इजरायल-अमेरिका की धमकी के बीच बंकर में छिपे खामेनेई, चुना 3 उत्तराधिकारी, लेकिन बेटे का नाम नहीं

ईरान और इजरायल के बीच हालात बेहद तनावपूर्ण हो चुके हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल की धमकी और अमेरिका के दबाव के बीच ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई ने खुद को बंकर में छिपा लिया है और तीन उत्तराधिकारियों का चयन कर लिया है, लेकिन उनके नाम अब भी सार्वजनिक नहीं किए गए हैं.

खामेनेई ने चुना उत्तराधिकारी Image Credit: @Tv9

Iran Israel Crisis Ali Khamenei Successor: ईरान और इजरायल के बीच उपजा तनाव अब सिर्फ बयानों तक सीमित नहीं रहा. स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को खुद को सुरक्षा बंकर में शरण लेनी पड़ी है. द न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, खामेनेई ने हालात की गंभीरता को देखते हुए अपने संभावित उत्तराधिकारियों की सूची तैयार कर ली है.

इजरायल की सीधी धमकी, अमेरिका की आक्रामक नीति

बीते कुछ हफ्तों में इजरायल इजरायल ने न सिर्फ ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर कड़ा रुख अपनाया है, बल्कि खामेनेई को सीधे तौर पर “एलिमिनेट” करने की बात भी कही है. यह अब सिर्फ रणनीतिक खतरा नहीं रहा, बल्कि एक टारगेटेड पॉलिटिकल असॉल्ट की स्थिति बन गई है. इसी कड़ी में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी बयान दिया कि “ईरान हमारी रडार पर है.” इस बयान को खुफिया संकेतों और सैन्य कार्रवाई की भूमिका के तौर पर देखा जा रहा है.

उत्तराधिकारियों की सूची में बेटा नहीं!

86 वर्षीय अली खामेनेई की सेहत और उम्र को देखते हुए लंबे समय से इस बात पर बहस चल रही थी कि उनका उत्तराधिकारी कौन होगा. अब जबकि खतरा उनके जीवन पर मंडरा रहा है, उन्होंने इस विषय पर अंतिम निर्णय ले लिया है. रिपोर्ट्स की मानें तो खामेनेई ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर तीन नामों का चुनाव किया है. लेकिन इन नामों को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है. हालांकि रिपोर्ट में ये जरूर बताया गया है कि खामेनेई की ओर से चुने गए नामों में उनके बेटे मोजतबा का नाम शामिल नहीं है, जबकि उन्हें सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा था.

नाम क्यों नहीं हुए सार्वजनिक?

मोजतबा को ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर का सबसे करीबी माना जाता था, इससे इतर सुप्रीम लीडर के पद के लिए भी उनका नाम सबसे आगे हुआ करता था. लेकिन सामने आ रही रिपोर्ट्स कुछ और ही इशारा कर रही हैं. हालांकि, ईरान में सु्प्रीम लीडर का चुनाव आसान नहीं होने वाला है. इसके कई दावेदार हैं. ऐसे में युद्ध जैसी स्थिति में किसी के नाम को सामने लाने ईरान के लिए मुश्किल का सबब बन सकता है. इससे देश में अंदरूनी कलह पैदा हो सकती है.

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