अब HAL बनाएगी पैसेंजर प्लेन, रूसी कंपनी से मिलाया हाथ, शेयरों पर रखें नजर
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने रूस की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (PJSC-UAC) के साथ एसजे-100 सिविल एयरक्राफ्ट के घरेलू उत्पादन के लिए MoU साइन किया है. यह साझेदारी दशकों बाद भारत की यात्री विमान निर्माण क्षमता को रिवाइव करेगी और 'उड़ान' योजना के तहत क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगी. इससे इसके शेयरों में तेजी आ सकती है.
भारत की PSU कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने रूस की पब्लिक ज्वाइंट स्टॉक कंपनी यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (PJSC-UAC) के साथ एक अहम समझौता (MoU) किया है. इस समझौते के तहत भारत में SJ-100 सिविल कम्यूटर एयरक्राफ्ट यानी पैसेंजर प्लेन का प्रोडक्शन किया जाएगा. यह साझेदारी भारत के लिए एक ऐतिहासिक कदम मानी जा रही है क्योंकि देश में दशकों बाद पूरी तरह से पैसेंजर प्लेन का निर्माण होने जा रहा है. यह MoU रूस के मॉस्को में हुआ जहां एचएएल के प्रभात रंजन और पीजेएससी यूएसी के ओलेग बोगोमोलोव ने इस पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते के साथ भारत न केवल घरेलू एयरक्राफ्ट जरूरतों को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है बल्कि आने वाले वर्षों में एशियाई एयरक्राफ्ट बाजार में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा सकता है. इस MoU के बाद निवेशक इसके शेयरों पर पर नजर रख सकते हैं.
गेम चेंजर साबित होगा यह कदम: एचएएल
एचएएल के अनुसार, एसजे-100 एक ट्विन-इंजन नैरो-बॉडी एयरक्राफ्ट है जिसकी 200 से अधिक यूनिट अब तक तैयार की जा चुकी हैं और 16 से ज्यादा कमर्शियल एयरलाइंस इसका इस्तेमाल कर रही हैं. एचएएल ने कहा कि एसजे-100 विमान भारत की “उड़ान” (UDAN) योजना के तहत शॉर्ट-हॉल कनेक्टिविटी के लिए “गेम चेंजर” साबित होगा. इस साझेदारी के बाद एचएएल को इस विमान के प्रोडक्शन का अधिकार मिल जाएगा. भारत में इससे पहले यात्री विमान निर्माण का आखिरी प्रोजेक्ट एवरो एचएस-748 (AVRO HS748) था जो 1961 में शुरू हुआ और 1988 में बंद हो गया.
भारत में छोटे जेट विमानों की मांग
विशेषज्ञों का मानना है कि इस सहयोग से भारत की विमान निर्माण क्षमता को नई दिशा मिलेगी और देश की “आत्मनिर्भर भारत” योजना को भी मजबूती मिलेगी. देश में विमान निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता से न केवल विदेशी निर्भरता घटेगी बल्कि नई तकनीकी विशेषज्ञता और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. विमानन उद्योग के अनुमानों के अनुसार, अगले 10 वर्षों में भारत को 200 से अधिक छोटे जेट विमानों की आवश्यकता होगी जो क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को मजबूत करेंगे. इसके अलावा, भारतीय महासागर क्षेत्र में पर्यटक स्थलों की सेवा के लिए अतिरिक्त 350 विमानों की मांग भी देखी जा रही है.
शेयरों का हाल
एचएएल के शेयर 28 अक्टूबर को दोपहर 1:25 बजे 4733 रुपये पर ट्रेड कर रहे थे. इसका 52 वीक हाई 5,166 रुपये है. कंपनी का मार्केट कैप 3,16,210 करोड़ है.
सोर्स- GROWW
इसे भी पढ़ें: रेलवे से बड़ा ऑर्डर मिलते ही 5% चढ़ा इस कंपनी का शेयर, 5 साल में दे चुका है 6500% रिटर्न, कीमत ₹100 से कम
डिस्क्लेमर: मनी9लाइव किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ या डेरिवेटिव में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.