क्या आपको अपना स्वास्थ्य बीमा पोर्ट करवाना चाहिए? हो सकता है भारी नुकसान, यहां जानें सही तरीका
हेल्थ इंश्योरेंस पोर्ट करना आसान और फायदेमंद है. अगर आपको लगता है कि आपकी मौजूदा पॉलिसी में कवरेज कम है, प्रीमियम ज्यादा है, शर्तें सख्त हैं, या क्लेम में परेशानी हो रही है, तो पोर्ट करने के बारे में सोचें. इससे आपकी जरूरतों के हिसाब से बेहतर पॉलिसी मिल सकती है, और पुराने फायदे भी बरकरार रहते हैं.

Health Insurance Port: आजकल मेडिकल खर्च बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस लेना अब कोई लग्जरी नहीं, बल्कि जरूरत बन गया है. लेकिन अगर आप किसी एक इंश्योरेंस कंपनी के साथ हैं और आपको लगता है कि प्रीमियम ज्यादा है, कवरेज कम है या शर्तें सख्त हैं, तो क्या करें? इसका आसान समाधान है कि आप अपने हेल्थ इंश्योरेंस को दूसरी कंपनी में पोर्ट कर सकते हैं. आइए, चार कारणों को विस्तार से समझते हैं कि आपको हेल्थ इंश्योरेंस पोर्ट क्यों करना चाहिए.
कम प्रीमियम में बेहतर कवरेज
कई बार आप चाहते हैं कि आपको उसी प्रीमियम में ज्यादा कवरेज मिले. अगर आपकी मौजूदा पॉलिसी में कवरेज कम है, तो आप दूसरी कंपनी की पॉलिसी में पोर्ट कर सकते हैं. मिंट के हवाले से एक्सपर्ट कपिल मेहता कहते हैं, “अगर नई कंपनी बेहतर शर्तों और कम कीमत पर अच्छी पॉलिसी दे रही है, तो पोर्ट करना सही है. नई कंपनियां अक्सर अच्छे फीचर्स और सस्ती कीमत वाली पॉलिसी लाती हैं.”
जिंदगी में बदलाव
जिंदगी में कई बार बड़े बदलाव आते हैं, जैसे शादी या बच्चे का जन्म. ऐसे में आपको ज्यादा कवरेज या अलग तरह की पॉलिसी चाहिए होती है. शादी या बच्चे होने पर आपको ज्यादा इंश्योरेंस कवर चाहिए. पोर्ट करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपकी पुरानी पॉलिसी के फायदे, जैसे वेटिंग पीरियड और नो-क्लेम बोनस, नई पॉलिसी में भी मिलते हैं. इसलिए, अगर आपकी जिंदगी में बदलाव आया है, तो पोर्ट करके बेहतर पॉलिसी चुनें.
सख्त शर्तों से छुटकारा
कई बार आपकी मौजूदा पॉलिसी में ऐसी शर्तें होती हैं जो परेशान करती हैं. जैसे, कम हॉस्पिटल्स में इलाज का कवर, रूम रेंट की सीमा, या कुछ बीमारियों का कवर न होना. अगर आपकी पॉलिसी में रूम रेंट की सीमा या को-पेमेंट जैसी सख्त शर्तें हैं, तो पोर्ट करके आप ऐसी पॉलिसी ले सकते हैं जिसमें ये शर्तें कम हों. पोर्ट करने से आप ऐसी कंपनी चुन सकते हैं जो ज्यादा लचीलापन दे.
क्लेम में खराब अनुभव
अगर आपने अपनी पॉलिसी में क्लेम किया और आपको बुरा अनुभव हुआ, जैसे क्लेम में देरी, रिजेक्शन, या खराब सर्विस, तो आप दूसरी कंपनी में पोर्ट कर सकते हैं. अगर क्लेम के दौरान आपको परेशानी हुई, जैसे देरी या रिजेक्शन, तो आप ऐसी कंपनी चुन सकते हैं जो क्लेम जल्दी और आसानी से सेटल करे. बेहतर सर्विस और पारदर्शिता के लिए पोर्ट करना एक अच्छा ऑप्शन है.
Latest Stories

क्या दिवाली से पहले बढ़ जाएगी केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी? जानें- कब और कितना बढ़ सकता है DA

प्राइवेट कर्मचारी NPS कॉर्पस का निकाल सकेंगे 80%! PFRDA ने NPS के नियमों में दिए कुछ नए प्रस्ताव

अब एक क्लिक में मिलेगी EPFO की जानकारी, शुरू हुई Passbook Lite सर्विस, जानें क्या-क्या मिलेगा फायदा
