टेलीकॉम सेक्टर में जल्द होगा बड़ा बदलाव, मोबाइल से सीधे जुड़ेगा सैटेलाइट, सरकार ने D2D सर्विस के लिए TRAI से सुझाव मांगे
DOT देश में फोन को सीधे सैटेलाइट से जोडने वाली D2D सर्विस के लिए फ्रेमवर्क बनाने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए TRAI से सुझाव मांगे जाएंगे. इस सर्विस के शुरू होने पर दूरदराज इलाकों में भी मोबाइल नेटवर्क 4G या 5G की तरह सहज मिलेगा. अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में यह तकनीक पहले से लागू है. स्टारलिंक, वनवेब, जियो सैटेलाइट और अन्य कंपनियां भारत में ऐसी सर्विसएं लाने की तैयारी में हैं.
D2D Services: देश में मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी अब नए दौर में प्रवेश कर सकती है. दूरसंचार विभाग यानी DOT जल्द ही ऐसी व्यवस्था लाने की तैयारी में है जिससे मोबाइल फोन सीधे सैटेलाइट से जुड़ सकेंगे. इसे डायरेक्ट टू डिवाइस यानी D2D सैटेलाइट सर्विस कहा जाता है. अभी भारत में ऐसे नियम मौजूद नहीं हैं, लेकिन DOT इस पर TRAI से सुझाव मांगने की योजना बना रहा है. अगर यह सर्विस शुरू होती है तो दूरदराज के इलाकों में भी नेटवर्क वैसा ही मिलेगा जैसा 4G या 5G में मिलता है. अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश पहले ही ऐसी सर्विस को मंजूरी दे चुके हैं.
क्या है D2D सैटेलाइट सर्विस
इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, D2D सर्विस वह तकनीक है जिसमें फोन बिना किसी टर्मिनल के सीधे सैटेलाइट से जुड़ जाता है. अभी भारत में सैटेलाइट सर्विस सीमित रूप में उपलब्ध हैं और उन्हें चलाने के लिए महंगे टर्मिनल की जरूरत होती है. स्टारलिंक, वनवेब, जियो सैटेलाइट जैसी कंपनियां भारत में सर्विस देने की तैयारी कर रही हैं. D2D सर्विस आने से इनका दायरा और भी ज्यादा बढ़ सकता है. जानकारों का कहना है कि इसकी लागत सामान्य मोबाइल नेटवर्क जैसी ही हो सकती है.
TRAI से मांगे जाएंगे सुझाव
DOT जल्द ही TRAI को इस सर्विस पर डिटेल सुझाव देने के लिए रेफरेंस भेजेगा. इसके बाद TRAI टेलीकॉम कंपनियों, सैटेलाइट कंपनी और अन्य हिस्सेदारों से राय लेगा. इसके तहत D2D सर्विस के लिए कौन सा स्पेक्ट्रम इस्तेमाल हो, किस तरह नियम बनाए जाएं और कैसे नेटवर्क में बाधा न आए, इस पर चर्चा होगी. DOT कंपनियों से बातचीत भी कर रहा है ताकि तकनीक को और बेहतर तरीके से समझा जा सके.
कौन सी कंपनियां दे सकती हैं सर्विस
वर्तमान में ह्यूजेस, नेल्को और BSNL सीमित सैटेलाइट सर्विस दे रहे हैं, लेकिन वे फिक्स्ड टर्मिनल आधारित हैं. आगे चलकर स्टारलिंक, इयूटलसैट वनवेब, अमेजन किपर और जियो सैटेलाइट जैसी कंपनियां भारत में उतरेंगी. कुछ कंपनियां सैटेलाइट स्पेक्ट्रम से सर्विस देने की योजना पर काम कर रही हैं, वहीं स्टारलिंक की तरह कुछ मोबाइल स्पेक्ट्रम के जरिए सर्विस देने का विकल्प चुन सकती हैं. आने वाले सालों में यह तकनीक और तेज गति से बढ़ेगी.
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कब से मिल सकती है D2D सर्विस
D2D सर्विस का विस्तार 2027 के बाद संभव माना जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संगठन ITU उस साल होने वाले सम्मेलन WRC 27 में इसके लिए जरूरी स्पेक्ट्रम बैंड तय कर सकता है. एक बार स्पेक्ट्रम तय हो गया तो ग्लोबल कंपनियां तेजी से सर्विस शुरू कर सकेंगी. भारत में भी नियम बनने के बाद यह सर्विस मोबाइल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला सकती है.
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