रिटायरमेंट की राशि कहां लगाएं ताकि हर महीने मिले गारंटीड इनकम, जानिए एक्सपर्ट से सेफ टिप्स

रिटायरमेंट के बाद अक्सर आय का स्थायी स्रोत खत्म हो जाता है और खर्चे बढ़ जाते हैं. ऐसे समय में समझदारी से किया गया निवेश जीवन को सुरक्षित बना सकता है. सवाल यह है कि रिटायरमेंट पर मिली रकम को कहां लगाया जाए ताकि हर महीने नियमित आय मिलती रहे?

रिटायरमेंट पर मिली रकम का निवेश कैसे करें Image Credit: FreePik

“रिटायर पति दो गुना समय देता है, लेकिन आधी तनख्वाह पर”- अज्ञात

यह कथन एक रिटायर्ड पति और उसकी पत्नी की पीड़ा को सही ढंग से दर्शाते हैं. सब्जियों-फलों की बढ़ती महंगाई और दवाइयों के बढ़ते खर्च, जो रिटायर्ड व्यक्ति के बजट के मुख्य हिस्से होते हैं, परिवार को दोनों वक्त का गुजारा करना मुश्किल बना देते हैं.

हालांकि, अगर आप नौकरी के दौरान ही समझदारी से निवेश करें और इस तरह योजना बनाएं कि रिटायरमेंट पर आपको उचित राशि मिलती रहे, तो इस परेशानी को काफी हद तक टाला जा सकता है.

बुजुर्गावस्था में आर्थिक आत्मनिर्भरता और भी जरूरी हो जाती है, खासकर तब जब बच्चे अपने माता-पिता का सहारा नहीं बन पाते, कभी मजबूरीवश तो कभी अपनी मर्जी से. इसके अलावा, माता-पिता के लिए अपने बच्चों से पैसे मांगना कठिन और शर्मिंदगी भरा लगता है. इसलिए यह सलाह दी जाती है कि आप रिटायरमेंट की योजना अपने 30वें साल की उम्र से ही बनाने लगें. यह न सोचें कि अभी तो रिटायरमेंट में बहुत समय है और इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं. इस मामले में जितनी जल्दी, उतना अच्छा.

क्योंकि नौकरी और कमाई का जीवन खत्म होने के बाद निवेश में जोखिम उठाने की क्षमता लगभग शून्य हो जाती है, इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप अपने रिटायरमेंट के पैसों का निवेश सावधानी और समझदारी से करें, वरना जीवन भर की कमाई गंवा सकते हैं. कई मामलों में लोग स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) के बाद शेयरों में सट्टा लगाकर या किसी गैर-लाभकारी व्यापार में पैसा लगाकर सब गवां बैठे हैं. आज ऐसे कई ‘रिटायर्ड’ लोग कर्ज में दबे हुए हैं और सम्मानजनक तरीके से जीवन-यापन करने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं. कुछ को तो कम वेतन पर दोबारा नौकरी करने के लिए भी मजबूर होना पड़ा है.

अब आइए देखते हैं कि जिन लोगों को रिटायरमेंट पर एकमुश्त रकम जैसे ग्रेच्युटी या प्रोविडेंट फंड की राशि मिलती है, उनके लिए कौन-कौन से निवेश विकल्प मौजूद हैं. ये निवेश आपको हर महीने एक उचित आय सुनिश्चित करेंगे और साथ ही आपकी मूल पूंजी की सुरक्षा भी करेंगे, जो इस समय सबसे अहम है. यहां मैं रिटायरमेंट की योजना बनाने की बात नहीं कर रहा, बल्कि यह बता रहा हूं कि रिटायरमेंट के बाद रोजमर्रा के खर्च पूरे करने के लिए कैसे जोखिम-रहित आय का इंतजाम किया जाए.

सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम

इस योजना में आप अधिकतम 30 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं. कोई भी व्यक्ति जिसने 60 वर्ष की आयु पूरी कर ली है, पोस्ट ऑफिस, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया या अधिसूचित बैंकों की निकट शाखाओं में सीनियर सिटीजन सेविंग अकाउंट खोल सकता है. जो लोग स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) ले चुके हैं और जिनकी आयु 55 वर्ष या उससे अधिक है, वे भी इस योजना के लिए पात्र हैं. इस योजना पर 8.20% वार्षिक ब्याज मिलता है.

अगर आप और आपकी पत्नी दोनों 60 वर्ष से ऊपर हैं तो आप दोनों मिलकर 30-30 लाख रुपये निवेश कर सकते हैं. यानी कुल 60 लाख रुपये का निवेश आपको हर महीने 36,000 रुपये की ब्याज आय देगा. यह पैसा 5 साल की अवधि के लिए जमा करना होता है.

इस योजना के तहत ब्याज मार्च, जून, सितंबर और दिसंबर में तिमाही आधार पर दिया जाता है. आप फॉर्म नंबर 15G या 15H जमा कर सकते हैं ताकि यदि आप पात्र हों तो ब्याज पर टैक्स कटौती न हो. इस योजना में किए गए निवेश पर आप आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत 1.50 लाख रुपये तक की कटौती का दावा भी कर सकते हैं. अपनी निवेश योजना इस तरह बनाएं कि हर साल धारा 80C की कटौती का लाभ मिल सके.

पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम प्लान

इसमें आप प्रति व्यक्ति 9 लाख रुपये तक और संयुक्त खाते में 15 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं. इस पर 7.40 फीसदी वार्षिक ब्याज मिलता है. इस निवेश के लिए आयु की कोई पाबंदी नहीं है, लेकिन लॉक-इन अवधि 5 साल की है. 15 लाख रुपये के इस निवेश से आपको हर महीने 9,250 रुपये की आय होगी. इस ब्याज पर आयकर में कोई कटौती उपलब्ध नहीं है.

अधिक पैसा बच रहा है?

अगर आपके पास अभी भी अतिरिक्त पैसा बचता है तो उसे RBI फ्लोटिंग-रेट सेविंग बॉन्ड्स में निवेश करें, जो इस समय 8.05% वार्षिक ब्याज देते हैं. निवासी व्यक्ति इन बॉन्ड्स में अकेले या किसी अन्य निवासी व्यक्ति के साथ संयुक्त रूप से निवेश कर सकते हैं और इसमें निवेश की कोई ऊपरी सीमा नहीं है.

सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम के विपरीत, जहां केवल वरिष्ठ नागरिक ही पैसा जमा कर सकते हैं, इन बॉन्ड्स में निवेश करने के लिए कोई आयु सीमा नहीं है. ब्याज का भुगतान हर साल 1 जनवरी और 1 जुलाई को अर्धवार्षिक आधार पर किया जाता है. ब्याज दर हर छह महीने में रीसेट होती है और यह नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट्स (NSC) की ब्याज दर से 35 बेसिस प्वाइंट अधिक रहती है.

RBI फ्लोटिंग-रेट सेविंग बॉन्ड्स पर मिलने वाला ब्याज पूरी तरह टैक्स योग्य है और ब्याज के भुगतान के समय लागू दर से टैक्स काटा जाता है. इन बॉन्ड्स की अवधि 7 साल है और ये बाज़ार में कारोबार योग्य नहीं हैं. इन्हें किसी ऋण के लिए गारंटी के तौर पर भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.

लेखक एक टैक्स और इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट हैं. यहां व्यक्त विचार उनके निजी हैं. आप उन्हें  jainbalwant@gmail.com  पर या ट्विटर हैंडल @jainbalwant पर संपर्क कर सकते हैं.