हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में कैसे होता है एडमिशन, कितनी है फीस, जानें ट्रंप का फैसला कैसे बिगाड़ेगा फ्यूचर
अमेरिकी प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर शिकंजा कसने का एक नया पैतरा लगया है. ट्रंप प्रशासन हार्वर्ड विश्वविद्यालय में विदेशी छात्रों को दाखिला देने संबंधित यूनिवर्सिटी की शक्ति पर स्टे लगाने की योजना बना रहा है. पिछले साल की तुलना में इस साल हार्वर्ड में दाखिला लेने वाले भारतीय छात्रों की संख्या घटकर आधे से भी कम हो गए हैं.

Harvard University: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी विश्व के उन चंद विश्वविद्यालयों में शामिल है, जहां दुनिया भर के छात्र पढ़ना चाहते हैं. अमेरिका का यह यूनिवर्सिटी इन दिनों चर्चा में है. इसके पीछे की वजह अमेरिकी प्रशासन का हालिया बयान है. गुरुवार को अमेरिकी प्रशासन ने कहा कि वह हार्वर्ड विश्वविद्यालय में विदेशी छात्रों को दाखिला देने संबंधित यूनिवर्सिटी की शक्ति पर स्टे लगा देगा. यह कोई पहला मौका नहीं है, जब ट्रंप प्रशासन ने इस यूनिवर्सिटी पर विवादित बयान दिया हो. पिछले महीने ट्रंप और यूनिवर्सिटी प्रशासन पाठ्यक्रम, एडमिशन और नियुक्ति प्रक्रिया जैसे मुद्दों को लेकर आमने-सामने थी. इसके साथ ही यूनिवर्सिटी को मिलने वाले अनुदान पर भी प्रशासन ने रोक लगाने की बात कही थी.
अब सवाल यह है कि अमेरिकी प्रशासन के इस कदम से दुनिया भर के उन छात्रों पर क्या असर होगा जो या तो यहां पढ़ाई कर रहे हैं या पढ़ने की चाहत रखते हैं? साथ ही इसमें नामांकन की प्रक्रिया क्या है और हर साल छात्र को यहां पढ़ने के लिए कितने पैसे देने पड़ते हैं?आइए इन्हीं सवालों के जवाब तलाशते हैं.
कैसे होता है एडमिशन?
इस यूनिवर्सिटी में दुनिया भर के छात्र पढ़ना चाहते हैं. इसलिए यहां एडमिशन मिल पाना कठिन है. हालांकि ए़डमिशन के लिए कुछ कॉमन टेस्ट पास करने होते हैं. इसके साथ ही छात्रों की आज तक की पढ़ाई के सभी एकेडमिक ट्रांसक्रिप्ट जमा करने होते हैं. सभी एप्लीकेंट को कॉमन एप्लीकेशन के जरिए आवेदन करने होते हैं.
स्कोलास्टिक असेसमेंट टेस्ट (SAT) और IELTS/ TOEFL टेस्ट में प्राप्त की अंक चयन प्रक्रिया में अहम भूमिका होती है. आवेदन करते समय यह अंक भी बताने होते हैं. इसके बाद जिन एप्लीकेंट का नाम सूची में आता है, उसे अमेरिकी दूतावास में एक इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है.
इस इंटरव्यू के दौरान विभाग यह जांच करता है कि क्या आवेदक के पास अमेरिका में रहने और पढ़ने के लिए पर्याप्त पैसे हैं या नहीं. हार्वर्ड जैसी यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए कई तरह की स्कॉलरशिप भी मिलती हैं, जैसे हार्वड फाइनेंशियल एड और द इनलाक्स स्कॉलरशिप.
क्या पढ़ाया जाता है?
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में 110 से अधिक ऐसे कोर्सेस हैं जिसमें विदेशी छात्र भी दाखिला लेना चाहते हैं. इसमें सोशल साइंस, कंप्यूटर व इंफॉर्मेशन साइंस, बायोलॉजिकल साइंस और गणित सबसे अधिक पसंद किए जाने वाले विषय हैं.
कितनी होती है फीस?
अमेरिकी अखबार The New York Times में छपी एक खबर के अनुसार 2025-26 में एक छात्र को हार्वर्ड में पढ़ने के लिए 50 लाख रुपये से अधिक देने होंगे. एकोमोडेशन चार्ज जोड़ दिया जाए तो यह बढ़कर 75 लाख तक पहुंच सकता है.
विदेश में पढ़ने को इच्छुक छात्रों को सहायता मुहैया कराने वाली वेबसाइट Shiksha Study Abroad से मिली जानकारी के अनुसार हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की ट्यूशन फी 17 लाख से लेकर 70 लाख तक हैं. ये रकम अलग-अलग कोर्सेस के लिए अलग-अलग है.
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किस देश के कितने छात्र हार्वर्ड में पढ़ते हैं
एकेडमिक सेशन 2024-25 में हार्वर्ड में 6,800 विदेशी छात्रों ने दाखिला लिया था. ये कुल छात्रों का लगभग 19 फीसद है.
भारतीय छात्रों की बात करें तो इस सेशन में लगभग 800 भारतीय छात्रों का दाखिला हार्वर्ड में हो पाया.
- 2025-26 के टॉप 5 कंट्री
- चीन (China) – 844
- भारत (India) – 321
- कनाडा (Canada) – 214
- कोरिया गणराज्य (Republic of Korea) – 182
- यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) – 160
भारतीय छात्रों की संख्या पिछले साल के मुकाबले आधे से भी कम हो गए हैं. इसके पीछे की वजह ट्रंप प्रशासन द्वारा वीजा कटौती है. ट्रंप प्रशासन के इस तरह के कदम का असर दुनिया भर के देशों में दिखने लगा है.
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