यूपीआई बना कारोबारियों का सिरदर्द, साइबर फ्रॉड के बाद 36,000 से ज्यादा बैंक खाते ब्लॉक
डिजिटल इंडिया के दौर में यूपीआई आम लोगों और कारोबारियों दोनों की जरूरत बन चुका है. छोटे दुकानदार से लेकर बड़े व्यापारी तक, रोजमर्रा के लेनदेन के लिए यूपीआई पर निर्भर हैं. चाहे 10 रुपये की पेमेंट हो या हजारों रुपये का ट्रांजैक्शन, यूपीआई ने पैसों का लेनदेन बेहद आसान बना दिया है. लेकिन यही सुविधा अब कई लोगों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन रही है. हाल के मामलों में साइबर फ्रॉड की जांच के तहत देशभर में 36,000 से अधिक बैंक खाते ब्लॉक कर दिए गए हैं, जिनमें बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जिनका किसी अपराध से सीधा संबंध नहीं है.
दरअसल, जब किसी साइबर फ्रॉड की रकम यूपीआई के जरिए एक खाते से दूसरे खाते में ट्रांसफर होती है, तो जांच एजेंसियां उस ट्रांजैक्शन चेन से जुड़े सभी खातों को संदिग्ध मान लेती हैं. कई बार कारोबारी या आम व्यक्ति अनजाने में ऐसी रकम प्राप्त कर लेते हैं, जिससे उनका बैंक अकाउंट भी ब्लॉक हो जाता है. अकाउंट ब्लॉक होने के बाद न तो पैसा निकाला जा सकता है और न ही कोई डिजिटल लेनदेन किया जा सकता है. इससे व्यापार ठप हो जाता है और रोजमर्रा की जरूरतों पर भी असर पड़ता है.
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