कमोडिटी डेरिवेटिव्स में बैंकों की एंट्री तय? SEBI और RBI जल्द दे सकते हैं मंजूरी, जानें पूरा मामला

जानकारों का मानना है कि अगर सेबी और आरबीआई इस कदम को मंजूरी देते हैं, तो इससे कमोडिटी मार्केट में संस्थागत लिक्विडिटी बढ़ेगी, वोलैटिलिटी घटेगी और प्राइसिंग मैकेनिज्म और पारदर्शिता में सुधार होगा. यह कदम भारतीय कमोडिटी मार्केट को ग्लोबल लेवल पर प्रतिस्पर्धी बनाने में अहम साबित हो सकता है.

बैंकों को कमोडिटी डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग की मंजूरी देने की तैयारी में! Image Credit: Canva

भारतीय शेयर बाजार नियामक SEBI और देश का केंद्रीय बैंक RBI अब बैंकों को कमोडिटी डेरिवेटिव्स मार्केट में भागीदारी की अनुमति देने पर विचार कर रहे हैं. इस कदम का मकसद इस एसेट क्लास में लिक्विडिटी बढ़ाना और मार्केट डेप्थ को मजबूत करना है. अगर यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है, तो यह RBI द्वारा बैंकों को अधिक पूंजी के बेहतर इस्तेमाल की अनुमति देने की दिशा में एक और बड़ा कदम होगा.

संस्थागत भागीदारी बढ़ाने की दिशा में कदम

SEBI के चेयरमैन तुहीन कांत पांडेय ने गुरुवार को एक इंडस्ट्री इवेंट में बताया कि सेबी और आरबीआई मिलकर एक ऐसा फ्रेमवर्क तैयार करने पर काम कर रहे हैं जिससे बैंकों को सावधानीपूर्वक तरीके से कमोडिटी डेरिवेटिव्स मार्केट तक पहुंच दी जा सके. इसके साथ ही पांडेय ने कहा कि भारत एक बड़ा कमोडिटी उपभोक्ता देश है, लेकिन हम कीमत तय करने वाले नहीं, बल्कि कीमत स्वीकार करने वाले हैं. बाजार की गहराई बढ़ाना बेहद जरूरी है.

यह कदम सेबी के उस बड़े लक्ष्य का हिस्सा है जिसके तहत वह कमोडिटी डेरिवेटिव्स मार्केट में संस्थागत निवेशकों की भागीदारी बढ़ाना चाहता है. फिलहाल इस बाजार में लिक्विडिटी कम है और एग्रीकल्चर कमोडिटी कॉन्ट्रैक्ट्स पर बार-बार लगने वाले बैन की वजह से अस्थिरता बनी रहती है.

बैंकों की पूंजी उपयोग की स्वतंत्रता बढ़ेगी

अगर यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है, तो यह RBI द्वारा बैंकों को अधिक पूंजी के बेहतर इस्तेमाल की अनुमति देने की दिशा में एक और बड़ा कदम होगा. हाल ही में, अक्टूबर में, आरबीआई ने स्थानीय बैंकों को मर्जर और एक्विजिशन (M&A) फाइनेंस करने की अनुमति देने की योजना की घोषणा की थी, जिससे देश के 40 अरब डॉलर से अधिक के डील्स मार्केट को गति मिलने की उम्मीद है. कमोडिटी डेरिवेटिव्स में बैंकों की एंट्री से न केवल बाजार में गहराई बढ़ेगी, बल्कि इससे रिस्क मैनेजमेंट और प्राइस डिस्कवरी भी बेहतर होगी.

ग्लोबल फर्मों की बढ़ती दिलचस्पी

भारत का कमोडिटी मार्केट अब ग्लोबल लेवल पर खिलाड़ियों का भी ध्यान खींच रहा है. हाई-स्पीड ट्रेडिंग फर्में लगातार भारतीय एक्सचेंजों पर ट्रेडिंग के नए अवसर तलाश रही हैं. हाल ही में अरबपति Ken Griffin की फर्म Citadel Securities LLC ने कहा था कि वह भारत के कमोडिटी मार्केट में प्रवेश पर विचार कर रही है, क्योंकि यहां “ग्रोथ अपार है.

बाजार पर असर

जानकारों का मानना है कि अगर सेबी और आरबीआई इस कदम को मंजूरी देते हैं, तो इससे कमोडिटी मार्केट में संस्थागत लिक्विडिटी बढ़ेगी, वोलैटिलिटी घटेगी और प्राइसिंग मैकेनिज्म और पारदर्शिता में सुधार होगा. यह कदम भारतीय कमोडिटी मार्केट को ग्लोबल लेवल पर प्रतिस्पर्धी बनाने में अहम साबित हो सकता है.

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