क्या Registration Bill 2025 बनेगा प्रॉपर्टी विवादों का फाइनल सॉल्यूशन? जानें कैसे बदल सकता है पूरा सिस्टम
इंडियन रजिस्ट्रेशन बिल 2025 का आना एक शानदार कदम है. इसका मकसद 1908 के रजिस्ट्रेशन एक्ट को बदलना है. ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इस साल मई में इस ड्राफ्ट बिल को पेश किया है. बता दें जमीन और संपत्ति से जुड़े विवाद देश में होने वाले दीवानी मुकदमों का दो-तिहाई हिस्सा बनाते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कैसे यह नया बिल देश की जमीन विवाद का एक बड़ा हल है.
Registration Bill 2025: भारत में पिछले कुछ सालों से ब्रिटिश दौर के पुराने कानूनों को बदलने की प्रक्रिया तेज हो गई है. 1 जुलाई 2024 को देश ने 1860 के इंडियन पीनल कोड और 1872 के एविडेंस एक्ट जैसे औपनिवेशिक कानूनों को हटाकर अपनी नई भारतीय न्याय संहिता लागू की थी. अब इसी कड़ी में एक और बड़ा कदम उठाया जा रहा है, वह है Indian Registration Bill 2025, जो जमीन और संपत्ति के रजिस्ट्रेशन से जुड़े 116 साल पुराने कानून को बदलने वाला है.
भारत में लगभग दो-तिहाई सिविल केस जमीन पर झगड़ों की वजह से होते हैं. इसलिए इस नए बिल को लोग जमीन विवादों के BNS मोमेंट के तौर पर देख रहे हैं यानी एक ऐसा बदलाव जो पूरी व्यवस्था को नए सिरे से खड़ा कर सकता है.
पुराना कानून क्यों बदला जा रहा है?
Registration Act 1908 अब जमाने के हिसाब से काफी पुराना हो चुका है. न तो इसमें डिजिटल रिकॉर्ड की बात है, न ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था और न ही धोखाधड़ी रोकने का मजबूत सिस्टम. The Print की रिपोर्ट के मुताबिक, नया बिल कई अहम समस्याओं को दूर करने का मकसद रखता है. नए बिल के पीछे असली सोच यह है कि खरीदार को जमीन पर साफ-सुथरी टाइटल सुरक्षा मिले. डॉक्यूमेंट्स खो जाएं या नष्ट हों तो उनकी ऑफिशियल कॉपी सुरक्षित रहे. फर्जी वसीयत और फर्जी रजिस्ट्रेशन जैसे मामलों पर कंट्रोल हो. साथ ही हर लेन-देन का रिकॉर्ड सार्वजनिक हो ताकि कोई भी खरीदार अंधेरे में सौदा न करे.
क्या-क्या बदल देगा Registration Bill 2025?
पूरे देश के लिए एक जैसा रजिस्ट्रेशन सिस्टम
हालांकि रजिस्ट्रेशन राज्य सूची का विषय है, लेकिन बिल एक ऐसा ढांचा तैयार करता है जिसमें पूरे देश में एक जैसा प्रशासनिक ढांचा होगा. IGR (Inspector General of Registration) हर राज्य में तकनीक और प्रक्रिया की निगरानी करेगा.
संपत्ति रजिस्ट्रेशन अब डिजिटल होगा
यह बिल रजिस्ट्रेशन सिस्टम को पूरी तरह डिजिटल बनाने की दिशा में ले जाता है.
इसमें शामिल है:
- ऑनलाइन दस्तावेज जमा करने की सुविधा.
- e-Sign के जरिए रजिस्ट्रेशन पूरा करना.
- कई मामलों में ऑनलाइन उपस्थिति भी मान्य.
- सभी दस्तावेज क्लाउड पर सुरक्षित रखना.
यह फ्यूचर में ब्लॉकचेन आधारित भूमि रजिस्टर की नींव भी रख देता है.
ज्यादा दस्तावेज होंगे ‘अनिवार्य रूप से रजिस्टर’
अब सिर्फ खरीद-बिक्री ही नहीं, बल्कि कोई भी दस्तावेज जो संपत्ति पर हक या दावा बनाता है, उसे रजिस्ट्रेशन के दायरे में लाया जाएगा. इससे फर्जी दावों और कागजी मालिकाना हक की समस्या काफी हद तक खत्म हो सकती है.
बैंक को अब अपनी भूमिका स्पष्ट करनी होगी
जब बैंक टाइटल डीड जमा कराकर मॉर्टगेज पर लोन देते हैं, तो अब उन्हें:
- अपनी तरफ से टाइटल डीड की कॉपी रजिस्ट्रेशन कार्यालय में जमा करनी होगी.
- यह भी लिखित में देना होगा कि संपत्ति पर मॉर्टगेज बनाया गया है.
- इससे बैंकों, खरीदारों और सरकारी रिकॉर्ड में एक जैसी जानकारी रहेगी और धोखाधड़ी के मौके कम होंगे.
गरीब परिवारों के लिए बड़ा बदलाव
SC/ST या भूमिहीन परिवारों को दी गई जमीन अक्सर रिकॉर्ड में ठीक से दर्ज नहीं होती. ऐसे में अब:
- रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा.
- लेकिन स्टांप ड्यूटी या फीस में छूट दी जा सकती है.
- इससे कागज पर दी गई भूमि असल में लोगों तक पहुंचेगी और कागजी पट्टा वाली समस्या से छुटकारा मिलेगा.
प्रॉपर्टी पर चल रहे कोर्ट केस भी रिकॉर्ड में दिखेंगे
जमीन खरीदते समय कई लोग यह नहीं जानते कि जिस प्लॉट को वे खरीद रहे हैं उस पर केस चल रहा है या नहीं.
नया बिल इसे अनिवार्य रिकॉर्ड बनाता है. यह बदलाव विवादों को काफी हद तक रोक सकता है.
वसीयत विवाद खत्म करने का प्रयास
भारत में सबसे ज्यादा विवाद वसीयत यानी Will से पैदा होते हैं. कई बार व्यक्ति की मौत के बाद दो-दो, तीन-तीन अनरजिस्टर्ड वसीयतें सामने आ जाती हैं.
- इस बिल का समाधान:
- Will का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जा सकता है.
- इससे फर्जी वसीयतों की गुंजाइश बहुत कम हो जाएगी.
संपत्ति का सटीक नक्शा और लोकेशन जरूरी होगी
कई राज्यों ने कहा है कि जमीन की जानकारी Record of Rights (RoR) से मेल खाना चाहिए. अगर जमीन का हिस्सा ट्रांसफर हो रहा है तो नया नक्शा भी लगेगा. अब यह प्रक्रिया सिर्फ निर्देश नहीं, बल्कि कानून का हिस्सा बन सकती है.
जमीन रिकॉर्ड और टैक्स रिकॉर्ड एक साथ जुड़ेंगे
शहरी इलाकों में जमीन का रिकॉर्ड और नगर निगम का टैक्स रिकॉर्ड अक्सर अलग-अलग होता है. अब दोनों रिकॉर्ड एक फॉर्मेट में आएंगे. नगर निकाय को भी जमीन मापन और कीमत तय करने का अधिकार मिल सकता है. यह धोखाधड़ी और गलत मापन को रोकेगा.
इसे भी पढ़ें- रॉबर्ट कियोसाकी ने बेच दिया पुराना बिटकॉइन, अब नए निवेश से हर महीने कमाएंगे ₹24 लाख, जानें कैसे किया इतना बड़ा खेल
Latest Stories
REITs को इंडेक्स में शामिल करने की बड़ी तैयारी! सेबी चीफ तुहिन पांडे बोले- लिक्विडिटी बढ़ाने का समय आ गया
नया-पुराना घर में आपके लिए कौन सा विकल्प है बेहतर, जान लें नफा-नुकसान ,रीसेल प्रॉपर्टी में होते हैं ये जोखिम
दुबई में शाहरुख खान के नाम पर बनेगा ‘Shahrukhz’ टावर, मेन गेट पर लगेगी सिग्नेचर पोज वाली स्टैच्यू
घर खरीदने से पहले इन 13 डॉक्यूमेंट्स की जरूर करें पड़ताल, नहीं तो आ सकता है कानूनी नोटिस
