Budget से पहले फाइनेंस मिनिस्ट्री में फेरबदल, तुहिन कांत बने राजस्व सचिव, DIPAM अरुणीश के पास
वित्त मंत्रालय के दो प्रमुख विभागों में बदलाव किए गए हैं. कैबिनेट की अप्वाइंटमेंट कमिटी ने तुहिन कांत पांडे को राजस्व विभाग का नया सचिव नियुक्त किया है. वहीं, मौजूदा राजस्व सचिव अरुणीश चावला को तुहिन कांता पांडे की जगह निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) का सचिव बनाया गया है.
बजट में अब करीब तीन हफ्ते का वक्त बचा है. उससे पहले वित्त मंत्रालय ने नौकरशाही में फेरबदल शुरू कर दिया है. वित्त मंत्रालय के दो प्रमुख विभागों में बदलाव किए गए हैं. कैबिनेट की अप्वाइंटमेंट कमिटी ने तुहिन कांत पांडे को राजस्व विभाग का नया सचिव नियुक्त किया है. वहीं, मौजूदा राजस्व सचिव अरुणीश चावला को तुहिन कांता पांडे की जगह निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) का सचिव बनाया गया है. यानी दोनों के पदों में अदला-बदली की गई है.
कौन किस पद पर नियुक्त हुआ?
कार्मिक मंत्रालय के आदेश के अनुसार, तुहिन कांत पांडे को राजस्व विभाग का सचिव बनाया गया है. वह फिलहाल निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) के सचिव हैं. जबकि अरुणीश चावला को डीआईपीएएम का सचिव नियुक्त किया गया है. इसके अलावा अरुणीश चावला को वित्त मंत्रालय के सार्वजनिक उद्यम विभाग और संस्कृति मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया है.

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तुहिन कांता पांडे और अरुणीश चावला कौन हैं?
तुहिन कांत पांडे 1987 बैच के ओडिशा कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. वह पिछले पांच साल से डीआईपीएएम के प्रमुख रहे हैं. उनकी प्रमुख उपलब्धियों में एयर इंडिया के सफल निजीकरण और एलआईसी की ऐतिहासिक सार्वजनिक लिस्टिंग शामिल हैं. उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री और यूके से एमबीए की डिग्री है. वहीं अरुणीश चावला1992 बैच के बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. वे मौजूदा राजस्व सचिव हैं और इससे पहले रसायन और उर्वरक मंत्रालय में फार्मा सचिव थे. अब उन्हें डीआईपीएएम का सचिव और सार्वजनिक उद्यम विभाग तथा संस्कृति मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है.
28 फरवरी की जगह 1 फरवरी को क्यों होता है बजट पेश
साल 2017 से पहले तक केंद्रिय बजट फरवरी के आखिरी दिन पेश होता था. यह परंपरा ब्रिटिश शासन काल से चली आ रही थी. लेकिन इस टाइम पीरियड के कारण बजट के प्रावधानों को 1 अप्रैल से लागू करने में मुश्किलें आती थी. जिसे तत्कालीन फाइनेंश मिनिस्टर अरुण जेटली ने 1 फरवरी से बजट पेश की करने की परंपरा कि शुरुआत की. जिसके चलते राज्यों और डिपार्टमेंट को बजट लागू करने के लिए टाइम मिल गया.
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