नया-पुराना घर में आपके लिए कौन सा विकल्प है बेहतर, जान लें नफा-नुकसान ,रीसेल प्रॉपर्टी में होते हैं ये जोखिम

नया घर खरीदना एक बड़ा फैसला है. प्राइमरी मार्केट (नया घर) आधुनिक सुविधाएं, RERA सुरक्षा और बेहतर भविष्य की वैल्यू देता है. वहीं, सेकंडरी मार्केट (रीसेल) तैयार घर, पुराने इलाके और कई बार कम कीमत पर मिलता है. अपने बजट, जरूरतों और भविष्य के लक्ष्यों को ध्यान में रखकर ही सही चुनाव करें. यह आपके लिए एक स्मार्ट निवेश साबित होगा.

New vs. Resale Image Credit: @AI/Money9live

आकाश फरांडे | नया घर खरीदना या रीसेल प्रॉपर्टी चुनना हर घर खरीदार के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला है. इसमें लागत, सुविधा और लंबे समय की वैल्यू को अंदाजा लगाना पड़ता है. नए घरों में सबसे अपडेट बिल्डिंग कोड, आधुनिक सुविधाएं और सेफ्टी फीचर्स होते हैं. रीसेल घर तुरंत रहने के लिए तैयार होते हैं और अक्सर ऐसे इलाके में होते हैं जहां पहले से लोग रह रहे हैं.

नया घर या रीसेल प्रॉपर्टी खरीदने के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं. इसे अच्छे से समझकर ही आप एक स्मार्ट निवेश कर सकते हैं जो आपकी लाइफस्टाइल और फाइनेंशियल गोल्स को पूरा करने में मदद करेगा. रियल एस्टेट में निवेश करने से पहले इसे अच्छे से समझना बेहद जरूरी है.

प्राइमरी मार्केट प्रॉपर्टीज

प्राइमरी मार्केट से घर खरीदने के फायदे

प्राइमरी मार्केट यानी डेवलपर से नया घर खरीदने पर आपको अपनी सुविधा के हिसाब से पेमेंट प्लान मिल सकते हैं, साथ ही सबसे नई सुविधाएं और बेहतर कंस्ट्रक्शन क्वालिटी की गारंटी रहती है. नए घरों में RERA का पूरा प्रोटेक्शन होता है जो खरीदार को पारदर्शिता देता है. पुरानी प्रॉपर्टी के बार-बार आने वाले मेंटेनेंस के झंझटों से पूरी तरह छुटकारा मिल जाता है. सबसे बड़ी बात यह है कि ऐसे घरों की रीसेल वैल्यू आमतौर पर ज्यादा मजबूत रहती है.

वहीं रीसेल घर में आप प्रॉपर्टी की असली हालत को अपनी आंखों से देखकर पूरी तरह संतुष्ट हो सकते हैं, मोहल्ला पहले से बस चुका होता है और ज्यादातर मामलों में इंफ्रास्ट्रक्चर नए प्रोजेक्ट्स से कहीं ज्यादा पूरा होता है. रीसेल पर GST भी नहीं देना पड़ता. साथ ही पुराना घर अपनी उम्र के आखिरी पड़ाव के करीब होता है, इसलिए जल्दी रीडेवलपमेंट की संभावना बनती है जो मौजूदा मालिक के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है.

प्राइमरी मार्केट से घर खरीदने के नुकसान

प्राइमरी मार्केट से घर खरीदना आमतौर पर ज्यादा महंगा पड़ता है, खासकर अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टीज पर GST फीस की वजह से यह महंगा हो जाता है. कम जाने-पहचाने प्लेयर्स से डील करते समय प्रोजेक्ट मिलने में देरी का खतरा रहता है, जो EMI और रेंट का डबल फाइनेंशियल बोझ डाल सकता है. अगर प्रोजेक्ट डिले होता है तो कंस्ट्रक्शन क्वालिटी पर अनिश्चितता रहती है क्योंकि डेवलपर RERA कंप्लायंट रहने के लिए कॉर्नर्स कट कर सकता है. मार्केट में ज्यादा वोलेटिलिटी होने पर पोटेंशियल रीसेल वैल्यू प्रभावित हो सकती है.

सेकंडरी मार्केट प्रॉपर्टीज

सेकंडरी मार्केट से घर खरीदने के फायदे

सेकंडरी मार्केट से घर खरीदना अक्सर प्राइमरी सेल्स मार्केट से सस्ता होता है. हालांकि यह कोई जरूरी नहीं हैं. अगर रीसेल प्रॉपर्टी हाई-डिमांड/लो-सप्लाई एरिया में है तो यह महंगा हो सकता है. एक खास फायदा यह है कि प्रॉपर्टी तुरंत मूव-इन रेडी होती है. यह WYSIWYG – What you see is what you get – डील होती है. इसका एक और फायदा यह है कि पुराने इलाके जहां नई सप्लाई नहीं आ रही है वहां प्रॉपर्टी खरीदा जा सकता है.

सेकंडरी मार्केट से घर खरीदने के नुकसान

ऐसा अक्सर होता है कि सेलर खरीददार से अधिक कैश वाला हिस्सा मांगता है. आपको शुरू में ज्यादा पैसे देने पड़ सकते हैं. प्रॉपर्टी में हुए डिफेक्ट को पकड़ पाना मुश्किल होता है. प्रॉपर्टी की उम्र के हिसाब से होम लोन मिलना मुश्किल हो सकता है और अप्रूवल का इंतजार नए घर से ज्यादा लंबा चलता है. सबसे बड़ी बात यह है कि पुरानी बिल्डिंग, घिसी हुई फिटिंग्स, कम अपडेट सुविधाएं और डिजाइन के साथ समझौता करना पड़ता है जिससे मेंटेनेंस पर ज्यादा खर्च आ सकता है. आखिर में प्रॉपर्टी जितनी पुरानी होती जाती है उसकी रीसेल वैल्यू उतनी कम होती जाती है सिवाय इसके कि वह ऐसी जगह हो जहां नई सप्लाई नहीं आ रही और डिमांड बहुत ज्यादा हो.

कैसे लें फैसला?

बहुत कुछ आपके बजट, टाइमिंग और रिस्क झेलने की क्षमता पर निर्भर करता है. अगर आधुनिक सुविधाएं, RERA कवर और फ्लेक्सिबल पेमेंट प्लांस चाहिए तो प्राइमरी मार्केट आपके लिए है. अगर मूव-इन रेडी घर, कम अप-फ्रंट इन्वेस्टमेंट और मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर आपके लिए मायने रखते हैं तो सेकंडरी मार्केट बेहतर हो सकता है.

आपको GST देने या न देने के असर को ध्यान में रखना चाहिए, हर विकल्प के लिए होम लोन की उपलब्धता और उसके नियम क्या हैं, घर की भविष्य में रीसेल वैल्यू कितनी होगी और टाइटल की कानूनी मजबूती कैसी है. साथ ही उस खास इलाके में उपलब्ध विकल्पों को अच्छे से देखें जो आपके लिए आकर्षक हो क्योंकि वहां ऑफिस और बच्चों का स्कूल पास हो, दोस्त या परिवार की मौजूदगी से भावनात्मक लगाव हो.

निवेशकों के लिए सलाह – प्राइमरी मार्केट खरीद

प्रोजेक्ट का RERA रजिस्ट्रेशन जरूर चेक करें, डेवलपर की अच्छी रिप्यूटेशन हो और पेमेंट प्लान्स को अच्छे से पढ़ें खासकर बजट पर छिपे हुए हिडन चार्ज के लिए. प्रोजेक्ट के देरी होने की संभावना को ध्यान में रखें क्योंकि यह आपकी आर्थिक स्थिति पर बड़ा असर डाल सकता है. सामान्य नियम है कि डेवलपर जितना अच्छा उतनी समय पर पजेशन की संभावना ज्यादा. GST और मेंटेनेंस खर्च को बिल्कुल नजरअंदाज न करें. ऐसी लोकेशन चुनें जहां नया प्रोजेक्ट होने पर भी पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर हो क्योंकि वहां आपकी जिंदगी की गुणवत्ता और बाद में रीसेल वैल्यू इसी पर निर्भर करती है. फैसला करने से पहले मार्केट को पूरी तरह स्टडी कर लें.

निवेशकों के लिए सलाह – सेकंडरी मार्केट खरीद

प्रॉपर्टी के टाइटल पर बहुत मजबूत ध्यान दें और सभी जरूरी कानूनी कागजात पूरा होने की पक्की जांच कर लें. छिपे हुए डिफेक्ट पता करने के लिए प्रोफेशनल होम इंस्पेक्शन करवाना ठीक रहता है, इसके लिए पैसे देना सही निवेश है. डील में कैश कंपोनेंट कितना है, उसके साथ आप कितना सहज हैं यह पहले ही सोच लें क्योंकि ज्यादातर रीसेल डील में कैश की मांग होती है.

प्रॉपर्टी की उम्र को देखते हुए मेंटेनेंस का खर्च कितना आएगा जरूर पता करें, पड़ोसियों से पूछना सबसे अच्छा तरीका है, साथ ही सोसाइटी या इलाके में कोई पुरानी समस्या तो नहीं यह भी मालूम कर लें. उस एरिया और उस प्रोजेक्ट के मौजूदा दाम के ट्रेंड अच्छे से समझ लें ताकि जरूरत से ज्यादा कीमत न चुकानी पड़े.

(लेखक फरांडे स्पेसेज के मैनेजिंग डारेक्टर हैं. प्रकाशित विचार उनके निजी हैं.)