दुबई में खरीदा है अपार्टमेंट या घर, IT और ED के निशाने पर हैं आप, निवेश से पहले जान लें क्या है नियम
दुबई में घर खरीदने वाले कई भारतीय अब इनकम टैक्स और ईडी की जांच के घेरे में हैं. जांच का फोकस है कि संपत्ति खरीदने के लिए फंड बैंक से भेजे गए या अवैध तरीके से जैसे क्रिप्टो या हवाला से. नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माना, टैक्स और जेल तक हो सकती है.

Money Laundering Dubai Real Estate: दुबई में घर खरीदने वाले कई भारतीय अब इनकम टैक्स विभाग और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के दायरे में आ गए हैं. कुछ को इनकम टैक्स विभाग की ओर से पहले ही नोटिस मिला है, वहीं अब ईडी ने भी समन जारी करना शुरू कर दिया है. ऐसे में दुबई में घर खरीदने वालों को ईडी को यह बताना होगा कि संपत्ति अधिग्रहण के लिए बैंक फंड ट्रांसफर का कोई रिकॉर्ड क्यों नहीं है. माना जा रहा है कि कई मामलों में विदेशी संपत्तियों की खरीद क्रिप्टोकरेंसी या अवैध माध्यमों जैसे हवाला के जरिए की गई है.
विदेश में निवेश को लेकर क्या कहते हैं नियम?
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार विदेश में अपार्टमेंट खरीदने, शेयर में पैसा लगाने या फिक्स्ड डिपॉजिट कराने जैसे लेन-देन केवल बैंकिंग माध्यम से ही किए जा सकते हैं. अगर पैसा बैंक के जरिए नहीं भेजा गया है, तो ईडी इस बात की जांच करेगा कि क्या इसमें फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) और प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) का उल्लंघन हुआ है या नहीं. इन मामलों में बड़ी संख्या उत्तर भारत के निवासियों की बताई जा रही है. ईडी यह जांच कर रहा है कि संपत्ति खरीदते समय बैंकिंग माध्यम का उपयोग क्यों नहीं किया गया.
RBI की LRS स्कीम के तहत विदेश में निवेश की अनुमति
कोई भी निवासी भारतीय व्यक्ति ऐसा लेन-देन केवल रिजर्व बैंक की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत ही कर सकता है. इस स्कीम के अंतर्गत पैसा अधिकृत डीलर बैंक के जरिए भेजा जाता है और जरूरी फॉर्म व घोषणाएं जमा करनी होती हैं. LRS के तहत कोई भी भारतीय हर वर्ष अधिकतम 2,50,000 डॉलर तक विदेश भेज सकता है. बता दें कि यूएई में कई बिल्डर क्रिप्टोकरेंसी को स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन वहां जल्द ही एक नया क्रिप्टो कानून आने की संभावना है, जिससे इस पर रोक लग सकती है.
भारत में क्रिप्टो को लेकर क्या है स्थिति?
भारत में टैक्स चुकाकर खरीदी गई क्रिप्टोकरेंसी को भी यदि सीधे ब्लॉकचेन नेटवर्क से विदेश में प्रॉपर्टी खरीदने के लिए भेजा गया है, तो उसे FEMA का उल्लंघन माना जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि यह ट्रांजैक्शन सीधे यूएई के किसी रियल्टर या ब्रोकर के वॉलेट में होता है और इसमें बैंक पूरी तरह बायपास हो जाता है.
लोग ऐसा लेन-देन क्यों करते हैं?
ऐसे लेन-देन कई कारणों से किए जाते हैं, इनमें,
- बैंकिंग और करेंसी कन्वर्जन चार्ज से बचने के लिए
- भारत में क्रिप्टो पर लगने वाले भारी टैक्स से बचने के लिए
- LRS की लिमिट से बचने के लिए
- विदेश की एक्सचेंज से खरीदी गई क्रिप्टो को सीधे प्रॉपर्टी में बदलने के लिए
- कई लोगों ने इन निवेशों को अपने आयकर रिटर्न में भी घोषित नहीं किया
भारत को जानकारी कैसे मिली?
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, ज्यादातर लोगों को लगा था कि भारत को उनके दुबई वाले घरों के बारे में कभी पता नहीं चलेगा, क्योंकि देशों के बीच जो जानकारी शेयर होती है, वह केवल बैंक खाते और शेयर जैसे फाइनेंशियल इन्वेस्टमेंट की होती है, प्रॉपर्टी की नहीं. लेकिन जो जानकारी भारत के पास आई है, वह माना जा रहा है कि यूएई सरकार ने नहीं, बल्कि दुबई में मौजूद भारतीय अधिकारियों ने किसी तीसरे देश के जरिए जुटाई और भारत को भेजी.
देना होगा पैसे के सोर्स का हिसाब
अब इन लोगों को यह बताना होगा कि उन्होंने प्रॉपर्टी खरीदने के लिए पैसा कहां से लाया था. अगर वे ऐसा नहीं कर पाए तो ब्लैक मनी कानून के तहत उन पर संपत्ति की कीमत का 120 फीसदी तक टैक्स और पेनल्टी लग सकती है. FEMA के नियमों को तोड़ने पर असली रकम से 1 से 3 गुना ज्यादा पैसा देना पड़ सकता है.
अवैध तरीके से पैसे भेजने पर हो सकती है जेल
अगर किसी ने हवाला जैसे अवैध माध्यम से दुबई में प्रॉपर्टी खरीदी है, तो उसे मनी लॉन्ड्रिंग कानून (PMLA) के तहत भी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे मामलों में उस संपत्ति को अपराध से अर्जित संपत्ति माना जाएगा और वह जब्त भी की जा सकती है.
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