) भी तय नहीं हुए हैं, जो आयोग के दायरे और उद्देश्यों को निर्धारित करते हैं.
कितनी देरी होगी?
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, आंतरिक स्तर पर चर्चाएं जरूर चल रही हैं. लेकिन सरकार के कामकाज की गति को देखते हुए ऐसा लगता है कि यह पूरा मामला जनवरी 2026 से काफी आगे खिंच सकता है. मान लीजिए अगर आयोग का गठन इस साल के अंत तक घोषित भी हो जाए, तो भी इतिहास बताता है कि इसे लागू होने में 18 से 24 महीने लग सकते हैं. ऐसे में बढ़ी हुई सैलरी 2026 के आखिर या 2027 की शुरुआत तक ही मिल पाएगी.
आर्थिक दबाव भी है एक वजह
सैलरी ग्रोथ पर फैसला लेने में एक और बड़ी चुनौती है. वो है सरकारी बजट पर दबाव. सरकार को वेलफेयर स्कीम, चुनावी वादे और वित्तीय घाटा तीनों को संतुलित रखना होता है. अगर ज्यादा दर से सैलरी बढ़ाई गई, तो सरकारी खजाने पर बड़ा बोझ पड़ सकता है. इसलिए नीति-निर्माता फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं.
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फिटमेंट फैक्टर
सैरली बढ़ने की प्रक्रिया का एक अहम हिस्सा है फिटमेंट फैक्टर. ये एक मल्टीप्लायर होता है जिससे कर्मचारियों की बेसिक सैलरी दोबारा तय होती है. 7वें वेतन आयोग में यह फैक्टर 2.57 था, जिससे न्यूनतम वेतन 7,000 से बढ़कर 18,000 हुआ था. अब विशेषज्ञों का मानना है कि 8वें वेतन आयोग में यह फैक्टर 2.5 से 2.86 के बीच रह सकता है.
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