गोल्ड बॉन्ड में पैसा लगाने वालों के लिए खुशखबरी! SGB के इस सीरीज के प्रीमैच्योर रिडेम्पशन की डेट आई सामने, मिलेगा 153% रिटर्न

भारतीय रिजर्व बैंक ने SGB 2020-21 सीरीज-VII के लिए प्रीमैच्योर रिडेम्पशन की तारीख 20 अक्टूबर 2025 घोषित कर दी है. ये बॉन्डस 20 अक्टूबर 2020 को जारी हुए थे. नियमों के अनुसार, 5 साल बाद ब्याज भुगतान की तारीख पर निवेशक इन्हें समयपूर्व रिडीम कर सकते हैं. इस पर 153% रिटर्न मिलेगा.

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स Image Credit: money9live

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGB) 2020-21 सीरीज-VII के लिए प्रीमैच्योर रिडेम्पशन की तारीख और रिडेम्पशन प्राइस की घोषणा कर दी है. यानी जिन निवेशकों ने ये बॉन्ड्स लिए थे वे 20 अक्टूबर 2025 को इसे निर्धारित प्रक्रिया के तहत प्रीमैच्योर रिडीम कर सकते हैं. इस सीरीज के सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स 12 से 16 अक्टूबर 2020 के बीच सब्सक्रिप्शन के लिए खुले थे और 20 अक्टूबर 2020 को जारी किए गए थे .सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स की कुल मैच्योरिटी अवधि 8 साल होती है लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार, इसे पांच साल पूरे होने पर प्रीमैच्योर रिडीम किया जा सकता है वो भी उसी दिन जब ब्याज देय होता है.

12,792 रुपये प्रति यूनिट का मिलेगा रिडेम्पशन वैल्यू

भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक, प्रीमैच्योर रिडेम्पशन के लिए प्रति यूनिट 12,792 रुपये का भुगतान किया जाएगा. यह कीमत 999 प्योरिटी वाले सोने के 15, 16 और 17 अक्टूबर 2025 के औसत बंद मूल्य (इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन द्वारा प्रकाशित) पर आधारित है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स 2020-21 सीरीज-VII को 5,051 रुपये प्रति यूनिट के मूल्य पर जारी किया गया था. इस हिसाब से अब निवेशकों को प्रति यूनिट 7,741 रुपये का शुद्ध लाभ होगा जो कि लगभग 153.26% का रिटर्न है (ब्याज को छोड़कर). इस दौरान निवेशकों को हर छह महीने में 2.5% सालाना ब्याज भी मिलता रहा है.

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स में निवेश क्यों फायदेमंद है

RBI के अनुसार, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स स्कीम में निवेश फिजिकल सोने (ज्वेलरी, सिक्के या बार) से बेहतर विकल्प है क्योंकि इसमें भंडारण की चिंता नहीं होती है, चोरी का खतरा नहीं होता है और अशुद्धता की समस्या नहीं होती है. ये बॉन्डस RBI या डिमैट फॉर्म में होते हैं जिससे निवेश सुरक्षित रहता है.

टैक्स के नियम

इन बॉन्ड्स से मिलने वाला ब्याज इनकम टैक्स के दायरे में आता है यानी उस पर टैक्स देना होता है लेकिन जब आप बॉन्ड को रिडीम करते हैं तो उस पर मिलने वाला फायदा कैपिटल गेन टैक्स-फ्री होता है. अगर कोई निवेशक बॉन्ड को बेचता है तो उस पर लंबी अवधि वाला कैपिटल गेन टैक्स लग सकता है, लेकिन उस पर इंडेक्सेशन का फायदा मिलेगा.

फिलहाल बंद है स्कीम

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना नवंबर 2015 में शुरू की गई थी. ताकि लोग सोने के गहनों या सिक्कों की बजाय डिजिटल तरीके से सोने में निवेश कर सकें. वहीं, सरकार ने अक्टूबर 2023 में नए गोल्ड बॉन्ड जारी करना बंद कर दिया था. सरकार ने वजह ये बताई थी कि योजना ने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया है और अब इन्हें संभालने की लागत बहुत बढ़ गई है.