TATA की इन 2 कंपनियों ने दिया 1.6 लाख करोड़ का झटका, 6 महीने से डुबो रही हैं पैसा, जानें क्या है रिस्क

टाटा ग्रुप की दो दिग्‍गज कंपनियां Tata Consultancy Services Ltd यानी TCS और Trent Ltd के शेयरों में बीते 6 महीनों से गिरावट देखने को मिल रही है, जिससे निवेशकों की चिंताएं बढ़ गई है. तो इस दौरान कितना हुआ नुकसान और क्‍या है गिरावट की वजह जानें डिटेल.

tata के इन दो शेयरों ने लगाई निवेशकों को चपत Image Credit: money9

TCS and Trent share price: टाटा ग्रुप की दो दिग्‍गज कंपनियां Tata Consultancy Services Ltd यानी TCS और Trent Ltd आजकल चर्चाओं में हैं. TCS ने जहां 12000 कर्मचारियों के छंटनी की प्‍लानिंग से पूरी IT इंडस्‍ट्री को हिला कर रख दिया है. वहीं zudio, वेस्‍टसाइड और स्टार बाजार जैसे ब्रांड्स को चलाने वाली ट्रेंट कंपनी के कमजोर वित्‍तीय प्रदर्शन ने चिंता खड़ी कर दी है. बीते 6 महीनों में इनका प्रदर्शन इतना खराब रहा है, जिससे निवेशकों के करोड़ों रुपए डूब गए.

निवेशकों के कितने डूबे पैसे?

स्‍टॉक एनालिसिस के मुता‍बिक TCS का वर्तमान मार्केट कैप 11.14 ट्रिलियन है, जबकि 6 महीने पहले यानी 28 फरवरी को ये 12.60 ट्रिलियन था. लिहाजा 6 महीनों में निवेशकों को 1.46 ट्रिलियन यानी ₹1,46,000 करोड़ का नुकसान हुआ है. वहीं Trent की बात करें तो कंपनीज मार्केप कैप के मुताबिक एक फरवरी 2025 को इसका मार्केट कैप करीब 2 लाख करोड़ था जो अब गिरकर 1.79 लाख करोड़ हो गया है. यानी इस दौरान करीब 21000 करोड़ रुपये निवेशकों के डूब गए. टीसीएस और ट्रेंट दोनों ने मिलाकर लगभग निवेशकों के कुल ₹1,67,000 करोड़ डुबोए हैं.

निफ्टी 50 के सबसे खराब प्रदर्शन वाले स्‍टॉक्‍स

ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक TCS और ट्रेंट 2025 में भारी गिरावट का शिकार हो गई हैं. दोनों के शेयर इस साल 25-30% तक टूट चुके हैं, जिसके चलते ये निफ्टी 50 के सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले स्टॉक्स बन गए हैं. 2008 की वैश्विक मंदी के बाद टीसीएस अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही है. वहीं, ट्रेंट, जिसने पिछले पांच सालों में 800% का शानदार रिटर्न दिया, ये भी 2008 के बाद अपनी सबसे खराब शेयर परफॉर्मेंस का सामना कर रही है. TCS के शेयर 29 जुलाई को भी गिरावट के साथ 3053 रुपये पर ट्रेड कर रहे थे. 6 महीने में इसमें 25 फीसदी और एक साल में 30 फीसदी तक की गिरावट आई है.

वहीं trent लिमिटेड के शेयर 29 जुलाई को हरे निशान पर कारोबार करते नजर आए, जिससे शेयरों की कीमत 5017 रुपये पहुंच गई, लेकिन इसमें 6 महीने का रिकॉर्ड देखें तो इसमें 9 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की है. वहीं 1 साल में इसमें 8 फीसदी से ज्‍यादा की गिरावट आई है.

TCS की मुश्किलें

TCS के शेयर में 6 महीने में करीब 25% की गिरावट आई है, जो IT सेक्टर की चुनौतियों को दर्शाती है. जानकारों के मुताबिक अमेरिका में क्लाइंट्स के खर्च में कमी, मैक्रोइकनॉमिक अनिश्चितताएं और AI आधारित ट्रांसफॉर्मेशन के दबाव के चलते कंपनी अपनी रणनीति में बदलाव कर रही है. इसके चलते छंटनियां भी की जा रही हैं. इससे डिमांड की कमजोरी साफ झलक रही है.

वित्‍तीय स्थिति भी हुई डांवाडोल

Q1 FY26 के नतीजों में TCS का रेवेन्यू तिमाही-दर-तिमाही 3.3% गिरा, जो विश्लेषकों के अनुमान से कम रहा. TCS के मैनेजमेंट के मुताबिक डिस्क्रिशनरी इनवेस्टमेंट्स में देरी और प्रोजेक्ट्स शुरू होने में रुकावटें Q4 FY25 से जारी हैं और Q1 FY26 में और बढ़ गई हैं. हालांकि, डिमांड पाइपलाइन और जुलाई/अगस्त में टैरिफ पर स्पष्टता के बाद डिस्क्रिशनरी डिमांड के बढ़ने की उम्मीद है. मगर ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि ये सभी दिक्‍कतें कंपनी के लिए चुनैती खड़ी कर सकती हैं. जेफरीज ने चेतावनी दी कि कर्मचारियों की छंटनी से भविष्य में प्रोजेक्ट्स में रुकावटें आ सकती हैं. इन्‍हींं आशंकाओं के चलते कई ब्रोकरेज हाउस ने इसकी रेटिंग डाउनग्रेड की है.

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Trent की रफ्तार में भी ब्रेक

Zudio और वेस्टसाइड जैसे लोकप्रिय ब्रांड्स चलाने वाली ट्रेंट, जो पिछले पांच सालों में 35% CAGR के साथ रिटेल की रेस में छाई थी, 2025 में सुस्त पड़ गई है. Q1 FY26 में कंपनी की स्टैंडअलोन रेवेन्यू ग्रोथ केवल 20% रही, जो FY20-25 के 35% CAGR से काफी कम है. हाल ही में हुई AGM में ट्रेंट ने अपने कोर फैशन बिजनेस के लिए Q1 FY26 में सिर्फ 20% ग्रोथ का गाइडेंस दिया, जो पहले के 25%+ ग्रोथ के लक्ष्य से कम है.

ट्रेंट की सुस्‍ती के पीछे ये है वजह

HSBC के विश्लेषकों के मुताबिक कमजोर डिमांड और बांग्लादेश से सप्लाई चेन में रुकावटें ट्रेंड की रफ्तार में ब्रेक का कारण हो सकती हैं, हालांकि ट्रेंट के 90% से ज्यादा प्रोडक्ट्स भारत में ही बनते हैं. ट्रेंट की सुस्त ग्रोथ ने निवेशकों का भरोसा डगमगाया है.