सस्ता हो गया लोन, जानें कितनी घट जाएगी आपकी होम, कार और पर्सनल लोन की EMI

ट्रंप टैरिफ के झटकों के बीच आम लोगों को राहत देते हुए RBI ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की है. इस फैसले से कार, पर्सनल, होम और बिजनेस लोन सस्ते हो जाएंगे. साथ ही मौजूदा लोन पर ग्राहकों की EMI भी कम होगी. हालांकि, फ्लोटिंग रेट पर लोन लेने वालों को बैंकों के फैसले का इंतजार करना होगा.

RBI ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की है.

RBI Cuts Repo Rate New EMI Calculator: ट्रंप टैरिफ के झटकों के बीच आम लोगों को राहत देते हुए RBI ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर दी है. इस फैसले से कार, पर्सनल, होम और बिजनेस लोन सस्ते हो जाएंगे. साथ ही मौजूदा लोन पर ग्राहकों की EMI भी कम होगी. हालांकि, फ्लोटिंग रेट पर लोन लेने वाले ग्राहकों को राहत मिलने के लिए बैंकों के फैसले का इंतजार करना होगा. आइए जानते हैं, RBI की इस कटौती से EMI में कितनी राहत मिलेगी.

आपकी EMI पर कैसे पड़ेगा असर?

अगर होम लोन की बात करें, मान लीजिए:

लोन अमाउंट 20 लाख
अवधि 20 साल
ब्याज दर 9%
EMI 17,995
कुल ब्याज 23,18,685
कुल रकम चुकानी होगी 43,18,685

₹20 लाख लोन पर 0.25 फीसदी ब्याज दर घटने के बाद EMI

अवधि (साल)ब्याज दर (%)EMI (₹)कुल ब्याज (₹)कुल चुकानी वाली रकम (₹)
209.00 (मौजूदा)₹17,995₹23,18,685₹43,18,685
208.75 (नई)₹17,674₹22,41,811₹42,41,811

₹30 लाख लोन पर 0.25 फीसदी ब्याज दर घटने के बाद EMI

अवधि (साल)ब्याज दर (%)EMI (₹)कुल ब्याज (₹)कुल चुकानी वाली रकम (₹)
309.00 (मौजूदा) ₹26,992₹34,78,027₹64,78,027
308.75 (नई)₹26,511₹33,62,717₹63,62,717

अगर कार लोन की बात करें, मान लीजिए:

ऑटो लोन अमाउंट: 8,00,000
लोन अवधि: 7 साल
वर्तमान ब्याज दर: 9.05%
वर्तमान EMI: 12,892.

जानें कितनी घटेगी Car Loan EMI

डिटेलराशि
ऑटो लोन अमाउंट₹8,00,000
लोन अवधि7 साल
नई ब्याज दर8.8%
नई EMI₹12,790

रेपो रेट क्या है और इसका लोन पर क्या असर पड़ता है?

रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर रिजर्व बैंक (RBI) बैंकों को कर्ज देता है. जब RBI रेपो रेट घटाता है, तो बैंकों को सस्ते में लोन मिलता है. इससे बैंक भी अपने ग्राहकों को कम ब्याज पर लोन देने लगते हैं, यानी लोन सस्ते हो जाते हैं.

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RBI रेपो रेट क्यों घटाता या बढ़ाता है?

रेपो रेट महंगाई को नियंत्रित करने का एक अहम टूल है. जब महंगाई बढ़ती है, तो RBI रेपो रेट बढ़ाकर बाजार में पैसे की उपलब्धता कम करता है. इससे मांग घटती है और महंगाई पर काबू पाया जा सकता है. वहीं, जब अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देना हो, तो RBI रेपो रेट घटा देता है ताकि लोन सस्ते होकर खर्च और निवेश बढ़े.