ट्रिप पर हुए टैक्‍सी ड्राइवर से बहस ने बदली जिंदगी, खड़ी कर दी ये नामी कंपनी, आज है करोंड़ों की नेटवर्थ

भाविश अग्रवाल आईआईटी बॉम्‍बे से पढ़े हुए हैं. वह पहले माइक्रोसॉफ्ट में जॉब करते थे. नौकरी छोड़ने के बाद उन्‍होंने अपने दोस्‍त के साथ मिलकर बिजनेस शुरू किया था.

ओला के सीईओ भाविश अग्रवाल की सफलता की कहानी

Success Story: बिजनेस करना सबके बस की बात नहीं है, इस‍के लिए जज्बे और जुनून की जरूरत होती है. तभी तो जिंदगी में हुई एक छोटी-सी घटना से आपका पूरा नजरिया बदल सकता है. इसका उदाहरण ओला के संस्थापक और सीईओ भाविश अग्रवाल के मामले में देखने को मिला. दोस्‍तों के साथ उनका घूमने जाना और उस रोड़ ट्रिप पर कैब ड्राइवर से उनका बहस होना यहीं उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा टर्निंग प्‍वांइट बना. यहीं से उन्‍होंने लोगों की रोजमर्रा की परेशानियाें को समझना शुरू किया. उन्‍हें लगा कि देश में बढि़या कैब सर्विस की जरूरत है, जिसका किराया कम हो. साथ ही कस्‍टमर को बेहतर सुविधाएं मिलें. यहीं से भाविश अग्रवाल के एक कामयाब बिजनेसमैन बनने की शुरुआत हुई.

बिजनेसमैन बनने से पहले माइक्रोसॉफ्ट में करते थे नौकरी

भाविश अग्रवाल आईआईटी बॉम्‍बे से पढ़े हुए हैं. उन्‍होंने साल 2004से 2008 तक वहां पढ़ाई की. उन्‍होंने कंप्‍यूटर साइंस में बीटेक किया है. पहली बार में जब आईआईटी में उनका सेलेक्‍शन नहीं हुआ था तब वह कोटा में तैयारी करने गए थे. एक साल की तैयारी के बाद उन्‍हें परीक्षा में सफलता मिली. पढ़ाई के दौरान उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च इंडिया में इंटर्नशिप की और 2008 में वहां नौकरी भी हासिल कर ली. साल 2010 तक भाविश ने वहां काम किया बाद में उन्‍होंने खुद की कंपनी खोलने के लिए नौकरी छोड़ दी.

दोस्‍त के साथ मिलकर शुरू की थी कंपनी

भाविश ने जोधपुर के अपने आईआईटीयन दोस्त अंकित भाटी के साथ मिलकर अपनी खुद की कंपनी शुरू करने का प्‍लान बनाया. जॉब छोड़ने के बाद दोनों ने मिलकर आउटस्टेशन यानी बाहर घूमने-फिरने के लिए कैब बुक करने का एक प्‍लेटफॉर्म तैयार किया, जिसे उन्‍होंने ओलाट्रिप्स डॉट कॉम नाम दिया. भाविश ने इसमें अपने अनुभव का इस्‍तेमाल किया. भाविश और भाटी, दोनों ने 2011 में मुंबई के पवई में 1 BHK में अपना दफ्तर बनाया और काम शुरू किया. मगर छुट्टियों या घूमने वाली यात्राओं के लिए कैब की डिमांड ज्‍यादा नहीं थी, लिहाजा 4 महीने के अंदर ही उन्‍हें अपना काम बंद करना पड़ा.

नहीं टूटा हौंसला

ब्‍लूबमर्ग को पहले दिए एक इंटरव्‍यू में भाविश ने बताया था कि बिजनेस ठप होने के बाद भी उनहोंने हार नहीं मानीं और दोबारा अपने दोस्‍त के साथ कार किराए पर लेना शुरू कर दिया और ड्रीम्ज़ मॉल नामक एक आधे खाली शॉपिंग सेंटर के बेसमेंट में अपना एक छोटा-सा दफ्तर बनाया. इसके एक साल बाद 2012 में अग्रवाल और भाटी ने उन ग्राहकों को कैब की सुविधा देनी शुरू की जो उन्‍हें फोन करके बुलाते थे. कई बार अग्रवाल को खुद ही ड्राइवरों की मदद लेनी पड़ती थी. साथ ही उन्‍हें अपनी गर्लफ्रेंड, जिससे उन्‍होंने शादी की है, उनकी भी पर्सनल कार मांग कर कस्‍टमर को लेने जाते थे. जल्द ही उन्होंने अपना स्मार्टफोन ऐप लॉन्च कर दिया, जिसके जरिए कोई भी व्‍यक्ति उनकी कैब आसानी से बुक कर सकता था. इसी के बाद से भाविश अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने में कामयाब रहे. उसी साल उनकी कंपनी ने टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट से 5 मिलियन डॉलर का निवेश हासिल किया था.

अमीरों की लिस्‍ट में बनाई जगह

लुधियाना में जन्‍मे भाविश अग्रवाल ने अपनी मेहनत के दम पर दुनिया में एक मुकाम हासिल किया है. उन्‍हें भारत के सबसे अमीर सेल्फ मेड मैन में से एक माना गया है. उनका नाम 2022 के हुरुन इंडिया के 40 एंड अंडर सेल्फ मेड रिच लिस्ट यानी खुद के दम पर बनें रईसों की लिस्‍ट में शामिल किया गया. उनकी संपत्ति करीब 11,700 करोड़ रुपए बताई जाती है. हाल ही में स्‍वतंत्रता दिवस के मौके पर उनकी कंपनी ओला ने अपनी पहली इलेक्ट्रिक बाइक लॉन्‍च की है. इसके अलावा मेड इन इंडिया सेल भी तैयार किया है.