5 साल की सर्विस से पहले EPF निकालने पर कटता है कितना इनकम टैक्स, जानें क्या कहता है नियम
अगर कोई कर्मचारी 5 साल की सर्विस पूरी करने से पहले EPF निकालता है, तो उस पर इनकम टैक्स लग सकता है. PAN होने पर 10% और PAN न होने पर 34.608% TDS कटता है. हालांकि, बीमारी, कंपनी बंद होना या PF ट्रांसफर जैसे मामलों में टैक्स से राहत मिल सकती है.
Employees’ Provident Fund यानी EPF एक ऐसी बचत योजना है जो नौकरीपेशा लोगों को रिटायरमेंट के बाद फाइनेंशियल सिक्योरिटी देती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर कोई कर्मचारी 5 साल की लगातार सर्विस पूरी करने से पहले अपना EPF निकालता है तो उस पर इनकम टैक्स लगता है या नहीं? आइये जानते हैं कि EPF टैक्स रूल्स क्या कहते हैं?
5 साल की लगातार सर्विस से पहले EPF निकालने पर लगता है कितना टैक्स
अगर कोई कर्मचारी 5 साल की सर्विस पूरी करने से पहले अपना Employees’ Provident Fund (EPF) विड्रॉल करता है तो उस पर टैक्स लग सकता है. इस स्थिति में EPFO आमतौर पर TDS काटता है. वहीं, अगर कर्मचारी ने PAN नंबर दिया है तो 10% TDS काटा जाता है. यह कटौती कर्मचारी और नियोक्ता (Employer) दोनों के कॉन्ट्रिब्यूशन और उस पर मिलने वाले इंटरेस्ट पर लागू होती है लेकिन अगर कर्मचारी ने PAN नहीं दिया है तो TDS की दर बढ़कर 34.608% हो जाती है.
इन मामलों में नहीं काटा जाता है TDS
- a. जब PF को एक अकाउंट से दूसरे PF अकाउंट में ट्रांसफर किया जाता है.
- b. अगर कर्मचारी की सर्विस हेल्थ प्रॉब्लम, कंपनी के बिजनेस बंद होने, प्रोजेक्ट के पूरा होने या ऐसे कारणों से खत्म होती है जो उसके कंट्रोल से बाहर हैं.
- c. अगर कर्मचारी 5 साल की सर्विस पूरी करने के बाद PF विदड्रॉ करता है.
- d. अगर PF पेमेंट ₹50,000 से कम है और सर्विस 5 साल से कम है.
- e. अगर विदड्रॉल अमाउंट ₹50,000 या उससे अधिक है और सर्विस 5 साल से कम है, लेकिन कर्मचारी Form 15G या 15H के साथ PAN सबमिट करता है.
कैसे कैलकुलेट की जाती है यह अवधि
EPF स्कीम के अनुसार, सर्विस की अवधि गिनते समय पिछले Employers के तहत की गई कॉन्टिनिवस सर्विस भी जोड़ी जाती है. अगर किसी कर्मचारी की सर्विस बीमारी, एक्सीडेंट, लीगल स्ट्राइक या लीव की वजह से रुकी हो, तो उसे भी कॉन्टिनिवस सर्विस माना जाएगा और इस पर टैक्स नहीं लगेगा.
EPF के क्या हैं टैक्स बेनिफिट
EPF स्कीम के तहत जमा की गई राशि पर टैक्स से छूट तीन लेवल पर मिलती है. पहला- कॉन्ट्रिब्यूशन, दूसरा-इंटरेस्ट और तीसरा- मैच्योरिटी अमाउंट पर. यह स्कीम Exempt-Exempt-Exempt (EEE) कैटेगरी में आती है. ओल्ड टैक्स रिजीम में एक फाइनेंशियल ईयर में EPF में ₹1.5 लाख तक का निवेश इनकम टैक्स ऐक्ट की सेक्शन 80C के तहत टैक्स बेनिफिट के लिए एलिजिबल होता है. वहीं, नई टैक्स रिजीम में सिर्फ Employer के कॉन्ट्रिब्यूशन पर टैक्स डिडक्शन मिलता है, जो बेसिक सैलरी और DA के 12 प्रतिशत तक लिमिटेड है. अगर कोई कर्मचारी 5 साल से ज्यादा सर्विस करता है, तो EPF पर मिलने वाला इंटरेस्ट और मैच्योरिटी अमाउंट दोनों टैक्स-फ्री होते हैं.
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