सोने में लगाया था पैसा तो ये है बड़ा अलर्ट! 27% रिटर्न के बाद टूट रहा बाजार, Sell या Hold पर जानें एक्सपर्ट्स की राय
तीन महीने की सुनहरी दौड़ के बाद अब गोल्ड ईटीएफ मार्केट में हलचल बढ़ गई है. निवेशकों को मुनाफा तो मिला, लेकिन अब सवाल ये है कि क्या रैली थम चुकी है या फिर ये है एक और मौके की शुरुआत? विशेषज्ञों की राय पढ़ें जो आपके फैसले में आपकी मदद कर सकती है.
Gold ETF Returns: बीते कुछ महीनों में सोने ने निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न देकर चौंका दिया. अप्रैल 2025 से शुरू हुई गोल्ड रैली ने जहां एक तरफ ETF निवेशकों को 25-27 फीसदी तक का फायदा कराया, वहीं अब बाजार में थोड़ी थकान और मुनाफावसूली के संकेत दिख रहे हैं. तीन महीने की यह सुनहरी दौड़ अब धीरे-धीरे ठहरने लगी है और सवाल यह है कि आगे का रास्ता क्या होगा?
अप्रैल से इन वजहों से शुरू हुई रैली
अप्रैल 2025 से सोने की कीमतों में जो तेजी आई, उसके पीछे कई बड़े कारण रहे. इस रैली को अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा संभावित ब्याज दर कटौती की उम्मीदों, बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव, निवेश की मजबूत मांग और दुनिया भर के सेंट्रल बैंकों द्वारा सोने की लगातार खरीद ने सपोर्ट किया.
हाल में 250-300 डॉलर की तेज बढ़ोतरी हुई, उसका मुख्य कारण ‘सेफ हेवन बायिंग’ यानी सुरक्षित निवेश की चाह थी, जो अमेरिकी सरकारी शटडाउन की आशंकाओं के बीच और तेज हुई. हालांकि, दो महीने में करीब 25 फीसदी की बढ़त के बाद निवेशकों ने मुनाफावसूली शुरू की, जिससे सोने की कीमतों में कुछ गिरावट देखी गई. अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी और डॉलर की मजबूती ने भी इस करेक्शन को और तेज किया.
गोल्ड ईटीएफ का परफॉर्मेंस कार्ड
पिछले तीन महीनों में Gold ETF ने औसतन 23 फीसदी रिटर्न दिया है. इनमें UTI गोल्ड ईटीएफ ने सबसे शानदार प्रदर्शन करते हुए 27.19 फीसदी का रिटर्न दिया. इसके बाद एलआईसी एमएफ गोल्ड ईटीएफ ने 23.40%, कोटक गोल्ड ईटीएफ ने 22.96% और निप्पॉन इंडिया ईटीएफ गोल्ड BEES ने 22.94% रिटर्न दर्ज किया. वहीं टाटा गोल्ड ईटीएफ का प्रदर्शन सबसे कम रहा, जिसने तीन महीने में 22.25% का रिटर्न दिया.
ईटीमार्केट्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 24 अक्टूबर को एमसीएक्स पर दिसंबर डिलीवरी के लिए गोल्ड फ्यूचर्स में 533 रुपये यानी 0.43% की गिरावट आई और सोना 1,23,571 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया. सिल्वर फ्यूचर्स में भी करीब 1,386 रुपये या 0.93% की गिरावट दर्ज हुई.
हालिया गिरावट और बाजार की चाल
पिछले दो हफ्तों में गोल्ड ईटीएफ का प्रदर्शन सुस्त रहा. इन फंड्स ने औसतन सिर्फ 0.70% का रिटर्न दिया. इस दौरान यूटीआई गोल्ड ईटीएफ ने 4.26% की बढ़त दर्ज की, जबकि आदित्य बिड़ला सन लाइफ गोल्ड ईटीएफ ने सबसे कमजोर 0.12% का रिटर्न दिया.
पिछले एक हफ्ते में स्थिति और बिगड़ी, औसतन गोल्ड ईटीएफ में 6.11% की गिरावट आई. टाटा गोल्ड ईटीएफ ने सबसे ज्यादा 6.81% गंवाए, जबकि यूटीआई गोल्ड ईटीएफ ने सबसे कम 2.64% की गिरावट दर्ज की.
रिपोर्ट के मुताबिक से सतीश डोंडापाटी का मानना है कि यह गिरावट शॉर्टटर्म अस्थिरता का नतीजा है, न कि किसी बड़े ट्रेंड रिवर्सल का. उन्होंने कहा कि फिलहाल अमेरिकी शटडाउन और वैश्विक व्यापार नीतियों को लेकर अनिश्चितता के कारण सोना थोड़े समय तक अस्थिर रह सकता है.
लॉन्ग टर्म में सोना अब भी चमकदार
डोंडापाटी का कहना है कि मीडियम से लॉन्ग टर्म में सोने के लिए मजबूत फैक्टर्स अब भी मौजूद हैं, जैसे बढ़ता वैश्विक कर्ज, सेंट्रल बैंकों की लगातार खरीद, और भू-राजनीतिक व महंगाई से जुड़ा दबाव. यानी थोड़ी गिरावट या मुनाफावसूली के बावजूद, सोने की चमक कम नहीं हुई है. ऐसे में निवेशक अपने टारगेट के मुताबिक सोने पर अपना फैसला ले सकते हैं.
इसी दिशा में अरबपति निवेशक रे डालियो ने भी हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर चेतावनी दी कि रूस की तेल कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंध वैश्विक वित्तीय बाजार में झटका दे सकते हैं, जिससे डॉलर कमजोर और सोना मजबूत हो सकता है. उन्होंने कहा कि सोना एक ऐसी मुद्रा है जो “नॉन-फिएट” है. यानी किसी सरकार के भरोसे पर नहीं, बल्कि अपने स्थायित्व पर टिकी हुई.
ऐतिहासिक रूप से भी जब ब्याज दरें घटती हैं या करेंसी पर दबाव होता है, तब सोने की कीमतें बढ़ती हैं. यही वजह है कि निवेशक अब अमेरिकी फेड की दरों पर नजरें गड़ाए हुए हैं, जो इस महीने के अंत में कटौती कर सकता है.
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गोल्ड ईटीएफ असल में एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड हैं जो सोने की कीमतों को ट्रैक करते हैं. हर यूनिट एक ग्राम सोने के बराबर होती है, और इन्हें स्टॉक एक्सचेंज पर खरीदा-बेचा जा सकता है. इसके लिए निवेशक के पास डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट होना जरूरी है.
डिस्क्लेमर: मनी9लाइव किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ या डेरिवेटिव में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.
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