हमेशा सोना नहीं देता है ताबड़तोड़ रिटर्न, CA ने बता दी सच्चाई, बोला- एक लाख रुपये की चमक में न आएं..

पिछले चार सालों में सोने से मिले जबरदस्त रिटर्न को लेकर चार्टर्ड अकाउंटेंट नितेश बुद्धदेव ने बिना सोच-समझकर गोल्ड में निवेश करने को लेकर निवेशकों को सावधान किया है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म LinkedIn पर एक पोस्ट में लिखा है कि केवल मौजूदा तेजी को देखकर जल्दबाजी में निवेश का फैसला न लें.

सोने में निवेश Image Credit: Getty image

Gold Investment: वैसे तो सोने को निवेश का एक सुरक्षित और बढ़िया साधन माना जाता है, खासकर जब शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव हो. हाल में जब सोने की कीमत 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के करीब पहुंचने लगी है, तब कई निवेशक इसे ताबड़तोड़ खरीदने का मौका मान बैठे हैं. पिछले 4 सालों में इसने शानदार रिटर्न भी दिया है. लेकिन चार्टर्ड अकाउंटेंट नितेश बुध्ददेव ने गोल्ड में बिना सोचे-समझे निवेश को लेकर निवेशकों को सावधान किया है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म LinkedIn पर एक पोस्ट में लिखा है कि सिर्फ मौजूदा तेजी देखकर जल्दबाजी में गोल्ड में निवेश का फैसला न लें, क्योंकि सोने ने 8 साल तक लगभग जीरो रिटर्न दिए हैं.

8 साल तक लगभग जीरो रिटर्न

CA नितेश बुध्ददेव ने अपने पोस्ट में साल 2012 से लेकर 2019 के बीच सोने की कीमत और उसकी रिटर्न को लेकर डेटा पेश किया है. उनके अनुसार जहां साल 2012 में प्रति 10 ग्राम सोने की कीमत 31,050 रुपये थी, वहीं लगातार अगले 6 सालों में इसकी कीमतें बढ़ती-घटती रहीं. साल 2019 में प्रति 10 ग्राम सोने की कीमत 35,220 रुपये रही, जो कि पिछले 8 साल में केवल 4,170 रुपये बढ़ी यानी इतने सालों में मात्र 13 फीसदी का ही रिटर्न मिला. 8 साल में इसका औसत वार्षिक रिटर्न (CAGR) सिर्फ 1.5 फीसदी प्रति वर्ष से भी कम रहा.

इसी तरह साल 1992 से 2002 के बीच सोना 4,334 रुपये से बढ़कर केवल 4,990 रुपये हुआ था. यानी एक बार फिर उसने 1.5 फीसदी से भी कम सालाना रिटर्न दिया.

8 साल तक लगभग शून्य रिटर्न का दौर:

वर्षसोने की कीमत (₹ प्रति 10 ग्राम)
2012₹31,050
2013₹29,600
2014₹28,006
2015₹26,343
2016₹28,623
2017₹29,667
2018₹31,438
2019₹35,220

फिर 2020 के बाद अचानक सोना क्यों उछला?

नितेश बुध्ददेव ने इसे लेकर अपने पोस्ट में बताया कि साल 2020 के बाद से सोने में जो तेजी आई, वो अचानक नहीं थी. इसके पीछे कई वैश्विक कारण थे, जैसे COVID-19 महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध, बढ़ती महंगाई की चिंता और दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों की बड़ी खरीदारी. इन वजहों से सोने को एक सुरक्षित निवेश मानकर खरीदने की होड़ लग गई. लेकिन ये भी समझने की जरूरत है कि हर तेज उछाल से पहले अक्सर एक लंबा ठहराव आता है.

क्या सोना निवेश के लिए सही है?

उन्होंने अपने पोस्ट में सुझाव दिया कि सोना निवेश पोर्टफोलियो में एक अहम भूमिका निभा सकता है, खासकर डाइवर्सिफिकेशन और अनिश्चित समय में हेजिंग टूल के तौर पर. लेकिन इसे इक्विटी की तरह लगातार रिटर्न देने वाला एसेट समझना एक गलती हो सकती है. इसलिए अपने पोर्टफोलियो में सिर्फ 5 फीसदी से 12 फीसदी तक ही सोने में निवेश करना समझदारी होगी.

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