Titagarh Rail vs Jupiter Wagons: रेलवे के दो दिग्गज स्टॉक्स में मुकाबला, ऑर्डर बुक से रिटर्न तक; कौन सबसे आगे?

भारतीय रेलवे सेक्टर में बदलाव की तेज रफ्तार के बीच दो बड़ी कंपनियां सुर्खियों में हैं. दोनों कंपनियां कोच, वैगन्स और रेलवे से जुड़े कई दूसरे पार्ट्स बनाती है. हालांकि, इनके शेयर प्रदर्शन, ऑर्डर बुक और मुनाफे में बड़ा फर्क है. इस रिपोर्ट में जानिए, कौन सी कंपनी निवेश के लिहाज से बेहतर साबित हो सकती है.

किस स्टॉक में है दम? Image Credit: @Money9live

Railway Stock Titagarh Rail Systems vs Jupiter Wagons: भारतीय रेलवे सेक्टर में इन दिनों बड़ी क्रांति चल रही है. पटरियों से लेकर कोच तक, सब कुछ बदल रहा है. ‘मेक इन इंडिया’ और बुनियादी ढांचे पर फोकस के चलते रेलवे रोलिंग स्टॉक निर्माण में होड़ मची है. इस रेस में दो बड़ी देसी कंपनियों के नाम सबसे ऊपर हैं- Titagarh Rail Systems और Jupiter Wagons. दोनों कंपनियां भारत की रेल व्यवस्था को नया रूप देने में जुटी हैं. चाहे वो मेट्रो और वंदे भारत जैसी नई तकनीक वाले ट्रेनों के कोच हों या फिर फ्रेट वैगन्स और ब्रेक डिस्क जैसे इंजीनियरिंग कॉम्पोनेंट्स, ये कंपनियां हर दिशा में काम कर रही हैं. लेकिन दोनों की रणनीति, मार्केट पोजीशन और ऑर्डर बुक में बड़ा अंतर है. आइए इन दोनों कंपनियों की तुलना करते हुए आपको एक आइडिया देते हैं कि कौन सी कंपनी किस स्थिति में है.

कैसा रहा शेयर बाजार का प्रदर्शन?

इसको सबसे पहले शेयर बाजार के प्रदर्शन से समझते हैं. टिटागढ़ रेल सिस्टम्स लिमिटेड का मार्केट कैप 12,669 करोड़ रुपये है. शुक्रवार को कंपनी का शेयर 940 रुपये तक पहुंचा. एक दिन में कंपनी के भाव में 0.70 फीसदी की मामूली बढ़त दिखाई. हालांकि, पिछले एक साल में स्टॉक में करीब 23.65 फीसदी की गिरावट आई है लेकिन पिछले एक महीने में 38.23 फीसदी की तेजी देखने को मिली है.

वहीं, जुपिटर वैगन्स लिमिटेड का मार्केट कैप 16,971 करोड़ रुपये है. शुक्रवार को इसका शेयर 499.80 रुपये पर बंद हुआ जो लगभग 2 फीसदी की गिरावट है. एक साल में कंपनी के स्टॉक में 33.30 फीसदी की गिरावट आई है, लेकिन पिछले एक महीने में इसमें 24.81 फीसदी की रिकवरी देखी गई है.

कंपनी का कारोबार- कौन क्या करता है?

टिटागढ़ रेल सिस्टम्स (पहले टिटागढ़ वैगन्स) पैसेंजर कोच, मेट्रो ट्रेन, मालवाहक डिब्बे, इलेक्ट्रिकल सिस्टम, कास्टिंग, स्पेशल इक्विपमेंट, ब्रिज और शिप बनाती है. कंपनी ने इटली की Firema को खरीदकर यूरोप में भी मजबूत उपस्थिति बनाई है. आज यह कंपनी भारत की सबसे बड़ी वैगन निर्माता है और फ्रेट वैगन्स मार्केट में 25 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी रखती है.

वहीं, जुपिटर वैगन्स (पहले कमर्शियल इंजीनियर्स एंड बॉडी बिल्डर) मुख्य रूप से रेलवे वैगन्स, वैगन कंपोनेंट्स, कास्टिंग और मेटल फैब्रिकेशन जैसे प्रोडक्ट्स का निर्माण करती है. कंपनी कमर्शियल व्हीकल्स के लिए लोड बॉडीज भी बनाती है.

किसके पास कितना काम है?

टिटागढ़ की ऑर्डर बुक 31 मार्च 2025 तक 24,526 करोड़ रुपये रिकॉर्ड की गई थी. इसमें करीब 11,500 वैगन्स और 1,583 मेट्रो व वंदे भारत कोच शामिल हैं. FY25 में कंपनी को 1,200 करोड़ रुपये से अधिक के नए ऑर्डर भी मिले हैं.

वहीं, जुपिटर वैगन्स की ऑर्डर बुक इस तारीख तक 6,303.6 करोड़ रुपये की थी. इसके ऑर्डर मुख्यतः व्हील सेट्स, ब्रेक डिस्क, कमर्शियल व्हीकल कंपोनेंट्स और रेलवे वैगन्स से जुड़े हैं.

कमाई और मुनाफे में किसने मारी बाजी?

Q4 FY25 के नतीजे

  • टिटागढ़ की आय Q4 में लगभग 4 फीसदी घटकर 1,006 करोड़ रुपये रही और मुनाफा 19 फीसदी घटकर 64 करोड़ रुपये हो गया.
  • जुपिटर की आय Q4 में करीब 6 फीसदी घटकर 1,045 करोड़ रुपये रही. लेकिन मुनाफा सिर्फ 2 फीसदी घटा और 103 करोड़ रुपये रहा.

3 साल में ग्रोथ (FY22-FY25)

  • टिटागढ़ की इनकम 38 फीसदी CAGR से बढ़कर 3,868 करोड़ रुपये हुई (FY22 में 1,468 करोड़ रुपये थी).
  • जुपिटर ने और बेहतर प्रदर्शन करते हुए 50 फीसदी CAGR से इनकम 3,963 करोड़ रुपये तक पहुंचाई (FY22 में 1,178 करोड़ रुपये). जुपिटर का मुनाफा 97 फीसदी CAGR से 380 करोड़ रुपये पर पहुंचा, जो FY22 में केवल 50 करोड़ रुपये था.

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डिस्क्लेमर: यह सामग्री केवल सूचना के उद्देश्य से प्रस्तुत की गई है और इसे निवेश सलाह या सिफारिश के रूप में न माना जाए. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें. बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन होता है.