Henley Passport Index: पहली बार अमेरिका टॉप 10 से बाहर, एशिया का दबदबा बढ़ा, भारत का क्या हाल?
Henley Passport Index के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि अमेरिकी पासपोर्ट टॉप 10 से बाहर हो गया है. वहीं, सिंगापुर, साउथ कोरिया और जापान जैसे देशों के साथ एशिया का इस इंडेक्स में दबदबा बढ़ा है. इंडेक्स के नतीजे बताते हैं कि अमेरिकी नागरिकों की ग्लोबल मोबिलिटी घट रही है.
दुनिया में यात्रा की आजादी पर अमेरिकी पासपोर्ट की चमक अब फीकी पड़ने लगी है. Henley Passport Index की नई रैंकिंग में अमेरिका पहली बार टॉप 10 से बाहर हो गया है. 2014 में इस इंडेक्स में शीर्ष पर रहा US पासपोर्ट अब 12वें स्थान पर आ गया है, जो मलेशिया के साथ बराबरी पर है. अब अमेरिकी नागरिक 227 में से 180 देशों में वीजा-फ्री या वीजा-ऑन-अराइवल से जा सकते हैं.
एशियाई देशों का दबदबा बढ़ा
2025 की ताजा रैंकिंग में सिंगापुर पहले स्थान पर है, जिसके पास 193 देशों तक वीजा-फ्री पहुंच है. इसके बाद साउथ कोरिया आता है, जिसके नागिरकों को 190 और फिर जापान है, जिसके नागरिकों को 189 देशों में वीजा फ्री एंट्री मिलती है. यह इंडेक्स इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) के डाटा पर आधारित है.
क्यों कमजोर हो रहा है अमेरिकी पासपोर्ट?
अमेरिकी पासपोर्ट की गिरावट के पीछे कई देशों की वीजा नीतियों में बदलाव हैं. अप्रैल में ब्राजील ने अमेरिका को वीजा-फ्री लिस्ट से बाहर किया, वहीं चीन ने भी अपने नए वीजा-फ्री प्रोग्राम में अमेरिका को शामिल नहीं किया. पापुआ न्यू गिनी, म्यांमार, सोमालिया और वियतनाम के हालिया फैसलों से इसकी पहुंच और घट गई.
इसे लेकर Henley & Partners के चेयरमैन क्रिश्चियन एच. कैलिन ने कहा, “अमेरिकी पासपोर्ट की गिरती ताकत सिर्फ रैंकिंग का मामला नहीं, बल्कि ग्लोबल मोबिलिटी और सॉफ्ट पावर के संतुलन में बदलाव का संकेत है. जो देश सहयोग और ओपननेस को बढ़ा रहे हैं, वे आगे बढ़ रहे हैं, जबकि जो पुराने प्रभाव पर टिके हैं, वे पीछे छूट रहे हैं.”
ओपननेस गैप यानी दोहरी नीति
अमेरिकी पासपोर्ट की घटती ताकत की एक बड़ी वजह ओपननेस गैप है. अमेरिकी नागरिक जहां 180 देशों में वीजा-फ्री जा सकते हैं, लेकिन अमेरिका केवल 46 देशों के नागरिकों को बिना वीजा के एंट्री देता है. Henley Openness Index में अमेरिका 77वें स्थान पर है. अमेरिका का ‘ओपननेस गैप’ दुनिया में सबसे ज्यादा है. सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज की एनी फॉर्जहाइमर ने कहा, “ट्रंप के लौटने से पहले ही अमेरिका की नीति बदल चुकी थी. वही सोच अब पासपोर्ट की ताकत में गिरावट के रूप में दिख रही है.”
चीन की बढ़ती ‘वीजा डिप्लोमेसी’
अमेरिका के उलट, चीन तेजी से आगे बढ़ रहा है. 2015 में 94वें स्थान पर रहा चीन अब 64वें स्थान पर पहुंच गया है. उसने पिछले एक दशक में 37 नए देशों के साथ वीजा-फ्री समझौते किए हैं. Henley Openness Index में भी वह 65वें स्थान पर है, क्योंकि अब 76 देशों को वीजा-फ्री एंट्री देता है, जो अमेरिका से 30 ज्यादा हैं. चीन ने हाल ही में रूस, खाड़ी देशों, दक्षिण अमेरिका और यूरोप के कई देशों के साथ वीजा-फ्री डील्स की हैं.
‘डुअल सिटिजनशिप’ की ओर झुकाव
अमेरिकी पासपोर्ट की घटती ताकत के कारण अब बड़ी संख्या में अमेरिकी नागरिक दूसरे देशों की नागरिकता के लिए आवेदन कर रहे हैं. Henley & Partners के मुताबिक, 2025 में अमेरिकी इन्वेस्टमेंट माइग्रेशन प्रोग्राम्स में सबसे ज्यादा आवेदन अमेरिका से ही आए हैं. 2024 की तुलना में 2025 की तीसरी तिमाही तक ऐसे आवेदनों में 67% की वृद्धि हुई है, जबकि 2024 में भी यह संख्या पिछले साल से 60% अधिक थी. Temple University Law School के प्रोफेसर पीटर जे. स्पायरो ने कहा, “आने वाले वर्षों में ज्यादा से ज्यादा अमेरिकी दोहरी नागरिकता लेने की कोशिश करेंगे.
भारत की रैंकिग लुढ़की
Henley Passport Index अक्टूबर 2025 में भारत 85वें पायदान पर है. जबकि, जुलाई 2025 में जारी इंडेक्स में भारत 77वें स्थान पर था. वहीं, पिछले वर्ष यानी 2024 में भारत इस इंडेक्स में 85वें स्थान पर था. इस तरह भारत पिछले साल की तुलना में न आगे बढ़ा है, न नीचे गया है. वहीं, जुलाई की तुलना में 8 पायदान नीचे है. भारतीय पासपोर्ट धारकों को अब 57 डेस्टिनेशन तक वीजा फ्री या वीजा ऑन अराइवल की सुविधा मिलती है. जबकि, जुलाई में यह संख्या 59 थी.