ITR ई-फाइलिंग पोर्टल पर नया फीचर: इन टैक्स ऑर्डर में सुधार के लिए ऑनलाइन कर सकेंगे आवेदन, समझें पूरा प्रोसेस

यह बदलाव सुधार रिक्वेस्ट की एंड-टू-एंड डिजिटल फाइलिंग को सक्षम करके प्रक्रिया की एफिशिएंसी और पारदर्शिता को बढ़ाता है, साथ ही फिजिकल सबमिशन या पत्राचार पर निर्भरता को भी कम करता है. इस बदलाव से पहले की लंबी प्रक्रिया खत्म हो गई है, जिसमें टैक्सपेयर को सुधार के लिए रिक्वेस्ट मैन्युअल रूप से सबमिट करनी पड़ती थी.

इनकम टैक्स. Image Credit: Money9live/Canva

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने एक नया फ़ीचर लॉन्च किया है जो टैक्सपेयर्स को कुछ खास इनकम टैक्स ऑर्डर के लिए सुधार एप्लीकेशन सीधे ऑनलाइन संबंधित अथॉरिटी के पास फाइल करने की सुविधा देता है. इस बदलाव से पहले की लंबी प्रक्रिया खत्म हो गई है, जिसमें टैक्सपेयर को सुधार के लिए रिक्वेस्ट मैन्युअल रूप से सबमिट करनी पड़ती थी या उन्हें असेसिंग ऑफिसर (AO) के ज़रिए भेजना पड़ता था.

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कहा, ‘TP/DRP/रिवीजन ऑर्डर के खिलाफ सुधार के लिए एप्लीकेशन अब ई-फाइलिंग पोर्टल पर सर्विसेज टैब -> रेक्टिफिकेशन -> AO से सुधार के लिए रिक्वेस्ट के ज़रिए सीधे संबंधित अथॉरिटी के सामने फाइल किए जा सकते हैं.’

इसका क्या मतलब है?

ई-फाइलिंग इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) पोर्टल में इस अपडेट का मतलब है कि टैक्सपेयर्स अब इनकम-टैक्स ई-फाइलिंग पोर्टल के जरिए सीधे सही टैक्स अथॉरिटी के पास इलेक्ट्रॉनिक रूप से सुधार के लिए एप्लीकेशन फाइल कर सकते हैं. यह पुराने ऑफलाइन या मैनुअल तरीकों से एक बदलाव है, खासकर ऐसे मामलों में जहां कुछ असेसमेंट से जुड़े ऑर्डर में साफ गलती होती है.

रिकॉर्ड में गलती पर सीधे कर सकेंगे आवेदन

  • ट्रांसफर प्राइसिंग (TP) ऑर्डर
  • विवाद समाधान पैनल (DRP) के निर्देश
  • रिवीजन ऑर्डर (उदाहरण के लिए, सेक्शन 263 या सेक्शन 264 के तहत पास किए गए ऑर्डर)

ऊपर दिए गए किसी भी ऑर्डर में रिकॉर्ड में कोई साफ गलती नजर आती है (जैसे कैलकुलेशन में गलती, गलत इंटरेस्ट चार्ज, आंकड़ों में गड़बड़ी या क्लर्कियल गलतियां), तो रिक्वेस्ट सीधे उस अथॉरिटी को भेजी जा सकता है, जिसके पास ओरिजिनल ऑर्डर को लागू करने की पावर है, जिससे सुधार की प्रक्रिया आसान हो जाती है.

एफिशिएंसी और पारदर्शिता

यह बदलाव सुधार रिक्वेस्ट की एंड-टू-एंड डिजिटल फाइलिंग को सक्षम करके प्रक्रिया की एफिशिएंसी और पारदर्शिता को बढ़ाता है, साथ ही फिजिकल सबमिशन या पत्राचार पर निर्भरता को भी कम करता है.

रिवीजन ऑर्डर का मतलब सीनियर इनकम-टैक्स अधिकारियों द्वारा पास किए गए उन ऑर्डर्स से है, जिनमें असेसिंग ऑफिसर द्वारा मूल रूप से पास किए गए ऑर्डर की समीक्षा, बदलाव या उसे रद्द किया जाता है, जब ऐसा ऑर्डर या तो गलत या नुकसानदायक माना जाता है, या जब टैक्सपेयर द्वारा राहत मांगी जाती है.

यह भी पढे़ं: भारत ने अमेरिका के साथ H-1B वीजा में देरी का मुद्दा उठाया, अपॉइंटमेंट शेड्यूल में देरी से लोग परेशान