झूठी रिपोर्ट, फर्जी जानकारी और बड़ा खेल….फर्स्ट ओवरसीज कैपिटल पर सेबी ने लगाया 2 साल का बैन
शेयर बाजार से जुड़ी एक बड़ी मर्चेंट बैंकिंग कंपनी पर सेबी की कड़ी नजर पड़ी है. जांच में खुलासे ऐसे हुए कि नियामक को सख्त कदम उठाने पड़े. सेबी के आदेश में कई अनियमितताओं और झूठी जानकारियों का जिक्र है, जिसने बाजार में हलचल मचा दी है.

बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने गुरुवार को फर्स्ट ओवरसीज कैपिटल लिमिटेड (First Overseas Capital Ltd) पर बड़ी कार्रवाई करते हुए कंपनी को दो साल के लिए नए मैनडेट लेने से प्रतिबंधित कर दिया है. साथ ही सेबी ने कंपनी पर 20 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. यह कदम कंपनी द्वारा झूठी जानकारी देने, रिपोर्टिंग में लापरवाही बरतने और अंडरराइटिंग सीमा का उल्लंघन करने जैसे कई गंभीर उल्लंघनों के बाद उठाया गया है.
फर्जी जानकारी और नियमों की अनदेखी का मामला
सेबी की रिपोर्ट के अनुसार, फर्स्ट ओवरसीज कैपिटल ने न केवल झूठी और भ्रामक जानकारी दी, बल्कि अंडरराइटिंग प्रतिबद्धताओं के तहत खरीकी गई प्रतिभूतियों की जानकारी समय पर सेबी को नहीं दी. कंपनी ने अपने हाफ-ईयरली रिपोर्ट भी देरी से जमा की और अपनी वेबसाइट पर ट्रैक रिकॉर्ड का खुलासा नहीं किया. यही नहीं, कंपनी के कई प्रमुख प्रबंधकीय कर्मचारियों के पास जरूरी NISM सर्टिफिकेट भी नहीं थे, जो कि सेबी के नियमों के तहत अनिवार्य है.
नेटवर्थ नियमों का उल्लंघन
सेबी की जांच में यह भी पाया गया कि फर्स्ट ओवरसीज़ कैपिटल वित्त वर्ष 2018-19 से नेटवर्थ मानक को पूरा नहीं कर रही थी. यह कंपनी केवल सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) के निर्देशों के बाद ही इस शर्त को पूरा कर पाई. सेबी के पूरे समय के सदस्य (Whole Time Member) अमरजीत सिंह ने अपने आदेश में कहा कि नेटवर्थ की शर्त केवल कागजी नहीं होती, बल्कि यह सुनिश्चित करती है कि मर्चेंट बैंकर किसी भी अंडरराइटिंग दायित्व को पूरा करने में सक्षम हों.
20 गुना ज्यादा अंडरराइटिंग पर सेबी का सवाल
सेबी के मुताबिक, फर्स्ट ओवरसीज़ कैपिटल ने खुद स्वीकार किया कि उसने अपनी नेटवर्थ से 20 गुना अधिक अंडरराइटिंग दायित्व लिए, यह सोचकर कि उसे वास्तविक भुगतान नहीं करना पड़ेगा. सेबी ने इसे गंभीर जोखिम बताते हुए कहा कि ऐसे कदम निवेशकों और क्लाइंट्स दोनों के हितों को खतरे में डालते हैं.
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जांच के बाद सेबी ने कंपनी को दो साल तक किसी भी नए इश्यू मैनेजमेंट, कॉर्पोरेट एडवाइजरी या इसी तरह के काम से दूर रहने का निर्देश दिया है. साथ ही कंपनी पर मर्चेंट बैंकर नियमों के उल्लंघन के लिए 20 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. यह कार्रवाई बाजार में पारदर्शिता और निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए की गई है.
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