Income Tax Act 2025: जनवरी तक आएंगे नए ITR फॉर्म, अप्रैल 2026 से लागू होंगे नए नियम
Income Tax Act 2025 के तहत नए ITR फॉर्म और नियम जनवरी 2026 तक नोटिफाई कर दिए जाएंगे. इसके साथ ही इन नियमों को 1 अप्रैल, 2026 से लागू कर दिया जाएगा. CBDT चीफ रवि अग्रवाल के मुताबिक फॉर्म को सरल और टैक्सपेयर्स-फ्रेंडली बनाया जा रहा है.
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से जनवरी 2026 तक नए ITR फॉर्म और नियमों को नोटिफाई कर दिया जाएगा. PTI की रिपोर्ट के मुताबिक CBDT चीफ रवि अग्रवाल का कहना है कि ये नियम 1 अप्रैल, 2026 से लागू होंगे, जिससे देश का टैक्स सिस्टम छह दशक पुराने कानून से पूरी तरह नए Income Tax Act 2025 पर शिफ्ट हो जाएगा. विभाग का फोकस नए फॉर्म को सरल बनाने पर है ताकि टैक्सपेयर्स आसानी से एडॉप्ट कर सकें
IITF दिल्ली में टैक्सपेयर्स लाउंज के उद्घाटन के दौरान रवि अग्रवाल ने कहा कि सिस्टम और प्रोसेस एडजस्ट करने के लिए टैक्सपेयर्स को पर्याप्त समय देने के मकसद से जनवरी तक सभी फॉर्म और रूल्स जारी कर दिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि विभाग चाहता है कि नया फ्रेमवर्क सीधा, क्लियर और कम जटिल हो.
सरल भाषा पर फोकस
अग्रवाल ने कहा कि नए ITR फॉर्म को सिंपल बनाना प्राथमिकता है, ताकि टैक्सपेयर्स को कंप्लायंस करने में आसानी हो. नए कानून के तहत TDS क्वार्टरली रिटर्न फॉर्म से लेकर ITR के सभी फॉर्म्स को फिर से तैयार किया जा रहा है. डायरेक्टरेट ऑफ सिस्टम्स और टैक्स पॉलिसी डिविजन मिलकर इन्हें टैक्सपेयर-फ्रेंडली बनाने पर काम कर रहे हैं.
संसद में रखे जाएंगे नियम
एक अधिकारी ने बताया कि फॉर्म और रूल्स का ड्राफ्ट पहले लॉ डिपार्टमेंट से क्लियर होगा, उसके बाद इन्हें नोटिफाई किया जाएगा और संसद के समक्ष रखा जाएगा. Income Tax Act 2025 को संसद ने 12 अगस्त को पारित किया था और यह 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा. नया कानून टैक्स स्ट्रक्चर में कोई नया टैक्स रेट लागू नहीं करता बल्कि केवल भाषा को सरल बनाता है, ताकि जटिल प्रावधानों को समझना आसान हो.
कम शब्द ज्यादा स्पष्टता
नए कानून में 1961 वाले Income Tax Act के मुकाबले कई बड़े ढांचागत बदलाव किए गए हैं. कुल सेक्शन की संख्या 819 से घटाकर 536 कर दिए गए हैं. वहीं, चैप्टर्स 47 से घटाकर 23 कर दिए गए हैं. इसके अलावा कुल शब्दों की संख्या 5.12 लाख से घटाकर 2.6 लाख की गई है. कानून में 39 नई टेबल्स और 40 फॉर्मूले जोड़े गए हैं, ताकि डिटेल टेक्स्ट की जगह स्पष्ट गणना आधारित स्ट्रक्चर मिले और इंटरप्रिटेशन की दिक्कत कम हो. इससे टैक्स नियमों को समझना और लागू करना सरल होने की उम्मीद है.