गुड़ियों के बाजार में अमेरिका-चीन की लड़ाई, लाबुबु से हार जाएगी बार्बी !
टॉय इंटस्ट्री में लाबुबु एक उभरता हुआ नाम है. चीन की यह कंपनी अमेरिकी कंपनी बार्बी को कड़ी टक्कर दे रही है. इस कंपनी की चर्चा तब और तेज हो गई जब इसके मालिक की कमाई रातो रात 13,000 करोड़ बढ़ गई. अब ऐसे में बार्बी डॉल, लाबुबु से कैसे अलग है? किसके खिलौने कितने महंगे होते हैं? और क्या आने वाले कुछ सालों में लाबुबु, बार्बी को पीछे छोड़ कर टॉय इंडस्ट्री की सबसे बड़ी कंपनी बन जाएगी? आइए जानते हैं.

खिलौनों की दुनिया में एक नई कंपनी उभर रही है – लाबुबु. अपनी क्यूटनेस और यूनिक डिजाइन के कारण यह कैरेक्टर तेजी से लोकप्रियता हासिल कर रहा है. दूसरी ओर है, बार्बी, जो 1959 से बच्चों और कलेक्टर्स के बीच प्रिय रही है, फैशन और मनोरंजन की दुनिया में एक प्रतिष्ठित नाम बन चुकी है. लाबुबु की चर्चा तब और तेज हो गई जब इस कंपनी के मालिक की कमाई 24 घंटे में ही 13,000 करोड़ रुपये बढ़ गई. अब ऐसे में अपनी बार्बी डॉल से लाबुबु ये कैसे अलग है? किसके खिलौने कितने महंगे होते हैं? और क्या आने वाले कुछ सालों में लाबुबु, बार्बी को पीछे छोड़ कर टॉय की दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बन जाएगी? आइए जानते हैं.
Barbie से महंगा है Labubu टॉय!
आम तौर पर चीन में बने सामान सस्ते होते हैं. लेकिन Barbie और Labubu टॉय के केस में ये ठीक उलटा है. इकोनॉमिस्ट राइटिंग एवरीडे में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार Barbie टॉय की कीमत 1,160 से 1,650 रुपये होते हैं. जबकि एक Labubu टॉय की कीमत लगभग 6000 से 7000 हजार रुपये होती है.
कितने का कंपनी करती है व्यापार?
बिजनेस रिसर्च इनसाइट के अनुसार साल 2024 में Barbie डॉल बनाने वाली कंपनी ने 15,391 करोड़ रुपये की गुड़ियां बेची है. यह पिछले साल (2023) की तुलना में 8.5 फीसदी अधिक है. रिसर्च फर्म के अनुसार 2032 तक इसके बढ़कर 29,927 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है. लाबुबु ने पिछले साल 3,420 करोड़ का व्यापार किया है.
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दोनों में फर्क क्या है?
बार्बी एक फैशन डॉल है. लाबुबु एक ऐसी गुड़िया जो दिखने में सुंदर और आर्कषक तो है लेकिन डरावनी भी है. इसलिए इसे दयालु राक्षस भी कहते हैं. बार्बी टॉय बनाने वाली कंपनी अमेरिका की है. जबकि जो कंपनी लाबुबु बनाती है वो चीन की है. बार्बी के पास इस इंडस्ट्री में 6 दशक काम करने का अनुभव है और लाबुबु के पास मात्र 15 साल का.
ब्लैकबॉक्स मार्केटिंग का इस्तेमाल
लाबुबु के खरीदार को नहीं पता होता है कि उन्हें जो गुड़िया मिलने जा रही है वो कैसी होगी. इसके पिछले की वजह ये है कि कंपनी ब्लैकबॉक्स मार्केटिंग ट्रिक्स का इस्तेमाल करती है. जब ग्राहक बॉक्स खोलते हैं तो पता चलता है कि उसे किस तरह की गुड़िया मिली है. जबकि बार्बी में ऐसा नहीं होता है. बार्बी के ग्राहक अपनी पसंद से गुड़िया खरीदते हैं.
बार्बी को पीछे छोड़ देगा लाबुबु?
साल 2024 के मार्केट वेल्यू के आधार पर अनुमान लगाया जाए तो यह अभी मुश्किल है. मौजूदा वक्त में बार्बी, लाबुबु से 5 गुना अधिक व्यापार कर रही है. बार्बी 15,391 करोड़ तो वहीं लाबुबु का मार्केट साइज 3,420 करोड़ रुपये का रहा.
रिसेल कर अधिक मुनाफा कमाते हैं खरीदार
चुंकि लाबुबु ब्लैक बॉक्स मार्केटिंग ट्रिक्स का इस्तेमाल करती है. इसलिए खरीदार को पता नहीं चलता कि वे जो गुड़िया खरीद रहे हैं वो कैसा है. ऐसे में ग्राहक खरीदे गए टॉय को फिर से सेल करते हैं. रिसेल होने वाले प्रोडक्ट की कीमत असली कीमत से अधिक होती है.
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