एलन मस्क की Starlink भारत में लॉन्च के करीब, मिली ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम ट्रायल की मंजूरी; अब कंपनी करेगी ये काम
एलन मस्क की Starlink को भारत सरकार से ट्रायल स्पेक्ट्रम की मंजूरी मिल गई है. यह मंजूरी डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस (DoT) ने दी है. फिलहाल कंपनी को प्रोविजनल स्पेक्ट्रम की अनुमति मिली है, जिससे उसे भारत में कमर्शियल लॉन्च की दिशा में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा.

एलन मस्क की इंटरनेट सैटेलाइट कंपनी स्टारलिंक को भारत में बड़ी सफलता मिली है. कंपनी को भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड ट्रायल सर्विस शुरू करने की मंजूरी मिल गई है. यह मंजूरी डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस (DoT) ने दी है. फिलहाल कंपनी को प्रोविजनल स्पेक्ट्रम की अनुमति मिली है, जिससे उसे भारत में कमर्शियल लॉन्च की दिशा में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा. मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, मंजूरी मिलने के बाद कंपनी देश में ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करेगी और सिक्योरिटी कंप्लायंस टेस्ट करेगी यानी, स्टारलिंक को यह साबित करना होगा कि उसका सिस्टम, डेटा और नेटवर्क पूरी तरह सुरक्षित है.
10 जगहों पर बनेंगे बेस स्टेशन
स्टारलिंक फिलहाल देश में 10 लोकेशनों पर बेस स्टेशन लगाने की योजना बना रही है, जिसमें मुंबई इसका मुख्य केंद्र होगा. इसके लिए कंपनी ने इक्विपमेंट इंपोर्ट लाइसेंस के लिए आवेदन भी कर दिया है. इसके अलावा मुंबई स्थित ग्राउंड स्टेशन के गेटवे का निर्माण कार्य इक्विनिक्स को सौंपा गया है.
दिसंबर 2025 तक शुरू हो सकती है कमर्शियल सर्विस
अभी तक स्टारलिंक ने भारत में सभी सुरक्षा शर्तें पूरी कर ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट (GMPCS) लाइसेंस हासिल किया है. जिसके मुताबिक, भारत में सभी सैटेलाइट कम्युनिकेशन को भारतीय धरती पर स्थित गेटवे से ही रूट किया जाएगा. इसके अलावा, किसी भी डेटा को कॉपी, डिक्रिप्ट या देश से बाहर भेजने की अनुमति नहीं होगी. स्टारलिंक इन शर्तों को मानते हुए फेज्ड रोलआउट प्लान ( यानी धीरे-धीरे चरणों में लॉन्च करना है) बनाया है, जिसकी शुरुआत उन जगहों से होगी, जहां इंटरनेट की सेवाएं कम है. ऐसे में अगर सब कुछ समय पर हुआ तो दिसंबर 2025 तक स्टारलिंक की कमर्शियल सर्विस भारत में शुरू हो सकती है. इसके लिए कंपनी ने UIDAI के साथ आधार-आधारित ग्राहक सत्यापन (कस्टमर वेरिफिकेशन) के लिए साझेदारी भी की है.
मौजूदा समय में स्टारलिंक दुनिया के 125 से ज्यादा देशों में एक्टिव है. हालांकि, भारत में कंपनी को 2021 में बिना अनुमति प्री-ऑर्डर लेने के लिए रिफंड जारी करने का आदेश दिया गया था.
सरकार कर रही है स्पेक्ट्रम प्राइसिंग और अलोकेशन पर काम
सरकार अभी भी स्पेक्ट्रम प्राइसिंग और अलोकेशन की शर्तों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है. इसके लिए डिजिटल कम्युनिकेशंस कमीशन (DCC) की रिपोर्ट TRAI को भेजी जाएगी. इसके बाद अंतिम अलोकेशन किया जाएगा.
प्राइसिंग विवाद बन रहा अड़चन
फिलहाल इस प्रक्रिया में स्पेक्ट्रम प्राइसिंग को लेकर विवाद जारी है. 9 मई को TRAI ने प्रस्ताव दिया था कि सैटेलाइट सर्विस प्रोवाइडर्स को अपने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) का 4 फीसदी यूसेज चार्ज देना होगा. इस प्रस्ताव का निजी टेलीकॉम कंपनियों ने विरोध किया है और सरकार का इस पर अभी अंतिम फैसला नहीं आया है. इसी बीच, Eutelsat OneWeb और Jio-SES की जॉइंट वेंचर Orbit Connect India को जून में DoT की ओर से प्रोविजनल स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल के लिए नवंबर तक का एक्सटेंशन दिया गया है. वैसे मई 2025 में जारी किए गए नए सुरक्षा नियमों का पालन करने के लिए इन कंपनियों को अतिरिक्त समय दिया गया है. हालांकि, इन दोनों कंपनियों के पास पहले से GMPCS लाइसेंस मौजूद है, लेकिन उन्हें भारत में कमर्शियल सर्विस शुरू करने से पहले नए नियमों का पालन करना होगा.
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