सिर्फ 3000 रुपये में बिक रही थी मजदूरों की पहचान! अनजाने में इस साइबर रैकेट के कहीं आप भी तो नहीं शिकार?
सरकारी स्कीम का नाम सुनते ही कई मजदूर भरोसा कर बैठे. जो हुआ, वह किसी के साथ भी हो सकता है. एक शातिर दिमाग ने ऐसा जाल बुना कि मासूम पहचानें ही ठगी का जरिया बन गईं. पुलिस ने जब तहकीकात शुरू की तो सामने आई चौंकाने वाली हकीकत.

Cyber Crime: अब ठग सिर्फ तकनीक के सहारे ही नहीं, बल्कि आपकी पहचान चुराकर साइबर ठगी को अंजाम दे रहे हैं. पंजाब के जिरकपुर और पंचकूला में सामने आए एक मामले ने इस डर को और पुख्ता कर दिया है. यहां दो युवकों ने प्रवासी मजदूरों की मासूमियत का फायदा उठाकर उनके नाम पर बैंक खाते खुलवाए और उनका इस्तेमाल ऑनलाइन फ्रॉड में किया. ऐसे मामले अब चेतावनी हैं कि यह खतरा सिर्फ दूसरों के साथ नहीं, बल्कि किसी के भी साथ हो सकता है.
कैसे रची गई ठगी की साजिश
HT की रिपोर्ट के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपियों की पहचान करन कुमार और कनव कपूर के रूप में हुई है. करन, जो मूल रूप से उत्तर प्रदेश के उन्नाव का निवासी है और फिलहाल जिरकपुर के ढकोली में रह रहा था, प्रवासी मजदूरों को झूठे सरकारी लाभों का लालच देकर उनके दस्तावेज इकट्ठा करता था. यूपी और बिहार के मजदूरों को वह यह कहकर फंसाता कि सरकार की तरफ से उन्हें सहायता राशि मिलेगी.
करन इन दस्तावेजों से उनके नाम पर बैंक खाते खुलवाता और पासबुक, चेक बुक, एटीएम कार्ड और उससे जुड़े सिम कार्ड अपने पास रखता. इन खातों का इस्तेमाल ऑनलाइन ठगी की रकम को ट्रांसफर और निकालने के लिए किया जाता.
हर खाते के मिलते थे 3000 रुपये
जांच में सामने आया कि कनव कपूर, जो नोएडा का निवासी है, समय-समय पर पंचकूला और ढकोली पहुंचता और करन से ये बैंक अकाउंट और सिम कार्ड लेता था. करन ने स्वीकार किया कि वह हर खाता कनव को 3,000 रुपये में बेचता था. कनव इन खातों में साइबर ठगी की रकम डालता और करन निकासी कर उसे वापस देता, बदले में कमीशन पाता.
करन के पास से 18 एटीएम कार्ड, 12 पासबुक और 6 चेकबुक बरामद हुए, जबकि कनव के पास से लैपटॉप, 6 स्मार्टफोन, 2 बेसिक फोन और 7 सिम कार्ड मिले. दोनों के खिलाफ पहले भी आपराधिक केस दर्ज हैं.
कैसे बचें ऐसे जाल से?
- अपने दस्तावेज किसी अंजान व्यक्ति को न दें, चाहे वह किसी भी स्कीम का वादा करे.
- कोई भी बैंक खाता खोलने से पहले उसकी जरूरत और मकसद की जांच करें.
सेक्टर-20 साइबर थाने में भारत न्याय संहिता की धाराओं 61 (षड्यंत्र) और 318(4) (धोखाधड़ी) के तहत एफआईआर दर्ज कर आगे की जांच जारी है.
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