Vodafone Idea Q2 Results: घाटा ₹5524 करोड़ तक सिमटा, ARPU बढ़ा, कर्ज अब भी ₹2 लाख करोड़ के पार

देश की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया ने मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के नतीजे जारी कर दिए हैं. कंपनी के फाइनेंशियल स्टेटमेंट के मुताबिक घाटा सिमटकर 5,524 करोड़ रुपये पर आ गया है. इसके अलावा APRU में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है.

वोडाफोन आइडिया Image Credit: money9live.com

कर्ज में डूबी टेलीकॉम कंपनी Vodafone Idea (Vi) ने वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के नतीजे जारी किए हैं. कंपनी का घाटा साल-दर-साल आधार पर घटकर 5,524 करोड़ रुपये रह गया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह घाटा 7,175.9 करोड़ रुपये रहा था.

रेवेन्यू में हल्की बढ़त

कंपनी की कुल आय में मामूली सुधार दर्ज हुआ है. सितंबर तिमाही में कुल रेवेन्यू 11,195 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की समान तिमाही के 10,932.2 करोड़ रुपये के मुकाबले 2.4% की बढ़त दिखाता है. घाटे में कमी और रेवेन्यू में यह सुधार कंपनी के ऑपरेशनल एफिशिएंसी और टैरिफ रिवीजन के असर को दर्शाता है.

ARPU में 8.7% की छलांग

कंपनी के लिए एक पॉजिटिव संकेत यह रहा कि उसका ARPU (Average Revenue Per User) बढ़ा है. सालाना आधार पर यह अब बढ़कर 180 रुपये पर पहुंच गया है. जबकि, पिछले साल की समान तिमाही में यह 166 रुपये रहा था. इस तरह APRU में 8.7% की बढ़त देखने को मिली है. यह ग्रोथ कस्टमर अपग्रेडेशन और टैरिफ बढ़ोतरी के चलते आई है. यह संकेत देता है कि Vi के प्रीमियम यूजर्स का बेस मजबूत हो रहा है, हालांकि यूजर बेस में गिरावट कंपनी की बड़ी चुनौती बनी हुई है.

2.03 लाख करोड़ कर्ज अब भी चुनौती

कंपनी का कुल कर्ज अब भी बेहद ऊंचे स्तर पर है. सितंबर तिमाही के अंत तक Vodafone Idea पर 2,02,951 करोड़ रुपये का कुल कर्ज बकाया है. इसमें अब भी बढ़ा हिस्सा AGR (Adjusted Gross Revenue) की देनदारी का है. इसके अलावा ब्याज भुगतान और नेटवर्क विस्तार के लिए ली गई देनदारियां शामिल हैं.

5G पर बढ़ाया फोकस

कंपनी का कहना है कि वह अपने 4G नेटवर्क के विस्तार और 5G सेवाओं की तैयारी पर ध्यान दे रही है. हालांकि, निवेश की कमी और पूंजी जुटाने में देरी से कंपनी के नेटवर्क विस्तार की गति धीमी बनी हुई है. बहरहाल, विश्लेषकों का मानना है कि घाटे में सुधार के बावजूद कंपनी की बैलेंस शीट पर भारी कर्ज और कैश फ्लो की कमी बड़ी चुनौती है. निवेशक अब कंपनी की फंडरेजिंग योजनाओं और सरकार से मिलने वाले संभावित राहत उपायों पर नजर रखे हुए हैं.