Ola-Ather घाटे में पर मुनाफे में दौड़ी ये EV कंपनी, मुकुल अग्रवाल ने शेयरों पर लगाया दांव; क्या आपने देखा स्टॉक?
भारत के EV सेक्टर में एक ऐसी कंपनी उभर रही है, जो बिना लाइसेंस वाले सस्ते स्कूटर्स से करोड़ों का मुनाफा कमा रही है. बड़ी कंपनियां जहां घाटे में डूबी हैं, वहीं ये ब्रांड लगातार बढ़ रहा है. कौन है ये EV खिलाड़ी जो निवेशकों की नई पसंद बन चुका है?
भारत का इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर इस वक्त तेजी से बदल रहा है, जहां एक तरफ बड़े नाम जैसे ओला इलेक्ट्रिक और एथर एनर्जी अब भी घाटे में हैं, वहीं दूसरी तरफ एक कंपनी है जो चुपचाप मुनाफे की रफ्तार पर दौड़ रही है. यह कंपनी है जेलियो ई-मोबिलिटी लिमिटेड (Zelio E-Mobility Ltd.), जिसने पिछले दो साल में न सिर्फ तीन गुना रेवेन्यू बढ़ाया है बल्कि मुनाफे के मामले में भी लगातार ऊंची छलांग लगाई है. छोटे शहरों और कस्बों में बिना लाइसेंस और बिना रजिस्ट्रेशन वाली सस्ती इलेक्ट्रिक गाड़ियों से कंपनी ने अपनी अलग पहचान बना ली है. दिग्गज निवेशक मुकुल अग्रवाल भी इस कंपनी पर भरोसा दिखाते हैं और इसे अपने पोर्टफोलियों में शामिल कर रखा है.
कंपनी की पहचान और कामकाज
जेलियो ई-मोबिलिटी उन कुछ चुनिंदा भारतीय ईवी कंपनियों में से एक है जिसने शुरुआत से ही लाभ कमाया है. कंपनी धीमी रफ्तार वाले दोपहिया (E-2W) और मजबूत तीनपहिया (E-3W) वाहनों का निर्माण, असेंबलिंग और सप्लाई करती है. इसके ई-2W ब्रांड का नाम “Zelio” है, जबकि ई-3W रेंज को “Tanga” के नाम से बेचा जाता है. दोनों प्रोडक्ट लाइनों को खासतौर पर ऐसे ग्राहकों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है जो किफायती, टिकाऊ और आसान ड्राइविंग समाधान चाहते हैं, जैसे गृहिणियां, विद्यार्थी और बुजुर्ग.
साल 2022 में जेलियो ने अपनी पहली ई-स्कूटर रेंज लॉन्च की थी और अब यह देशभर में अपने डीलर नेटवर्क के जरिए शहरी से लेकर ग्रामीण बाजारों तक पहुंच बना चुकी है. वर्तमान में कंपनी के पास 337 से ज्यादा डीलरशिप हैं और FY27 तक इसे बढ़ाकर 500 से अधिक करने का लक्ष्य रखा गया है.
IPO और शेयर बाजार में प्रदर्शन
जेलियो ई-मोबिलिटी ने 8 अक्टूबर 2025 को BSE SME प्लेटफॉर्म पर एंट्री ली. कंपनी का शेयर 136 रुपये के इश्यू प्राइस के मुकाबले 154.9 रुपये प्रति शेयर पर लिस्ट हुआ, यानि करीब 13.8 प्रतिशत प्रीमियम के साथ. हालांकि, लिस्टिंग से पहले इसके लिए ग्रे मार्केट में कोई खास उत्साह नहीं दिखा और GMP शून्य पर बना रहा.
फिलहाल, जेलियो का स्टॉक 255.10 रुपये पर कारोबार कर रहा है जो पिछले बंद भाव 264.60 रुपये से करीब 3.5 प्रतिशत नीचे है. इसके बावजूद, कंपनी का मार्केट कैप अब 539.54 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. खास बात यह है कि दिग्गज निवेशक मुकुल महावीर अग्रवाल ने भी सितंबर 2025 तक कंपनी में 2 प्रतिशत हिस्सेदारी ले रखी है, जो बाजार के भरोसे को दिखाता है.
लाभ में चलने वाली ईवी कंपनी
भारतीय ईवी बाजार में जहां कई बड़े ब्रांड अभी तक घाटे से बाहर नहीं निकल पाए हैं, वहीं जेलियो एक लाभदायक अपवाद के रूप में उभर रही है. FY25 में कंपनी ने 172 करोड़ रुपये का रेवेन्यू दर्ज किया, जो पिछले साल के 94 करोड़ रुपये से 83 प्रतिशत अधिक है.
सबसे खास बात यह है कि कंपनी का नेट प्रॉफिट FY24 के 6 करोड़ रुपये से बढ़कर FY25 में 16 करोड़ रुपये हो गया, यानी 166 प्रतिशत से भी अधिक की बढ़त. यही नहीं, कंपनी का EBITDA 21 करोड़ रुपये और RoE (Return on Equity) 85.75 प्रतिशत रहा, जो इसकी मजबूत वित्तीय सेहत को दिखाता है.
रेवेन्यू में सबसे ज्यादा योगदान ई-2W सेगमेंट का रहा, जो 96.5 प्रतिशत हिस्सा रखता है, जबकि ई-3W सेगमेंट और बैटरी-स्पेयर पार्ट्स से बाकी आय आती है.
बड़ी कंपनियों से तुलना
अगर तुलना की जाए, तो ओला इलेक्ट्रिक ने FY25 में 4,514 करोड़ रुपये का रेवेन्यू तो हासिल किया, लेकिन साथ ही 2,276 करोड़ रुपये का घाटा भी झेला. वहीं एथर एनर्जी का रेवेन्यू 2,255 करोड़ रुपये रहा, लेकिन उसे भी 812 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
इसके उलट, जेलियो अपने छोटे आकार के बावजूद मुनाफे में है और उसका P/S मल्टिपल मात्र 2x पर ट्रेड हो रहा है, जबकि ओला का 5x और एथर का 10x है. यानी निवेश के लिहाज से जेलियो फिलहाल कहीं ज्यादा सस्ता और आकर्षक विकल्प बन कर उभर रहा है.
क्या है भविष्य की योजना?
कंपनी का टारगेट है कि वह भारत के धीमी रफ्तार वाले ई-2W सेगमेंट की प्रमुख ब्रांड बने. इसके लिए यह बेहतर आफ्टर-सेल्स नेटवर्क और स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग बेस को मजबूत कर रही है. सरकार के आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत कंपनी लगातार अपने उत्पादन में घरेलू पार्ट्स के इस्तेमाल को बढ़ा रही है.
FY21 में जहां इसके सिर्फ 94 डीलर थे, वहीं अब यह संख्या 337 से ऊपर पहुंच चुकी है. आने वाले दो सालों में हर जिले में अपनी मौजूदगी का लक्ष्य रखते हुए कंपनी 500 से ज्यादा डीलरशिप खोलने की तैयारी कर रही है. साथ ही यह डीलरों के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार कर रही है ताकि उनकी बिक्री और सर्विसिंग प्रक्रिया को आसान बनाया जा सके.
सरकारी नीतियां भी कर रही सपोर्ट
भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक देश में 30 प्रतिशत वाहन इलेक्ट्रिक हों. इसी दिशा में केंद्र सरकार ने FAME-II योजना के तहत 10,000 करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन किया है, जिसमें 30 प्रतिशत खरीद छोटे और मझोले उद्योगों से की जानी है.
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इसके अलावा, हाल ही में Electric Mobility Promotion Scheme भी लॉन्च की गई है, जिसके तहत 3.7 लाख से ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहन सब्सिडी के दायरे में आएंगे, जिनमें से 3.33 लाख दोपहिया और करीब 39 हजार तीनपहिया वाहन शामिल हैं. सरकार ने लिथियम-आयन बैटरियों के निर्माण के लिए मशीनरी और कैपिटल गुड्स पर कस्टम ड्यूटी भी घटाई है ताकि स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सके.
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