जिन स्टॉक्स का छोड़ा निवेशकों ने साथ, वही निकले असली हीरे; देखें कैसे भूली हुई कंपनियां कर रही जादू

शेयर बाजार में कुछ कंपनियां सालों तक चर्चा से बाहर रहती हैं. उन पर न तो ज्यादा रिसर्च रिपोर्ट आती हैं और न ही मीडिया की नजर जाती है. लेकिन जब वक्त बदलता है, यही भूली हुई कंपनियां निवेशकों को चौंकाने वाले रिटर्न देती हैं.

‘भूली हुई कंपनियों’ का जादू Image Credit: FreePik

भारत के शेयर बाजार में अक्सर कुछ कंपनियां ऐसी होती हैं जो लंबे समय तक निवेशकों की नजर से दूर रहती हैं. उनके शेयरों में न कोई खास हलचल होती है और न ही वह ह रोज खबरों में रहती हैं. लेकिन समय के साथ यही कंपनियां अचानक अपनी किस्मत बदल देती हैं और उन पर दांव लगाने वालों को शानदार मुनाफा दे जाती हैं. इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (IHCL), जो ताज, विवांता, सिलेक्शन्स और जिंजर जैसे ब्रांड्स की मालिक है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. एक दशक पहले तक कर्ज में डूबी और कमजोर प्रदर्शन करने वाली यह कंपनी आज कर्ज मुक्त होकर रिकॉर्ड मुनाफा कमा रही है और आने वाले छह साल में खुद को दोगुना करने की तैयारी में है.

संकट से उभरने की कहानी

दस साल पहले तक इंडियन होटल्स की स्थिति बेहद खराब थी. कंपनी के पास भारी-भरकम कर्ज था, ऑपरेशनल खर्च हाई था और राजस्व में कोई खास बढ़त नहीं हो रही थी. होटल उद्योग भी लंबे समय तक मुश्किल दौर से गुजर रहा था. 2008 से 2020 तक भारत के प्रीमियम होटल सेक्टर में न तो औसत कमरे का किराया (ARR) बढ़ा और न ही नई आपूर्ति में तेजी आई. निवेशक पीछे हट गए और नई परियोजनाओं पर काम ठप हो गया.

फिर आया कोविड-19 का झटका. महामारी ने होटल उद्योग को लगभग खत्म कर दिया. साल 2021 में देशभर में होटल ऑक्युपेंसी सिर्फ 33% पर आ गई और औसत कमरे का किराया 4,000 रुपये से नीचे चला गया. यह दो दशकों का सबसे निचला स्तर था.

बदलाव की शुरुआत

लेकिन 2022 के बाद तस्वीर बदलनी शुरू हुई. घरेलू पर्यटन में बूम आया. लोग छुट्टियों के लिए, धार्मिक यात्राओं और वेलनेस टूरिज्म के लिए अधिक यात्रा करने लगे. बिजनेस ट्रैवल भी तेजी से वापस लौटा. नतीजा यह हुआ कि 2022 से 2025 के बीच औसत कमरे का किराया 60-70 फीसदी बढ़ गया.

यही नहीं, नई आपूर्ति बहुत सीमित रही. साल 2024 में देशभर में सिर्फ 15,000 नए होटल कमरे जुड़े. वर्तमान में देश में ब्रांडेड होटलों का कुल इन्वेंट्री 1.9 लाख से भी कम है. मांग ज्यादा और आपूर्ति सीमित रहने से कंपनियों को प्राइसिंग पावर मिली और उनके शेयरों में जबरदस्त उछाल आया.

इंडियन होटल्स की रणनीति

IHCL ने इस मौके का पूरा फायदा उठाया. कंपनी ने एसेट-लाइट मॉडल पर फोकस किया, यानी खुद होटल बनाने की बजाय मैनेजमेंट कॉन्ट्रैक्ट्स पर ध्यान दिया. इससे लागत कम हुई और मार्जिन बेहतर हुआ. साथ ही कंपनी ने डिजिटल और ऑपरेशनल एफिशिएंसी पर काम किया.

आज कंपनी का बैलेंस शीट कर्ज-मुक्त है, मुनाफा रिकॉर्ड स्तर पर है और अगले छह साल में कारोबार दोगुना करने की महत्वाकांक्षी योजना बना रही है.

शेयर बाजार में शानदार रिटर्न

लंबे समय तक निवेशकों की नजरों से दूर रहने के बाद इंडियन होटल्स का शेयर पिछले पांच साल में 891 फीसदी चढ़ गया है. जो शेयर कभी भुला दिया गया था, वह अब मल्टीबैगर बन चुका है.

कंपनीअप्रैल 2010 से मार्च 2020अप्रैल 2020 से सितंबर 2025CMP
इंडियन होटल्स14%891%777.70 रुपये
महिंद्रा एंड महिंद्रा28%976%3,589.90 रुपये

महिंद्रा एंड महिंद्रा की कहानी भी अलग नहीं

इंडियन होटल्स की तरह महिंद्रा एंड महिंद्रा (M&M) भी एक समय लंबा झेल चुकी है. कंपनी ने नई क्षमताओं में निवेश किया, कई सहायक कंपनियां बनाईं और नए प्रोडक्ट लॉन्च किए. लेकिन लंबे समय तक शेयरधारकों को खास रिटर्न नहीं मिला. कोविड के बाद रणनीति में बदलाव आया और कंपनी ने निवेशकों का भरोसा फिर से जीत लिया. नतीजा, पिछले पांच साल में M&M के शेयर ने भी 976% का रिटर्न दिया.

भूली हुई कंपनियां क्यों बनती हैं मल्टीबैगर

स्टॉक मार्केट में कुछ कंपनियों को ‘भूली हुई कंपनियां’ कहा जाता है. इन पर मीडिया या ब्रोकरेज हाउस ज्यादा ध्यान नहीं देते. इनके शेयरों में ट्रेडिंग वॉल्यूम कम होता है और यह निवेशकों की नजरों से ओझल रहती हैं.

अक्सर इन कंपनियों का बिजनेस स्थिर रहता है लेकिन शेयर की कीमत सालों तक अटकी रहती है. समय के साथ जब उनकी कमाई बढ़ती है लेकिन शेयर भाव नहीं बढ़ता, तो वैल्यूएशन अपने आप आकर्षक हो जाता है. यही वह समय होता है जब ये स्टॉक धीरे-धीरे मल्टीबैगर साबित होते हैं.

IHCL और M&M जैसे उदाहरण यह साबित करते हैं कि स्टॉक मार्केट में धैर्य आपको बड़ा मुनाफा दे सकता है. अक्सर निवेशक ट्रेंडिंग शेयरों में पैसा लगाना पसंद करते हैं और जो कंपनियां धीरे-धीरे बढ़ रही होती हैं, उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं. लेकिन असली मौके अक्सर वहीं छिपे होते हैं.

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आगे की राह

आज इंडियन होटल्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा दोनों मजबूत स्थिति में हैं. इनके उदाहरण बताते हैं कि भारतीय शेयर बाजार में लंबे समय तक धैर्य रखने वाले निवेशकों को किस तरह का इनाम मिल सकता है. निजी बैंकों से लेकर एफएमसीजी दिग्गज कंपनियों तक, कई ब्लूचिप स्टॉक्स भी समय-समय पर ‘भूले हुए’ बनते रहे हैं.

निवेशकों के लिए सबसे जरूरी बात यह है कि वे कंपनी के बिजनेस मॉडल, उसकी कमाई और लंबी अवधि की संभावनाओं पर ध्यान दें. ट्रेंडिंग शेयरों की भीड़ में खो जाने से बेहतर है उन कंपनियों को पहचानना जिन्हें बाकी लोग भूल चुके हैं.

डिस्क्लेमर: मनी9लाइव किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.