इनकम टैक्स रिफंड में क्यों हो रही देरी? CBDT ने बताया कहां अटका है पैसा और कब मिलेगा रिफंड
CBDT चेयरमैन रवि अग्रवाल ने बताया कि हाई-वैल्यू और सिस्टम-फ्लैग्ड रिफंड क्लेम की जांच लगभग पूरी हो गई है. लो-वैल्यू रिफंड जारी किए जा रहे हैं और गलत डिडक्शन वाले मामलों की समीक्षा चल रही है. अधिकतर लंबित रिफंड नवंबर के अंत या दिसंबर तक क्रेडिट होने की उम्मीद है.
इस साल काफी लोगों को समय पर इनकम टैक्स रिफंड नहीं मिला है और लाखों टैक्सपेयर अब भी इसका इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में CBDT (सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज) की ओर से एक राहत भरी खबर सामने आई है. CBDT के चेयरमैन रवि अग्रवाल ने इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर (IITF) में टैक्सपेयर्स लाउंज के उद्घाटन के दौरान बताया है कि ने बचे हुए वैध रिफंड को कब तक जारी कर दिए जाएंगे. उन्होंने इसमें होने वाली देरी के पीछे का कारण भी स्पष्ट किया है.
कब तक आएगा बचे हुए लोगों का रिफंड
PTI की रिपोर्ट के अनुसार, CBDT चेयरमैन रवि अग्रवाल ने कहा कि विभाग हाई-वैल्यू और सिस्टम द्वारा फ्लैग किए गए क्लेम की जांच कर रहा है और जांच अंतिम चरण में है. उन्होंने कहा, “लो-वैल्यू रिफंड जारी किए जा रहे हैं. हमारी जांच में पाया गया कि कुछ लोगों ने गलत रिफंड या गलत डिडक्शन क्लेम किए थे इसलिए यह एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है. हम उम्मीद करते हैं कि बाकी रिफंड इस महीने या दिसंबर तक जारी कर दिए जाएंगे.”
क्या हैं रिफंड में देरी के मुख्य कारण
हाई-वैल्यू क्लेम की गहन जांच
रवि अग्रवाल के मुताबिक, जिन रिफंड्स की रकम ज्यादा है उन्हें अतिरिक्त वेरिफिकेशन की जरूरत होती है इसलिए ऐसे मामलों की प्रोसेसिंग में समय लग रहा है.
सिस्टम-फ्लैग्ड डिडक्शन
अग्रवाल के अनुसार, कई ITR में संदिग्ध या गलत डिडक्शन दिखाई देने पर सिस्टम ने उन्हें रेड-फ्लैग किया है. इनकी जांच पूरी होने तक रिफंड रोके गए हैं.
गलत या जरूरत से ज्यादा डिडक्शन का दावा
उन्होंने बताया कि विभाग ने पाया कि कई टैक्सपेयर ने गलत डिडक्शन क्लेम किया है और ऐसे मामलों को मैनुअल वेरिफिकेशन की जरूरत है.
रिवाइज्ड रिटर्न का अनुरोध
CBDT ने कुछ लोगों को मेल/नोटिस भेजकर कहा है कि यदि उनकी कोई डिटेल छूट गई हो या गलत हो गई हो तो वे रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करें. इससे प्रोसेसिंग टाइम बढ़ जाता है.
किन सामान्य वजहों से रिफंड मिलने में होती है देरी
- ₹1 लाख से अधिक रिफंड पर अतिरिक्त जांच होती है.
- विदेशी आय, कैपिटल गेन, मल्टीपल सोर्स से इनकम होने पर विभाग मैन्युअल रिव्यू करता है.
- रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने पर टाइमलाइन बढ़ जाती है.
- ITR वेरिफाई न करने पर रिटर्न इनवैलिड हो जाता है और रिफंड रुक जाता है.
- फॉर्म 26AS/AIS और ITR में मैच न होने पर सिस्टम रिटर्न होल्ड कर देता है.
- बैंक या नियोक्ता द्वारा रिपोर्ट की गई इनकम से mismatch होने पर भी देरी होती है.
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