चीन ने पाकिस्तान को दिया बड़ा झटका, सबसे बड़े रेल प्रोजेक्ट की फंडिंग रोकी, फिर कर्ज मांगेगा ‘फेल्ड मार्शल’

पाकिस्तान को उसके 'फेल्ड मार्शल' की ट्रंप परिवार से दोस्ती महंगी पड़ने लगी है. क्योंकि, पाकिस्तान के सदाबहार दोस्त रहे चीन ने जोरदार झटका दिया है. चीन ने पाकिस्तान में बन रहे कराची–रोहरी रेल प्रोजेक्ट की फंडिंग रोक दी है. अब पाकिस्तान को इस प्रोजेक्ट के लिए फिर से कर्ज मांगना होगा.

चीन-पाकिस्तान Image Credit: money9live

पाकिस्तान का एक अहम रेल प्रोजेक्ट अधर में है. क्योंकि, चीन ने इसकी फंडिंग रोक दी है. अब पाकिस्तान इसके लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) से कर्ज की व्यवस्था में जुटा है. ET की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में कराची–रोहरी के बीच बन रहे एक अहम रेल प्रोजेक्ट से चीन ने हाथ खींच लिया है. इसके लिए पाकिस्तान अब ADB से 2 अरब डॉलर की मदद मांग रहा है. यह वही मेन रेल लाइन-1 (ML-1) प्रोजेक्ट है, जिसे कभी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का सबसे बड़ा और सबसे परिवर्तनकारी प्रोजेक्ट बताया गया था.

सीपेक के विजन से बड़ी दूरी

CPEC के तहत चीन ने करीब 60 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया था. इसमें से 1,800 किमी लंबे कराची से पेशावर तक के ML -1 प्रोजेक्ट को सबसे अहम माना गया. लेकिन करीब एक दशक तक कूटनीतिक बातचीत के बाद भी फाइनेंसिंग शुरू नहीं हो पाई है.

क्यों पीछे हटा चीन

चीन ने यह कदम अचानक नहीं उठाया है. पाकिस्तान की बिगड़ती वित्तीय स्थिति और बढ़ते कर्ज ने चीन को सतर्क किया. इसके अलावा पाकिस्तान के बिजली क्षेत्र में पहले से अरबों का निवेश कर चुकी चीनी कंपनियों को बकाया भुगतान में दिक्कतें आ रही हैं. इसके साथ ही चीन अब अपनी कमजोर घरेलू अर्थव्यवस्था और हाई-रिस्क प्रोजेक्ट्स से दूरी बनाने की रणनीति अपना रहा है. ML-1 के अलावा चीन ने बलूचिस्तान के रेको डिक कॉपर-गोल्ड माइंस प्रोजेक्ट से भी हाथ खींच लिए हैं. पाकिस्तान के दावे के मुताबिक यह दुनिया की सबसे बड़ी कॉपर माइन में से एक है, जिसका दोहन नहीं हुआ है. पाकिस्तान इसके लिए भी ADB से कर्ज मांग रहा है.

कूटनीतिक संतुलन की जंग

पाकिस्तान की कमजोर आर्थिक स्थिति के अलावा चीन को यह डर भी सता रहा है कि कहीं पाकिस्तान पूरी तरह से अमेरिका और पश्चिम के पाले में नहीं चला जाए, जिससे उसका पूरा निवेश ही खतरे में पड़ जाए. हालांकि, पाकिस्तान सेना प्रमुख असीम मुनीर ने इस मसले पर कहा कि “हम एक दोस्त की खातिर दूसरे दोस्त का बलिदान नहीं देंगे.” यह बयान साफ इशारा है कि पाकिस्तान चीन के साथ रिश्ते बनाए रखते हुए अब विकल्प भी तलाशना चाहता है.