हर महीने का बिल अपने आप कटेगा या नहीं? जानिए RBI के Autopay नियम क्या कहते हैं
हर महीने अपने मोबाइल, OTT, बिजली या बीमा का बिल समय पर चुकाना भूल जाते हैं, तो आपके लिए Autopay या E-Mandate फीचर बेहद काम का है. इस सुविधा से आपका पेमेंट तय तारीख पर अपने आप हो जाता है. लेकिन यह फीचर RBI के सख्त नियमों के तहत काम करता है. ऐसे में आइए जानते हैं इस फीचर से जुड़े सभी नियम और सावधानियां.
अगर आप हर महीने अपने मोबाइल, OTT, बिजली या बीमा का बिल समय पर चुकाना भूल जाते हैं, तो आपके लिए Autopay या E-Mandate फीचर बेहद काम का है. इस सुविधा से आपका पेमेंट तय तारीख पर अपने आप हो जाता है. लेकिन यह फीचर RBI के सख्त नियमों के तहत काम करता है. खास बात यह है कि अगर आपका क्रेडिट कार्ड बिल 1 लाख रुपये से अधिक है, तो Autopay अपने आप नहीं चलेगा. ऐसे में आइए जानते हैं इस फीचर से जुड़े सभी नियम और सावधानियां.
Autopay कैसे शुरू करें और इसके फीचर क्या हैं?
Autopay सुविधा शुरू करने की प्रक्रिया बेहद आसान है. आप इसे अपने बैंक की वेबसाइट, ऐप या सीधे किसी मर्चेंट की साइट पर जाकर एक्टिवेट कर सकते हैं. यह सुविधा मोबाइल रिचार्ज, OTT प्लेटफॉर्म, बीमा प्रीमियम, बिजली, गैस और पानी जैसे रेगुलर पेमेंट के लिए ली जा सकती है.
Autopay दो तरह का होता है — Fixed Mandate और Variable Mandate.
- Fixed Mandate में पेमेंट की राशि हमेशा तय रहती है, जैसे 399 रुपये का मासिक OTT सब्सक्रिप्शन प्लान.
- Variable Mandate में बिल की राशि हर बार अलग होती है, जैसे बिजली का बिल.
रजिस्ट्रेशन के बाद Autopay फीचर 7 दिनों के अंदर एक्टिव हो जाता है. अगर आपके पेमेंट की तारीख इन 7 दिनों के भीतर है, तो आपको भुगतान सामान्य तरीके से ही करना होगा.
Debit Card के मामले में ध्यान रहे कि आपके खाते में पर्याप्त बैलेंस हो. अगर बैलेंस कम है, तो Autopay return charges लग सकते हैं, जो आमतौर पर कुल पेमेंट राशि का 2 फीसदी या न्यूनतम 500 रुपये होते हैं.
क्या है RBI के नियम?
भारतीय रिजर्व बैंक ने 1 अक्टूबर 2021 से Autopay पर एक नया फ्रेमवर्क लागू किया. इसके तहत,
- 15,000 रुपये तक के लेनदेन पर OTP (One Time Password) या एक्स्ट्रा वेरिफिकेशन की जरूरत नहीं होती.
- 15,000 रुपये से ऊपर के ट्रांजैक्शन के लिए OTP वेरिफिकेशन अनिवार्य है.
- बीमा और म्यूचुअल फंड जैसी सेवाओं के लिए यह सीमा 1 लाख रुपये तय की गई है.
- क्रेडिट कार्ड के बिल के मामले में 1 लाख रुपये तक की राशि पर ही Standing Instruction (SI) लागू होगी. इससे अधिक राशि के लिए OTP कन्फर्मेशन जरूरी है.
AFA (Additional Factor Authentication) कब जरूरी है?
नियमों के अनुसार, AFA यानी एडिशनल अथेंटिकेशन इन मामलों में जरूरी है:
- जब पहली बार कोई Recurring Transaction यानी दोहराने वाला पेमेंट शुरू किया जाए और राशि 15,000 रुपये से अधिक हो.
- अगर कोई ट्रांजैक्शन 15,000 रुपये से अधिक का है, तो हर बार डेबिट से पहले OTP से अनुमति लेनी होगी.
- ग्राहक की मंजूरी के बिना बैंक कोई लेनदेन प्रोसेस नहीं करेगा.
हर ऑटोपे से पहले ग्राहक को 24 घंटे पहले एक Pre-Transaction Notification भेजी जाती है. इसमें ग्राहक को opt-out यानी भुगतान रोकने का ऑप्शन भी दिया जाता है.
E-Mandate रजिस्ट्रेशन के समय क्या जानकारी देनी होती है
रजिस्ट्रेशन के दौरान कुछ सामान्य जानकारी देनी होती है, जो व्यापारी के अनुसार बदल सकती है:
- बिल या ग्राहक पहचान संख्या (Consumer number, Relationship number, Policy number आदि).
- तय सीमा राशि (E-mandate limit amount) अगर यह Variable प्लान है.
रजिस्ट्रेशन के बाद आपको SMS या ईमेल से इसकी पुष्टि मिलती है. केवल वही व्यापारी E-mandate सुविधा दे सकते हैं जो RBI के नियमों के अनुसार रजिस्टर्ड हैं.
अगर कार्ड खो जाए या ब्लॉक हो जाए तो क्या होगा
अगर आपका कार्ड खो गया है, चोरी हो गया है या अस्थायी रूप से ब्लॉक है, तो सभी ऑटोपे लेनदेन अपने आप रुक जाएंगे. ऐसे में आपको पुराने E-mandate को व्यापारी या बैंक की वेबसाइट से डिलीट करना होगा और नया कार्ड मिलने के बाद फिर से रजिस्ट्रेशन करना होगा. बैंक इस स्थिति में असफल पेमेंट के लिए जिम्मेदार नहीं होगा. ग्राहक को खुद यह सुनिश्चित करना होगा कि पमेंट टाइम पर हो.
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